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पढ़ो तो बढ़ो

पढ़ो तो बढ़ो
  1. 1. सुनते थे हम, जब से उमर में थे कम

    छोटे से थे, पर समझ आती थीं वो बातें।

    पापा हमें पढ़के सुनाते हर रोज़

    अब तो खुद मेरी भी ये बन गयी है आदत।

    फुरसत हो मेरे पास, तो ले आती हूँ किताब अपने पास

    याद करती हूँ वो बातें जो मुझे बनाएँगी मज़बूत।

    (कोरस)

    पढ़ो तो बढ़ो

    झरने किनारे लगे पेड़ों-सा,

    पढ़ो तो बढ़ो

    मुरझाओगे ना चाहे जो हो बात।

    पढ़ो तो बढ़ो

    जड़ जो पकड़ लो गहराई में,

    पढ़ो तो बढ़ो

    हासिल ना हो ऐसी होगी क्या बात।

  2. 2. आए सही मौका तो बोलूँगी क्या,

    क्या सोचेंगे जो उनसे ना हुई मैं सहमत।

    कमी नहीं मुझे जानकारी की भी,

    बचपन से सीखा है तो डरती भी नहीं

    फुरसत हो मेरे पास, तो ले आती हूँ किताब अपने पास

    याद करती हूँ वो बातें जो मुझे बनाएँगी मज़बूत।

    (कोरस)

    पढ़ो तो बढ़ो

    झरने किनारे लगे पेड़ों सा,

    पढ़ो तो बढ़ो

    मुरझाओगे ना चाहे जो हो बात।

    पढ़ो तो बढ़ो

    जड़ जो पकड़ लो गहराई में,

    पढ़ो तो बढ़ो

    हासिल ना हो ऐसी होगी क्या बात।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    बातें जो मुझको देतीं

    हिम्मत, राहत और मज़बूती,

    दे सकती हैं ऐसी हिम्मत और साहस औरों को भी।

    (कोरस)

    पढ़ो तो बढ़ो।

    पढ़ो तो बढ़ो।

    पढ़ो तो बढ़ो।

    पढ़ो तो बढ़ो।

    पढ़ो तो बढ़ो,

    झरने किनारे लगे पेड़ों सा,

    पढ़ो तो बढ़ो।

    मुरझाओगे ना चाहे जो हो बात।

    पढ़ो तो बढ़ो।

    जड़ जो पकड़ लो गहराई में,

    पढ़ो तो बढ़ो।

    हासिल ना हो ऐसी होगी क्या बात।