गीत 29
ऊँचा हमेशा करें तेरा नाम!
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1. याह, तू हमेशा रहा है, रहेगा!
सागर तू प्यार का, बुद्-धि है अपार!
मालिक जहान का, असीम तेरी ताकत!
तू ही हमारा है परवरदिगार!
राज की खबर हम खुशी से फैलाएँ,
पूरब से पच्छिम तक देके पैगाम।
(कोरस)
नाज़ है हमें कि हम साक्षी हैं तेरे,
ऊँचा हमेशा करें तेरा नाम!
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2. सेवा करें जब हम एक मन के होके,
आपस में प्यार तब हमारा बढ़े।
बीज राज के हम जब दिलों में हैं बोते,
मन में खुशी की तरंगें उठें।
नाम अपना देके हमें है नवाज़ा,
हमको मिला तुझसे क्या ही सम्-मान!
(कोरस)
नाज़ है हमें कि हम साक्षी हैं तेरे,
ऊँचा हमेशा करें तेरा नाम!
(व्यव. 32:4; भज. 43:3; दानि. 2:20, 21 भी देखें।)