पहले पेज का विषय | चिंताओं का कैसे करें सामना
पैसे की चिंता
पॉल और उसकी पत्नी के दो बेटे हैं। वह कहता है, “जब हमारे देश में सभी चीज़ों के दाम एकदम से बढ़ गए, तो खाना बहुत महँगा हो गया और खाने की बहुत कमी हो गयी। हमें खाना लेने के लिए घंटों तक लाइन में खड़ा होना पड़ता था। कई बार ऐसा होता था कि जब तक हमारी बारी आती, खाना खत्म हो चुका होता था। भूख के मारे लोग बहुत कमज़ोर हो गए थे और कुछ लोग तो सड़कों पर बेहोश हो जाते थे। रोज़मर्रा काम में आनेवाली चीज़ों के दाम आसमान छूने लगे। पहले वे चीज़ें लाखों में बिकने लगीं और फिर करोड़ों में। और फिर हमारे देश के पैसे की कोई कीमत नहीं रह गयी। मेरे बैंक के खाते में जो पैसा था, बीमा और मेरी पेंशन सबकुछ बेकार हो गया, वह पैसा किसी काम का नहीं रहा।”
पॉल समझ गया कि उसे अपने परिवार को ज़िंदा रखने के लिए समझदारी से काम लेना होगा। (नीतिवचन 3:21) वह बताता है, “मैं बिजली का काम करता था, लेकिन मुझे जो भी काम मिला, मैंने किया और वह भी बहुत कम पैसों में। कुछ लोग मुझे पैसे देने के बजाय खाना देते थे या घर में इस्तेमाल होनेवाली कोई चीज़ देते थे। अगर कोई मुझे चार टिकिया साबुन देता था, तो मैं दो रख लेता था और बाकी दो बेच देता था। फिर मैंने 40 मुर्गियों के चूज़े लिए। जब वे बड़े हुए, तो मैंने उन्हें बेचकर 300 और चूज़े खरीद लिए। कुछ समय बाद मैंने 50 मुर्गियों के बदले में किसी से 50-50 किलो के मकई के दो बोरे लिए। उनसे मैंने अपने परिवार और दूसरे कई परिवारों का काफी लंबे समय तक पेट पाला।”
पॉल यह भी जानता था कि ऐसे वक्त में सबसे ज़रूरी कदम जो हमें उठाना चाहिए, वह है परमेश्वर पर भरोसा रखना। जब हम परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं, तो वह हमारी मदद करता है। और जहाँ तक ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करने का सवाल है, तो इस बारे में यीशु ने कहा था, “कशमकश में रहकर चिंता करना बंद करो, क्योंकि . . . तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन चीज़ों की ज़रूरत है।”—लूका 12:29-31.
अफसोस कि परमेश्वर के सबसे बड़े दुश्मन, शैतान ने इस दुनिया के ज़्यादातर लोगों को इस कदर गुमराह कर दिया है कि उनके लिए खाने-पहनने कि चीज़ें ही सबसे ज़्यादा मायने रखती हैं। लोग अपनी ज़रूरतों को लेकर हद-से-ज़्यादा चिंता करते हैं, फिर चाहे उन्हें असल में उनकी ज़रूरत हो या नहीं। और कई बार तो वे गैर-ज़रूरी चीज़ों को हासिल करने के लिए बहुत जद्दोजेहद नीतिवचन 22:7.
करते हैं। कई लोग कर्ज़ में डूब जाते हैं। मुश्किल में फँसने के बाद उन्हें एहसास होता है कि “उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है।”—कुछ लोग गलत फैसले ले लेते हैं, जिस वजह से उन्हें आगे चलकर बुरे नतीजे भुगतने पड़ते हैं। पॉल बताता है, “हमारे पड़ोस में रहनेवाले कई लोग अपने परिवार-दोस्तों को छोड़कर परदेस चले गए, यह सोचकर कि वहाँ जाकर बहुत पैसा कमाएँगे। कुछ लोग तो बिना सरकारी कागज़ात के ही बाहर चले गए और वहाँ उन्हें कोई काम नहीं मिला। वे अकसर पुलिस की नज़रों से छिपते-फिरते और सड़कों पर सोते। उन्होंने कभी परमेश्वर से मदद नहीं माँगी। लेकिन हमने फैसला किया कि हम परमेश्वर की मदद से अपनी आर्थिक समस्याओं का एक परिवार के तौर पर मिलकर सामना करेंगे।”
यीशु की सलाह मानना
पॉल बताता है कि “यीशु ने कहा था, ‘अगले दिन की चिंता कभी न करना, क्योंकि अगले दिन की अपनी ही चिंताएँ होंगी। आज के लिए आज की मुसीबत काफी है।’ इसलिए हर दिन मैं प्रार्थना करता था कि ‘आज के दिन की रोटी हमें दे,’ ताकि हम ज़िंदा रह सकें। और परमेश्वर ने हमारी मदद भी की, ठीक जैसे यीशु ने वादा किया था। हमें खाने के लिए हमेशा अपनी पसंद की चीज़ नहीं मिलती थी। एक बार ऐसा हुआ कि मैं खाना लेने के लिए लाइन में खड़ा था, लेकिन मैं नहीं जानता था कि वहाँ क्या बिक रहा है। और जब मेरी बारी आयी, तो मुझे पता चला कि यहाँ तो दही बेची जा रही है। मुझे दही बिलकुल भी पसंद नहीं। लेकिन कम-से-कम हमें खाने के लिए कुछ तो मिल रहा था, इसलिए उस रात हमने वही खाया। मैं परमेश्वर का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि मुश्किल की उस घड़ी में भी मेरा परिवार एक दिन भी भूखे पेट नहीं सोया।” *
परमेश्वर ने वादा किया है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।”—इब्रानियों 13:5
“पहले के मुकाबले आज हमारी आर्थिक हालत काफी हद तक ठीक है। लेकिन हमने अपने अनुभव से सीखा है कि चिंता दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है परमेश्वर पर भरोसा रखना। यहोवा परमेश्वर हमेशा हमारी मदद करता है, अगर हम उसकी मरज़ी पूरी करें। (बाइबल के मुताबिक परमेश्वर का नाम यहोवा है।) भजन 34:8 में दिए इन शब्दों को हमने पूरा होते हुए देखा है, ‘परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो उसकी शरण लेता है।’ नतीजा, अब हमें यह सोचकर डर नहीं लगता कि कल को अगर हमें फिर से आर्थिक समस्या का सामना करना पड़े, तो हमारा क्या होगा।”
“अब हमें यह बात अच्छी तरह समझ में आ गयी है कि इंसान को ज़िंदा रहने के लिए पैसे या नौकरी की ज़रूरत नहीं है, ज़रूरत है तो खाने की। हम बेसब्री से उस वक्त का इंतज़ार कर रहे हैं, जब यहोवा अपने इस वादे को पूरा करेगा कि धरती पर ‘बहुत सा अन्न होगा।’ जब तक वह दिन नहीं आता, ‘अगर हमारे पास खाना, कपड़ा और सिर छिपाने की जगह है, तो हम उसी में संतोष’ करेंगे। पवित्र किताब बाइबल में दिए इन शब्दों से हमें बहुत हिम्मत मिलती है, ‘तुम्हारे जीने के तरीके में पैसे का प्यार न हो, और जो कुछ तुम्हारे पास है उसी में संतोष करो। क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।” इसलिए हम पूरी हिम्मत रखें और यह कहें: “यहोवा मेरा मददगार है, मैं न डरूँगा।”’” *
पॉल और उसका परिवार जिस तरह परमेश्वर की बतायी राह पर चला, उसके लिए मज़बूत विश्वास का होना बहुत ज़रूरी है। (उत्पत्ति 6:9) अगर हम पॉल की तरह परमेश्वर पर विश्वास रखें और समझ से काम लें, तो फिर चाहे हम आज आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हों, या भविष्य में हमें पैसे की चिंता सताए, हम इसका डटकर सामना कर पाएँगे।
अगर हमें परिवार की चिंता सता रही है, तो हम क्या कर सकते हैं? (w15-E 07/01)