गीत 141
शांति चाहनेवालों की खोज!
डाउनलोड कीजिए:
-
‘याह का व-चन सुन ले ज-हाँ त-माम!’
हु-कुम यी-शु का था, उस-ने
दि-लो-जाँ से कि-या वो काम।
प्यार वो कर-ता था याह की भे-ड़ों से,
सु-बह से शाम
उन्-हें ढूँ-ढ़ा दर-ब-दर चल के।
हम भी ख-बर दे-ते य-हाँ,
छट जा-ए-गी गम की घ-टा,
बर-सा-ए-गा जल्द हम पे
बर-क़-तें याह।
(कोरस)
खो-जें उन्-हें
जो सच की राह पे चल-ना चा-हें।
शां-ति-प-संद,
जो याह से रिश्-ता जोड़-ना चा-हें।
को-ई क-सर
ना छो-ड़ें हम।
-
लाख चा-हें तो भी वक्त रु-के न-हीं,
रु-कें हम भी भ-ला कै-से
स-भी की जा-नें हैं कीम-ती।
प्यार कह-ता है फिर उन-से जा-के मिल,
ल-गा मर-हम, पा-एँ चैन वो,
जा-एँ फिर से खिल।
मि-ले जब भी नेक-दिल को-ई,
भर जा-ती है दिल में खु-शी,
ऐ-सी खु-शी पा-ने को हम हैं बे-ताब।
(कोरस)
खो-जें उन्-हें
जो सच की राह पे चल-ना चा-हें।
शां-ति-प-संद,
जो याह से रिश्-ता जोड़-ना चा-हें।
को-ई क-सर
ना छो-ड़ें हम।
(यशा. 52:7; मत्ती 28:19, 20; लूका 8:1; रोमि. 10:10 भी देखिए।)