अनाथों का पिता
परमेश्वर के करीब आइए
अनाथों का पिता
‘परमेश्वर अपने पवित्र धाम में अनाथों का पिता है।’ (भजन 68:5) ईश्वर-प्रेरणा से लिखे ये शब्द हमें उसके और भी करीब लाते हैं। इससे हम सीखते हैं कि उसे लाचार और बेसहारा लोगों की बहुत फिक्र है और वह उनकी ज़रूरतों का पूरा खयाल रखता है। उसे अनाथ बच्चों की परवाह है, इसका सबूत हमें इसराएलियों को दिए कानून से मिलता है। आइए निर्गमन 22:22-24 देखें, जहाँ “अनाथ बालक” * का सबसे पहला ज़िक्र मिलता है।
परमेश्वर ने कहा: “किसी . . . अनाथ बालक को दुःख न देना।” (आयत 22) यह महज़ एक गुज़ारिश नहीं, बल्कि परमेश्वर की आज्ञा थी। जब एक बच्चे के सिर से पिता का साया उठ जाता है, तो एक तरह से उसकी हिफाज़त और ज़रूरतें पूरी करनेवाला कोई नहीं रह जाता। ऐसे में वह आसानी से दूसरे के ज़ुल्मों का शिकार बन सकता है। इसलिए परमेश्वर ने यह आदेश दिया कि ऐसे बच्चों को किसी भी तरह का “दुःख” न दिया जाए। बाइबल के दूसरे अनुवादों में शब्द “दुःख” के लिए “दुर्व्यवहार” और ‘बुरा करना’ इस्तेमाल किया गया है। अनाथों के साथ बुरा सलूक करना परमेश्वर की नज़र में एक गंभीर बात थी। यह कितना गंभीर था?
परमेश्वर ने आगे बताया: “यदि तुम ऐसों को किसी प्रकार का दुःख दो, और वे कुछ भी मेरी दोहाई दें, तो मैं निश्चय उनकी दोहाई सुनूंगा।” (आयत 23) मूल इब्रानी पाठ में, आयत 22 में शब्द “तुम” बहुवचन में इस्तेमाल किया गया है, जबकि आयत 23 में एकवचन में इस्तेमाल किया गया है। इससे पता चलता है कि चाहे एक व्यक्ति हो या पूरी इसराएल जाति, सभी को परमेश्वर की यह आज्ञा माननी थी। परमेश्वर यहोवा की नज़र और उसके कान अनाथ बालकों पर लगे रहते थे। इसका मतलब है कि वह उनकी मदद करने के लिए हरदम तैयार रहता था।—भजन 10:14; नीतिवचन 23:10, 11.
मगर तब क्या, जब एक व्यक्ति किसी अनाथ बच्चे के साथ बुरा बर्ताव करता और इस वजह से वह बच्चा परमेश्वर की दोहाई देता? यहोवा ने कहा: “तब मेरा क्रोध भड़केगा, और मैं तुम को तलवार से मरवाऊंगा।” (आयत 24) बाइबल पर लिखी एक किताब कहती है कि “मेरा क्रोध भड़केगा,” इन शब्दों का “शाब्दिक अर्थ है ‘मेरी नाक गर्म हो जाएगी।’ यह एक मुहावरा है, जो तब इस्तेमाल किया जाता है जब एक व्यक्ति का गुस्सा हद पार कर जाता है।” ध्यान दीजिए कि यहोवा ने इंसानी न्यायियों को यह अधिकार नहीं दिया था कि वे अनाथ बच्चों पर ज़ुल्म ढानेवालों को सज़ा दें। इसके बजाय, उसने कहा कि वह खुद उन्हें सज़ा देगा।—व्यवस्थाविवरण 10:17, 18.
यहोवा बदला नहीं है। (मलाकी 3:6) आज भी उसके दिल में उन बच्चों के लिए दया उमड़ती है, जिनके माँ या पिता, या दोनों की मौत हो चुकी है। (याकूब 1:27) इसमें कोई शक नहीं कि जब मासूम बच्चों पर कोई अत्याचार करता है, तो अनाथों का पिता, यहोवा का गुस्सा भड़क उठता है। बेसहारा अनाथों का फायदा उठानेवाले ‘यहोवा के भड़कते हुए क्रोध’ से हरगिज़ नहीं बचेंगे। (सपन्याह 2:2) तब दुष्ट लोग जान जाएँगे कि “जीवित परमेश्वर के हाथों में पड़ना [कितनी] भयानक बात है”!—इब्रानियों 10:31. (w09 4/1)
[फुटनोट]
^ ‘अनाथ’ और ‘अनाथ बालक,’ ये शब्द बाइबल में 40 से भी ज़्यादा बार आते हैं। इन शब्दों के लिए इब्रानी में जो शब्द इस्तेमाल किया गया है, वह पुल्लिंग में है। फिर भी इसका यह मतलब नहीं कि इस कानून में जो सिद्धांत दिया गया है, वह अनाथ लड़कियों पर लागू नहीं होता। मूसा के कानून के तहत, अनाथ लड़कियों को भी समान अधिकार दिए जाते थे।—गिनती 27:1-8.