यूहन्ना के मुताबिक खुशखबरी 14:1-31
14 “तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों।+ परमेश्वर पर विश्वास करो+ और मुझ पर भी विश्वास करो।
2 मेरे पिता के घर में रहने की बहुत-सी जगह हैं। अगर नहीं होतीं, तो मैं तुमसे यह बात नहीं कहता। मगर अब मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जा रहा हूँ।+
3 और जब मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँगा, तो मैं दोबारा आऊँगा और तुम्हें अपने घर ले जाऊँगा ताकि जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम भी रहो।+
4 जहाँ मैं जा रहा हूँ, तुम वहाँ की राह जानते हो।”
5 थोमा+ ने उससे कहा, “प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जा रहा है। तो फिर हम वहाँ की राह कैसे जानें?”
6 यीशु ने उससे कहा, “मैं ही वह राह,+ सच्चाई+ और जीवन हूँ।+ कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता, सिवा उसके जो मेरे ज़रिए आता है।+
7 अगर तुमने मुझे सचमुच जाना होता, तो तुम मेरे पिता को भी जानते। इस घड़ी से तुम उसे जानोगे, सच तो यह है कि तुमने उसे देखा है।”+
8 फिलिप्पुस ने उससे कहा, “प्रभु, हमें पिता दिखा दे, यही हमारे लिए काफी है।”
9 यीशु ने उससे कहा, “फिलिप्पुस, मैं इतने समय से तुम लोगों के साथ हूँ और फिर भी तू मुझे नहीं जान पाया? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।+ तो फिर तू क्यों कहता है, ‘हमें पिता दिखा दे’?
10 क्या तू यकीन नहीं करता कि मैं पिता के साथ एकता में हूँ और पिता मेरे साथ एकता में है?+ मैं जो बातें तुमसे कहता हूँ वे अपनी तरफ से नहीं कहता,+ बल्कि पिता जो मेरे साथ एकता में है, वही मेरे ज़रिए अपने काम कर रहा है।
11 मेरा यकीन करो कि मैं पिता के साथ एकता में हूँ और पिता मेरे साथ एकता में है। नहीं तो, जो काम मैंने किए हैं उन्हीं की वजह से मेरा यकीन करो।+
12 मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जो मुझ पर विश्वास करता है, वह भी वे काम करेगा जो मैं करता हूँ बल्कि इनसे भी बड़े-बड़े काम करेगा+ क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ।+
13 साथ ही, जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे, वह मैं करूँगा ताकि बेटे के ज़रिए पिता महिमा पाए।+
14 अगर तुम मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं वह करूँगा।
15 अगर तुम मुझसे प्यार करते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।+
16 मैं पिता से बिनती करूँगा और वह तुम्हें एक और मददगार* देगा जो हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा+
17 यानी सच्चाई की पवित्र शक्ति,+ जो दुनिया को नहीं मिल सकती क्योंकि दुनिया न तो इसे देखती है न ही इसे जानती है।+ तुम इसे जानते हो क्योंकि यह तुम्हारे साथ रहती है और तुममें है।
18 मैं तुम्हें मातम की हालत में* नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हारे पास फिर आ रहा हूँ।+
19 थोड़ी देर और है, फिर दुनिया मुझे कभी नहीं देखेगी मगर तुम मुझे देखोगे+ क्योंकि मैं जीवित हूँ और तुम भी जीओगे।
20 उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता के साथ एकता में हूँ और तुम मेरे साथ एकता में हो और मैं तुम्हारे साथ एकता में हूँ।+
21 जिसके पास मेरी आज्ञाएँ हैं और जो उन्हें मानता है, वही मुझसे प्यार करता है। जो मुझसे प्यार करता है उससे मेरा पिता प्यार करेगा और मैं भी उससे प्यार करूँगा और अपने आपको उस पर खुलकर ज़ाहिर करूँगा।”
22 यहूदा+ (इस्करियोती नहीं) ने उससे कहा, “प्रभु, क्या वजह है कि तू अपने आपको हम पर तो खुलकर ज़ाहिर करना चाहता है मगर दुनिया पर नहीं?”
23 यीशु ने जवाब दिया, “अगर कोई मुझसे प्यार करता है, तो वह मेरे वचन पर चलेगा+ और मेरा पिता उससे प्यार करेगा। हम उसके पास आएँगे और उसके साथ निवास करेंगे।+
24 जो मुझसे प्यार नहीं करता वह मेरे वचनों पर नहीं चलता। जो वचन तुम सुन रहे हो वह मेरा नहीं, बल्कि पिता का है जिसने मुझे भेजा है।+
25 तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने ये बातें तुम्हें बतायी हैं।
26 मगर वह मददगार यानी पवित्र शक्ति जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, तुम्हें सारी बातें सिखाएगा और जितनी बातें मैंने तुम्हें बतायी हैं वे सब तुम्हें याद दिलाएगा।+
27 जो शांति मैं देता हूँ+ वह मैं तुम्हारे पास छोड़कर जा रहा हूँ। मैं तुम्हें यह शांति इस तरीके से नहीं देता जैसे दुनिया देती है। तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों, न ही वे डर के मारे कमज़ोर पड़ें।
28 तुमने मुझे यह कहते सुना है कि मैं जा रहा हूँ और मैं तुम्हारे पास वापस आऊँगा। अगर तुम मुझसे प्यार करते, तो इस बात पर खुशी मनाते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ क्योंकि पिता मुझसे बड़ा है।+
29 और ऐसा होने से पहले मैं अभी से तुम्हें बता रहा हूँ ताकि जब ऐसा हो तो तुम यकीन कर सको।+
30 मैं अब तुमसे और ज़्यादा बात नहीं करूँगा क्योंकि इस दुनिया का राजा+ आ रहा है और मुझ पर उसका कोई ज़ोर नहीं चलता।*+
31 मगर दुनिया जान सके कि मैं पिता से प्यार करता हूँ इसलिए मैं ठीक वैसा ही करता हूँ जैसा पिता ने मुझे आज्ञा दी है।+ अब उठो, हम यहाँ से चलें।