क्या इसे रचा गया था?
पायलट व्हेल की चमड़ी करे कमाल की सफाई
बार्नेकल और दूसरे छोटे-छोटे समुद्री जीव जब जहाज़ों की सतह पर चिपक जाते हैं तो वे वहीं बढ़ने लगते हैं। इससे कई समस्याएँ आती हैं। जहाज़ों की रफ्तार कम हो जाती है। इससे ईंधन की खपत ज़्यादा होती है। और करीब हर दो साल में जहाज़ों को साफ करना पड़ता है। इस सफाई में काफी समय लगता है और तब तक जहाज़ों का इस्तेमाल रोकना पड़ता है। इन समस्याओं का हल निकालने के लिए वैज्ञानिक कुदरत की चीज़ों पर अध्ययन कर रहे हैं।
गौर कीजिए: अध्ययनों से पता चला है कि लंबे पंखोंवाली पायलट व्हेल (ग्लोबसेफला मिलस) की चमड़ी में खुद को साफ रखने की काबिलीयत होती है। उनकी चमड़ी में बहुत ही छोटी-छोटी उभरी हुई धारियाँ होती हैं, इतनी छोटी कि इन पर बार्नेकल की इल्लियाँ ठीक से चिपक नहीं पातीं। और इन धारियों के बीच एक गाढ़ा पदार्थ होता है, जो शैवाल (algae) और बैक्टीरिया के लिए नुकसानदेह होता है। जब भी एक पायलट व्हेल की ऊपरी चमड़ी उतर जाती है, तो वह नया गाढ़ा पदार्थ बनाती है।
पहले जहाज़ों को साफ रखने के लिए उन पर कुछ खास तरह के पेंट लगाए जाते थे। पर हाल ही में उनमें से कुछ पेंटों पर रोक लगा दी गयी है क्योंकि वे समुद्री जीव-जंतुओं और पौधों के लिए ज़हरीले साबित हुए हैं। इसलिए वैज्ञानिक जहाज़ों की सतह साफ करने के लिए पायलट व्हेल की चमड़ी की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सोचा है कि वे जहाज़ों की सतह पर कई सारे छोटे-छोटे छेद बनाएँगे और उनके ऊपर धातु की एक जाली लगाएँगे। छेदों से ऐसा केमिकल छोड़ा जाएगा जो हानिकारक नहीं है। यह केमिकल समुंदर के पानी से मिलते ही गाढ़ा और चिपचिपा हो जाएगा और जहाज़ की पूरी सतह पर उसकी एक परत बन जाएगी। यह परत करीब 0.7 मिलीमीटर [0.03 इंच] मोटी होगी। कुछ समय बाद यह परत उतर जाएगी और उस पर जो भी जीव चिपके होंगे, वे भी उसके साथ निकल जाएँगे। इसके बाद फिर से उन छेदों से केमिकल छोड़ा जाएगा ताकि जहाज़ की पूरी सतह पर दोबारा एक परत बन जाए।
वैज्ञानिकों ने यह तरकीब छोटे पैमाने पर आज़मायी और देखा कि इससे जहाज़ की सतह का गंदा होना 100 गुना कम हो सकता है। यह तरकीब शिपिंग कंपनियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि जहाज़ों को सूखी जगह ले जाकर साफ करवाने में बहुत पैसा लगता है।
आपको क्या लगता है? क्या पायलट व्हेल की चमड़ी का खुद-ब-खुद विकास हुआ? या फिर इसे इस तरह रचा गया था?