यहोवा की नज़र में नम्र लोग अनमोल है
परमेश्वर के करीब आइए
यहोवा की नज़र में नम्र लोग अनमोल है
घमंड, जलन, बड़ा बनने का जुनून। ऐसे अवगुण आज उन लोगों में बहुत आम हैं, जिनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है। पर क्या ये अवगुण हमें यहोवा परमेश्वर के करीब लाते हैं? जी नहीं, बल्कि ये हमें परमेश्वर से और भी दूर ले जाते हैं। क्योंकि यहोवा की नज़र में नम्र लोग अनमोल हैं। यह हमें बाइबल की किताब गिनती के अध्याय 12 में दिए किस्से से पता चलता है। यह तब की बात है, जब इसराएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाया गया और वे सीनै नाम के वीराने में डेरा डाले हुए थे।
मूसा की बड़ी बहन मरियम और बड़े भाई हारून को उससे कुछ गिला-शिकवा था। मगर इस बारे में मूसा से अकेले में बात करने के बजाय, वे खुलेआम उसके “विरोध में बोलने लगे।” (आयत 1, नयी हिन्दी बाइबिल) वे शायद सभी लोगों में मूसा के खिलाफ बात फैलाने लगे। इस ब्यौरे में मरियम का नाम पहले आता है, जिससे ज़ाहिर होता है कि कुड़कुड़ाने की शुरूआत उसी ने की होगी। शिकायत की पहली वजह थी कि मूसा ने एक कूशी स्त्री से शादी की। मरियम को शायद लगा हो कि मूसा की पत्नी की वजह से, जो एक इसराएली भी नहीं थी, अब छावनी में सबसे खास स्त्री होने का सम्मान उससे छिन जाएगा। इसलिए जलन के मारे वह मूसा के खिलाफ बड़बड़ाने लगी।
मगर शिकायत की और भी वजह थीं। मरियम और हारून ने बार-बार कहा: “क्या यहोवा ने केवल मूसा ही के साथ बातें की हैं? क्या उस ने हम से भी बातें नहीं कीं?” (आयत 2) क्या इससे पता नहीं चलता कि उनके कुड़कुड़ाने की असली वजह थी, ज़्यादा अधिकार और रुतबा पाने की चाहत?
बाइबल बताती है कि मूसा ने अपने खिलाफ शिकायतों के जवाब में कुछ नहीं कहा। इससे ज़ाहिर है कि वह चुपचाप उन्हें सहता रहा। उसके धीरज धरने से बाइबल की यह बात पुख्ता हुई कि ‘मूसा पृथ्वी-भर के रहनेवाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।’ * (आयत 3) और वैसे भी, मूसा को खुद का बचाव करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। यहोवा ने सबकुछ सुन लिया और उसने मूसा की पैरवी की।
जब मरियम और हारून, मूसा की शिकायत करने लगे, तो यहोवा ने इसे अपने खिलाफ की गयी शिकायत समझा। आखिरकार, परमेश्वर ने ही मूसा को इसराएलियों का नेता ठहराया था। इन कुड़कुड़ानेवालों को फटकार लगाते हुए उसने उन्हें याद दिलाया कि उसका मूसा के साथ एक अनोखा रिश्ता है। यहोवा ने कहा: ‘मैं उससे आमने-सामने बातें करता हूँ।’ फिर उसने मरियम और हारून से पूछा: “सो तुम . . . मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे?” (आयत 8) मूसा के खिलाफ बोलकर उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ बोलने का गुनाह किया। इस तरह सरेआम परमेश्वर का अनादर करने की वजह से अब उन पर यहोवा का क्रोध भड़क उठा।
मरियम, जो शायद शिकायत करने में आगे थी, कोढ़ से पीड़ित हो गयी। तब हारून फौरन मूसा के सामने गिड़गिड़ाया कि वह परमेश्वर से मरियम को माफ करने के लिए बिनती करे। ज़रा सोचिए, मरियम ने जिस मूसा के खिलाफ बात की, अब उसी मूसा की मदद की उसे ज़रूरत थी! मूसा ने नम्रता से हारून की गुज़ारिश मानी। इस पूरे ब्यौरे में, अब जाकर मूसा ने अपना मुँह खोला। उसने दिल से यहोवा से प्रार्थना की और अपनी बहन को माफ करने के लिए कहा। मरियम ठीक हो गयी। मगर उसे सात दिन तक मजबूरन सब लोगों से अलग रहना पड़ा और शर्मिंदगी सहनी पड़ी।
इस ब्यौरे से हम सीखते हैं कि यहोवा किन गुणों की कदर करता है और उसे किन अवगुणों से नफरत है। अगर हम परमेश्वर के करीब आना चाहते हैं, तो हमें अपने अंदर से घमंड, जलन और बड़ा बनने के जुनून को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। यहोवा नम्र लोगों से प्यार करता है। वह वादा करता है: “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन 37:11; याकूब 4:6. (w09 08/01)
[फुटनोट]
^ नम्रता एक ज़बरदस्त गुण है, जो एक इंसान को नाइंसाफी सहने की ताकत देता है। साथ ही, यह उसे बदला लेने की भावना से भी दूर रखता है।