नौजवानों के सवाल
बाइबल मेरी मदद कैसे कर सकती है?—भाग 1: बाइबल पढ़ना शुरू करें
“मैंने बाइबल पढ़ने की कोशिश तो की, लेकिन फिर मुझे लगा ये तो इतनी मोटी किताब है, ये मुझसे नहीं होगा।”—15 साल की ब्रीएना
क्या आपको भी ऐसा ही लगता है? अगर हाँ, तो यह लेख आपके बहुत काम आ सकता है।
बाइबल क्यों पढ़ें?
क्या आपको बाइबल पढ़ना बोरिंग लगता है? कुछ लोगों को ऐसा लगता है। शायद आप सोचें, ‘बाइबल में तो हज़ारों पेज हैं, इसके अक्षर भी इतने छोटे हैं और एक भी पिक्चर नहीं है। इससे अच्छा तो मैं टीवी या मूवी देख लूँ!’
ज़रा सोचिए, आप को खज़ाने की एक बड़ी पेटी मिली है। ऐसे में क्या आपका मन नहीं करेगा कि आप खोलकर देखें कि उसमें क्या है?
बाइबल भी एक खज़ाने की तरह है। इसमें आपको कई हीरे-मोती मिलेंगे यानी ऐसी सलाह मिलेगी, जो आपके बहुत काम आएगी। इसकी मदद से आप
अच्छे फैसले ले पाएँगे
मम्मी-पापा के साथ अच्छे रिश्ते बना पाएँगे
अच्छे दोस्त बना पाएँगे
परेशानियों से निपट पाएँगे
लेकिन बाइबल तो इतनी पुरानी किताब है, तो फिर इसमें दी सलाह आज भी कैसे काम आ सकती है? वह इसलिए कि “पूरा शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है।” (2 तीमुथियुस 3:16) इसका मतलब है कि बाइबल दुनिया के सबसे बुद्धिमान शख्स ने लिखवायी है।
बाइबल कैसे पढ़ें?
बाइबल पढ़ने का पहला तरीका: आप बाइबल को शुरू से आखिर तक पढ़ सकते हैं। ऐसा करने से आप जान पाएँगे कि बाइबल का मुख्य विषय क्या है। बाइबल पढ़ने के बारे में दो सुझावों पर ध्यान दीजिए:
बाइबल में 66 किताबें हैं। आप इन किताबों को एक-के-बाद-एक उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक पढ़ सकते हैं।
बाइबल की घटनाएँ जिस क्रम में घटीं, आप उसी क्रम में पढ़ सकते हैं।
इसे आज़माइए: नयी दुनिया अनुवाद बाइबल के अतिरिक्त लेख क7 में यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ उसी क्रम में लिखी हैं, जिस क्रम में वे घटी थीं।
बाइबल पढ़ने का दूसरा तरीका: आप बाइबल में ऐसे किरदारों के बारे में पढ़ सकते हैं जिन्होंने ऐसे हालात का सामना किया, जिनका आज आप सामना कर रहे हैं। जैसे:
क्या आप अच्छे और भरोसेमंद दोस्त बनाना चाहते हैं? तो फिर योनातान और दाविद की कहानी पढ़िए। (1 शमूएल अध्याय 18–20) गौर कीजिए कि दाविद में ऐसे कौन-से गुण थे, जिस वजह से उन दोनों में पक्की दोस्ती हो पायी।
गलत काम करने का दबाव आने पर, क्या आपको सही काम करने की हिम्मत चाहिए? तो फिर यूसुफ की कहानी पढ़िए। (उत्पत्ति अध्याय 39) गौर कीजिए कि यूसुफ को सही काम करने की हिम्मत कहाँ से मिली।
क्या आप जानना चाहते हैं कि प्रार्थना करने से आपको कैसे मदद मिलेगी? यह जानने के लिए नहेमायाह की कहानी पढ़िए। (नहेमायाह अध्याय 2) फिर “परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी” नाम का अभ्यास पूरा कीजिए और देखिए कि आप इस कहानी से क्या सीख सकते हैं।
इसे आज़माइए: शांत माहौल में बैठकर बाइबल पढ़िए। ऐसा करने से आपका ध्यान नहीं भटकेगा।
बाइबल पढ़ने का तीसरा तरीका: आप कोई घटना या भजन की किताब से कुछ आयतें पढ़ सकते हैं और फिर सोच सकते हैं कि इसमें लिखी बातें मुझ पर कैसे लागू होती हैं। आयतें पढ़ने के बाद खुद से पूछिए:
यहोवा ने यह बात बाइबल में क्यों लिखवायी?
इससे मैंने यहोवा के बारे में क्या सीखा?
मैं ये बातें कैसे लागू कर सकता हूँ?
इसे आज़माइए: नयी दुनिया अनुवाद- अध्ययन बाइबल पढ़िए। इसमें आपको कई वीडियो, नक्शे और दूसरी चीज़ें मिलेंगी जिनसे आपको बाइबल पढ़ने में और मज़ा आएगा।