क7-छ
यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरदन के पूरब में यीशु की बाद की सेवा
वक्त |
जगह |
घटना |
मत्ती |
मरकुस |
लूका |
यूहन्ना |
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32, समर्पण के त्योहार के बाद |
यरदन के पार बैतनियाह |
वहाँ जाता है जहाँ यूहन्ना बपतिस्मा देता था; कई लोग यीशु पर विश्वास करते हैं |
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पेरिया |
यरूशलेम जाते वक्त शहरों और गाँवों में सिखाता है |
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सँकरे दरवाज़े से जाने का बढ़ावा देता है; यरूशलेम के लिए दुखी होता है |
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शायद पेरिया |
नम्रता की सीख देता है; मिसालें: खास-खास जगह बैठना और बहाना बनानेवाले मेहमान |
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चेला बनने की कीमत आँकना |
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मिसालें: खोयी हुई भेड़, खोया सिक्का, खोया हुआ बेटा |
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मिसालें: होशियार प्रबंधक, अमीर आदमी और लाज़र |
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विश्वास में बाधा, माफ करने और विश्वास करने के बारे में सिखाता है |
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बैतनियाह |
लाज़र मर गया और ज़िंदा किया गया |
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यरूशलेम; एप्रैम |
यीशु को मारने की साज़िश; वहाँ से चला जाता है |
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सामरिया; गलील |
दस कोढ़ियों को ठीक करता है; बताता है कि परमेश्वर का राज कैसे आएगा |
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सामरिया या गलील |
मिसालें: हार न माननेवाली विधवा, फरीसी और कर-वसूलनेवाला |
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पेरिया |
शादी और तलाक के बारे में सिखाता है |
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बच्चों को आशीष देता है |
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अमीर आदमी का सवाल; मिसाल: अंगूरों के बाग के मज़दूर और बराबर मज़दूरी |
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शायद पेरिया |
तीसरी बार अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है |
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याकूब और यूहन्ना के लिए राज में खास पदवी की गुज़ारिश |
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यरीहो |
यहाँ से गुज़रते वक्त दो अंधों को ठीक करता है; जक्कई से मिलता है; चाँदी के दस टुकड़ों की मिसाल |