मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 8:1-34
अध्ययन नोट
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
एक कोढ़ी: एक गंभीर चर्मरोग से पीड़ित व्यक्ति। बाइबल में जिस कोढ़ का ज़िक्र मिलता है वह आज के कोढ़ जैसा नहीं था। जब किसी को कोढ़ हो जाता था तो उसे समाज से निकाल दिया जाता था। ठीक होने के बाद ही वह वापस आ सकता था।—लैव 13:2, फु., 45, 46; शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
झुककर उसे प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसका आदर किया।” इब्रानी शास्त्र में बताए लोग भी जब भविष्यवक्ता, राजा या परमेश्वर के दूसरे प्रतिनिधियों से मिलते थे तो वे झुककर उन्हें प्रणाम करते थे। (1शम 25:23, 24; 2शम 14:4-7; 1रा 1:16; 2रा 4:36, 37) ज़ाहिर है कि यह कोढ़ी आदमी समझ गया कि वह परमेश्वर के प्रतिनिधि से बात कर रहा है, जिसमें लोगों को ठीक करने की ताकत है। इसलिए जब उसने यहोवा के ठहराए राजा का आदर करने के लिए झुककर प्रणाम किया तो उसने सही किया।—मत 9:18; यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द के बारे में ज़्यादा जानने के लिए मत 2:2 का अध्ययन नोट देखें।
यीशु ने . . . उसे छुआ: मूसा के कानून में बताया गया था कि कोढ़ियों को अलग रखा जाए ताकि उनकी बीमारी दूसरों में न फैले। (लैव 13:45, 46; गि 5:1-4) लेकिन यहूदी धर्म गुरुओं ने इस बारे में और भी नियम बना दिए थे। जैसे, लोगों को एक कोढ़ी से चार हाथ यानी करीब 6 फुट (1.8 मी.) दूर रहना होता था। लेकिन अगर हवा चल रही हो तो उन्हें उससे 100 हाथ यानी करीब 150 फुट (45 मी.) दूर रहना होता था। इन नियमों की वजह से लोग कोढ़ियों से बड़ी बेरहमी से पेश आते थे। जैसे, एक रब्बी कोढ़ियों को देखकर छिप जाता था और दूसरा उन्हें दूर भगाने के इरादे से पत्थर मारता था। प्राचीन यहूदी लेखों में इन रब्बियों की तारीफ की गयी है। मगर यीशु उनसे बिलकुल अलग था। यहाँ बताए कोढ़ी की हालत पर उसे इतना तरस आया कि उसने वह काम किया जो यहूदी लोग करने की सोच भी नहीं सकते थे। वह चाहता तो सिर्फ बोलकर उस कोढ़ी को ठीक कर सकता था, मगर उसने उसे छुआ!—मत 8:5-13.
मैं चाहता हूँ: यीशु ने न सिर्फ उसकी गुज़ारिश सुनी बल्कि उसे पूरा करने की ज़बरदस्त इच्छा भी ज़ाहिर की। वह सिर्फ फर्ज़ की खातिर नहीं बल्कि उसे दिल से ठीक करना चाहता था।
किसी को मत बताना: मर 1:44 का अध्ययन नोट देखें।
खुद को याजक को दिखा: मूसा के कानून के मुताबिक, एक याजक को कोढ़ी की जाँच करके बताना होता था कि वह ठीक हो गया है। इसके लिए ठीक हुए कोढ़ी को मंदिर जाना होता था और अपने साथ भेंट ले जानी होती थी जिसमें दो शुद्ध चिड़ियाँ, देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ शामिल था।—लैव 14:2-32.
कफरनहूम: मत 4:13 का अध्ययन नोट देखें।
सेना-अफसर: या रोमी “शतपति” जिसके अधीन करीब 100 सैनिक होते थे।
मेरा सेवक: “सेवक” के लिए जो यूनानी शब्द है उसका शाब्दिक मतलब है, “बच्चा; जवान।” यह शब्द ऐसे सेवक के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो मालिक का प्यारा होता था और उसी से शायद वह अपने सारे काम करवाता था।
पूरब से और पश्चिम से बहुत-से लोग: इन शब्दों से पता चलता है कि गैर-यहूदी भी राज के वारिस होते।
मेज़ से टेक लगाकर बैठेंगे: या “खाना खाएँगे।” बाइबल के ज़माने में जब बड़ी दावत रखी जाती थी तो अकसर खाने की मेज़ के चारों तरफ दीवान लगाए जाते थे। लोग इन दीवानों पर इस तरह बैठते थे कि उनका मुँह मेज़ की तरफ होता था और वे अपने बाएँ हाथ की कोहनी से तकिए पर टेक लगाते थे। आम तौर पर लोग दाएँ हाथ से खाना खाते थे। किसी के साथ मेज़ से टेक लगाकर बैठना दिखाता था कि उनकी एक-दूसरे से अच्छी जान-पहचान है। उस ज़माने में यहूदी, गैर-यहूदियों के साथ इस तरह कभी नहीं बैठते थे।
दाँत पीसेंगे: या “दाँत किटकिटाएँगे।” एक इंसान शायद चिंता, निराशा या गुस्से की वजह से ऐसा करे। साथ ही, वह शायद कड़वी बातें भी कहे या हिंसा करे।
जब शाम हो गयी: यानी जब सब्त का दिन खत्म हो गया।—मर 1:21-32; लूक 4:31-40.
ताकि वह वचन पूरा हो जो भविष्यवक्ता यशायाह से कहलवाया गया था: मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।
उठा ले गया: या “उठा लिया; हटा दिया।” परमेश्वर की प्रेरणा से मत्ती ने यहाँ लिखा कि यीशु ने लोगों को ठीक करके यश 53:4 की भविष्यवाणी पूरी की। मगर यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर तब पूरी होगी जब यीशु पाप को पूरी तरह उठा ले जाएगा, ठीक जैसे प्रायश्चित के दिन “अजाजेल के लिए” बकरा इसराएलियों के पाप वीराने में उठा ले जाता था। (लैव 16:10, 20-22) पाप को हटाकर यीशु सारी बीमारियों की जड़ ही उखाड़ फेंकेगा। इससे उन सभी लोगों को फायदा होगा जो यीशु के बलिदान पर विश्वास करते हैं।
उस पार: यानी गलील झील का पूर्वी किनारा।
इंसान के बेटे: ये शब्द खुशखबरी की किताबों में करीब 80 बार आते हैं। यीशु ने ये शब्द खुद के लिए इस्तेमाल किए। ज़ाहिर है उसने ऐसा इसलिए किया ताकि साबित हो सके कि वह वाकई एक इंसान है और औरत से जन्मा है और आदम के बराबर है। इसलिए उसके पास इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने का अधिकार है। (रोम 5:12, 14, 15) इन शब्दों से यह भी पता चलता है कि यीशु ही मसीहा या मसीह है।—दान 7:13, 14; शब्दावली में “इंसान का बेटा” देखें।
कहीं सिर टिकाने की भी जगह नहीं: यानी उसका अपना कोई घर नहीं था।
ज़ोरदार आँधी: गलील झील में ऐसी आँधी आना आम है। यह झील समुद्र-तल से करीब 690 फुट (210 मी.) नीचे है और उसके ऊपर की हवा का तापमान आस-पास के पहाड़ों और पठारों के तापमान से ज़्यादा रहता है। इन वजहों से वहाँ का वातावरण गड़बड़ा जाता है और तेज़ हवाएँ चलने लगती हैं जिससे लहरों में उफान उठने लगता है।
अरे, कम विश्वास रखनेवालो: यीशु के कहने का मतलब यह नहीं कि उसके चेलों में बिलकुल विश्वास नहीं था बल्कि उनका विश्वास कम था।—मत 14:31; 16:8; लूक 12:28; मत 6:30 का अध्ययन नोट देखें।
गदरेनियों के इलाके: गलील झील के उस पार (यानी पूर्वी तट) का इलाका। यह इलाका शायद झील से लेकर गदारा शहर तक था जो झील से 10 कि.मी. (6 मील) दूर था। इस बात का सबूत गदारा से मिले कई सिक्के हैं जिन पर जहाज़ बना हुआ है। मरकुस और लूका ने इस इलाके को ‘गिरासेनियों का इलाका’ कहा। (मर 5:1 का अध्ययन नोट देखें।) हालाँकि गदरेनियों और गिरासेनियों के इलाके अलग थे, मगर कुछ हिस्से शायद ऐसे थे जो दोनों इलाकों में पड़ते थे।—अति. क7, नक्शा 3ख, “गलील झील के पास” और अति. ख10 देखें।
दो: मरकुस (5:2) और लूका (8:27) में सिर्फ एक आदमी की बात की गयी है जिसमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे।—मर 5:2 का अध्ययन नोट देखें।
कब्रों: या “स्मारक कब्रों।” (शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।) ज़ाहिर है कि ये कब्रें, गुफाएँ होती थीं या फिर चट्टानें काटकर बनायी जाती थीं और आम तौर पर ये शहरों से बाहर होती थीं। यहूदी लोग इन कब्रों के पास नहीं जाते थे क्योंकि कानून के मुताबिक वहाँ जाने से वे अशुद्ध हो जाते थे। इसलिए इन जगहों पर ऐसे लोग भटकते-फिरते थे, जो पागल होते थे या जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए होते थे।
हमारा तुझसे क्या लेना-देना?: या “हमारे और तेरे बीच क्या समानता है?” इस आलंकारिक (Rhetorical) प्रश्न का शाब्दिक अनुवाद है, “हमें क्या और तुझे क्या?” यह एक मुहावरा है जो इब्रानी शास्त्र में इस्तेमाल हुआ है। (यह 22:24; न्या 11:12; 2शम 16:10; 19:22; 1रा 17:18; 2रा 3:13; 2इत 35:21; हो 14:8) इनसे मिलते-जुलते यूनानी शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में इस्तेमाल हुए हैं। (मत 8:29; मर 1:24; 5:7; लूक 4:34; 8:28; यूह 2:4) इस मुहावरे का मतलब अलग-अलग संदर्भ में अलग-अलग होता है। यहाँ इससे दुश्मनी और नफरत झलकती है। इसलिए कुछ लोगों का कहना है कि इसका अनुवाद ऐसे किया जाना चाहिए, “हमें तंग मत कर!” या “हमें अकेला छोड़ दे!” दूसरे संदर्भों में इसका मतलब है: सवाल पूछनेवाले की राय दूसरों से अलग है या वह कोई काम करने से इनकार कर रहा है, मगर वह ऐसा बिना घमंड, नाराज़गी या दुश्मनी जताए कर रहा है।—यूह 2:4 का अध्ययन नोट देखें।
हमें तड़पाने: इनसे जुड़ा यूनानी शब्द मत 18:34 में “जेलरों” के लिए इस्तेमाल हुआ है। इससे पता चलता है कि यहाँ शब्द “तड़पाने” का मतलब बाँधना या फिर “अथाह-कुंड” में कैद करना हो सकता है, जैसा कि लूक 8:31 में बताया गया है।
सूअरों: कानून के मुताबिक सूअर अशुद्ध जानवर माने जाते थे, मगर इस इलाके में उन्हें पाला जाता था। क्या “उन्हें चरानेवाले” (मत 8:33) यहूदी थे जो कानून तोड़ रहे थे, इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। मगर दिकापुलिस के इलाके में बहुत-से गैर-यहूदी रहते थे और उनके यहाँ इस जानवर का गोश्त बिकता था, क्योंकि यूनानी और रोमी लोगों को यह गोश्त बहुत पसंद था।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
शतपति का पद आम सैनिकों में सबसे ऊँचा होता था। वह सैनिकों को प्रशिक्षण देता था, उनके हथियारों, खाने-पीने और दूसरी चीज़ों का मुआयना करता था और उनके चालचलन पर भी नज़र रखता था। रोमी सेना युद्ध के लिए कितनी तैयार और कुशल है, यह ज़्यादातर एक शतपति पर निर्भर करता था। आम तौर पर शतपति को सेना में सबसे तजुरबेकार और खास माना जाता था। इसलिए उस शतपति की नम्रता और उसका विश्वास वाकई गौर करने लायक था जो यीशु के पास आया था।
यीशु ने अपने हालात की तुलना जानवरों से करते हुए कहा कि लोमड़ियों की माँदें और पंछियों के बसेरे होते हैं, लेकिन उसका अपना कोई घर नहीं है। यहाँ जिस प्रजाति की लोमड़ी (वल्पीज़ वल्पीज़ ) दिखायी गयी है वह न सिर्फ मध्य पूर्वी देशों में बल्कि अफ्रीका, एशिया, यूरोप और उत्तर अमरीका में भी पायी जाती है। इस प्रजाति को ऑस्ट्रेलिया भी लाया गया है। लोमड़ियाँ आम तौर पर ज़मीन खोदकर अपनी माँद बनाती हैं। लेकिन कभी-कभी वे चट्टान की दरारों में या दूसरे जानवरों के खाली बिलों में रहती हैं या कई बार वे ज़बरदस्ती उनमें रहने लगती हैं। पंछियों की बात लें, तो अनुमान लगाया गया है कि इसराएल में साल के अलग-अलग मौसम में 470 किस्म के पंछी पाए जाते हैं। उनमें से एक है, चेट्टी वॉर्ब्लर (चेटिया चेट्टी )। पंछियों के घोंसले भी अलग-अलग किस्म के होते हैं। वे पेड़ों पर, पेड़ के कोटर में या चट्टान पर अपना घोंसला बनाते हैं। वे अपना घोंसला टहनियों, पत्तियों, समुद्री पौधों, ऊन, अनाज के डंठलों, काई और पंखों वगैरह से बनाते हैं। इसराएल में कहीं पहाड़ों की चोटियाँ हैं जहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है, तो कहीं गहरी घाटियाँ हैं जो काफी गरम होती हैं और कहीं सूखा रेगिस्तान है, तो कहीं समुद्र-तट के मैदान। यह सब भूमध्य सागर के दक्षिण-पूर्व में पाया जाता है। ये सारी चीज़ें पंछियों को आकर्षित करती हैं जो या तो हमेशा के लिए यहाँ रहते हैं या फिर यहाँ के अलग-अलग इलाकों में प्रवास करते हैं।
गलील झील के पूर्वी किनारे पर ही यीशु ने दो आदमियों में से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला और उन स्वर्गदूतों को सूअरों के झुंड में भेज दिया था।