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आपके पास खुश होने की वजह है

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आपके पास खुश होने की वजह है

सबसे छोटी जीवित कोशिका से लेकर विशाल मंदाकिनियों के समूहों और महा-समूहों में एक व्यवस्था नज़र आती है। लेकिन इसमें ताज्जुब करने की बात नहीं, क्योंकि इस दुनिया का बनानेवाला ‘गड़बड़ी का परमेश्‍वर नहीं’ है। (1 कुरिं. 14:33) उपासना के मामले में भी परमेश्‍वर की व्यवस्था देखकर हम दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं! गौर कीजिए कि यहोवा ने क्या किया है। उसने लाखों बुद्धिमान प्राणियों से इस विश्‍व में एक ऐसा संगठन तैयार किया है जिसमें स्वर्गदूत और इंसान दोनों शामिल हैं। उन सभी को अपने फैसले खुद करने की आज़ादी है, फिर भी वे एक होकर सच्ची उपासना करते हैं। है न कमाल की बात!

प्राचीन इसराएल में धरती पर यहोवा का संगठन यरूशलेम में था, जहाँ उसका मंदिर था और जहाँ उसके अभिषिक्‍त राजा रहते थे। बैबिलोन की कैद में एक इसराएली ने पवित्र शहर यरूशलेम के लिए अपनी भावनाएँ यूँ ज़ाहिर कीं: “यदि मैं तुझे स्मरण न रखूं, यदि मैं यरूशलेम को, अपने सब आनन्द से श्रेष्ठ न जानूं, तो मेरी जीभ तालू से चिपट जाए!”—भज. 137:6.

क्या आप भी परमेश्‍वर के संगठन के बारे में ऐसा ही महसूस करते हैं? क्या आपको इस बात से सबसे ज़्यादा खुशी मिलती है कि आप इस संगठन का भाग हैं? क्या आपके बच्चे, धरती पर परमेश्‍वर के संगठन के इतिहास और उसके कामों के बारे में जानते हैं? क्या उन्हें इस बात का एहसास है कि वे दुनिया भर में फैले यहोवा के साक्षियों की बिरादरी का एक हिस्सा हैं? (1 पत. 2:17) क्यों न आप अपनी पारिवारिक उपासना में आगे दिए सुझावों को लागू करें, ताकि आपका परिवार यहोवा के संगठन को और अच्छी तरह समझ सके और उसकी कदर कर सके?

‘प्राचीनकाल के कामों को’ याद कीजिए

इसराएली परिवार हर साल फसह का त्योहार मनाने के लिए इकट्ठा हुआ करते थे। जब इस त्योहार की शुरूआत की गयी तब मूसा ने लोगों से कहा: “आगे के दिनों में जब तुम्हारे पुत्र तुम से पूछें, कि यह क्या है? तो उन से कहना, कि यहोवा हम लोगों को दासत्व के घर से, अर्थात्‌ मिस्र देश से अपने हाथों के बल से निकाल लाया है।” (निर्ग. 13:14) यहोवा ने इसराएलियों के लिए जो किया, उसे लोगों को हमेशा याद रखना था। वाकई इसराएल के कई पिताओं ने मूसा की बात मानी। कई पीढ़ियों के बाद एक इसराएली ने प्रार्थना की: “हे परमेश्‍वर हम ने अपने कानों से सुना, हमारे बापदादों ने हम से वर्णन किया है, कि तू ने उनके दिनों में और प्राचीनकाल में क्या क्या काम किए हैं।”—भज. 44:1.

एक जवान के लिए यहोवा के साक्षियों का 100 साल पुराना इतिहास “प्राचीनकाल” का लग सकता है। अपने बच्चों के लिए आप उस इतिहास को कैसे ज़िंदा कर सकते हैं? ऐसा करने के लिए कुछ माता-पिता यहोवा के साक्षी—परमेश्‍वर के राज्य की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी) किताब, इयरबुक, हमारे साहित्य में छपी जीवन कहानियाँ या यहोवा के कामों की रिपोर्ट बताते हैं। आप नयी डीवीडी दिखा सकते हैं, जिसमें आज के ज़माने के यहोवा के लोगों का इतिहास बताया गया है। भूतपूर्व सोवियत संघ और नात्ज़ी जर्मनी में जिस तरह हमारे भाइयों पर अत्याचार किए गए, उनके बारे में वीडियो दिखाइए। ये सिखाते हैं कि मुसीबतों के दौर में हमें कैसे यहोवा पर निर्भर रहना चाहिए। अपनी पारिवारिक उपासना में ऐसी जानकारी शामिल कीजिए। इनसे आपके बच्चों का विश्‍वास बहुत मज़बूत होगा, खासकर जब उनकी खराई परखी जाएगी।

इतिहास के बारे में अगर भाषण दिया जाए तो बच्चे जल्द ही ऊब जाएँगे। इसलिए कोई ऐसा तरीका अपनाइए जिससे आपके बच्चे उसमें पूरी तरह भाग ले सकें। उदाहरण के लिए आप अपने बेटे से कह सकते हैं कि वह अपने पसंदीदा देश का नाम बताए। उसके बाद उससे कहिए कि वह उस देश के बारे में यहोवा के साक्षियों के इतिहास की खोज करे। फिर वह जो भी सीखे उसमें से कुछ परिवार के सदस्यों को बताए। आपकी मंडली में शायद कुछ ऐसे मसीही हों जो बरसों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, आप उन्हें अपनी पारिवारिक उपासना में आने का बुलावा दे सकते हैं। आप चाहें तो अपनी बेटी से उनसे सवाल पूछने को कह सकते हैं ताकि वे अपने अनुभव बता सकें। या फिर आप अपने बच्चों से कह सकते हैं कि वे शाखा दफ्तर के निर्माण काम की, अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन या पुराने ज़माने में घर-घर की सेवा में इस्तेमाल होनेवाले फोनोग्राफ जैसी चीज़ों की तसवीरें बनाएँ, जिनका परमेश्‍वर के काम में बड़ा योगदान रहा है।

जानिए कि सब कैसे “अपना-अपना काम पूरा करते हैं”

प्रेषित पतरस ने मसीही मंडली की तुलना शरीर से की। उसने कहा: “शरीर के सारे अंग, ज़रूरी काम करनेवाले हरेक जोड़ के ज़रिए आपस में पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को सहयोग देते हैं और शरीर के ये अलग-अलग अंग अपना-अपना काम पूरा करते हैं। इसीलिए सारा शरीर बढ़ता जाता है और प्यार में अपना निर्माण करता है।” (इफि. 4:16) जब हम सीखते हैं कि इंसानी शरीर कैसे काम करता है, तो अपने सृष्टिकर्ता के लिए हमारी कदर बढ़ जाती है और हम उसे और भी आदर देने लगते हैं। उसी तरह जब हम जाँच करते हैं कि दुनिया भर में हमारी मंडलियाँ कैसे काम करती हैं तो हम “परमेश्‍वर की बुद्धि के अलग-अलग अनगिनत पहलू” जानकर हैरत में पड़ जाते हैं।—इफि. 3:10.

यहोवा बताता है कि उसका संगठन कैसे काम करता है, जिसमें स्वर्ग में हो रहे काम भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए वह कहता है कि उसने सबसे पहले यीशु मसीह को ज्ञान दिया, फिर “यीशु ने अपना स्वर्गदूत भेजकर ये बातें परमेश्‍वर के दास यूहन्‍ना को निशानियों के ज़रिए बतायीं,” जिसने उसकी “गवाही दी।” (प्रका. 1:1, 2) अगर परमेश्‍वर ने खुलासा किया है कि उसके संगठन का अदृश्‍य भाग कैसे काम करता है, तो क्या वह नहीं चाहेगा कि हम धरती पर उसके संगठन के बारे में भी जानें कि उसका हर भाग कैसे “अपना-अपना काम पूरा” करता है?

उदाहरण के लिए अगर आपकी मंडली में सर्किट निगरान दौरा करने के लिए आनेवाला है तो क्यों न परिवार के तौर पर आप उनके कामों और उन्हें मिलनेवाली आशीषों के बारे में चर्चा करें? वे कैसे हममें से हरेक की मदद करते हैं? दूसरे जिन सवालों पर गौर किया जा सकता है, वे हैं: हमें अपनी प्रचार सेवा की रिपोर्ट देना क्यों ज़रूरी है? परमेश्‍वर के संगठन को पैसा कहाँ से मिलता है? शासी निकाय को कैसे संगठित किया गया है और वह हमें आध्यात्मिक भोजन कैसे मुहैया कराता है?

जब हम यह समझ जाते हैं कि यहोवा के लोग कैसे संगठित हैं तो हमें कम-से-कम तीन तरीकों से फायदा होता है। हमारी कदर उन लोगों के लिए बढ़ती है, जो हमारे लिए कड़ी मेहनत करते हैं। (1 थिस्स. 5:12, 13) हमें बढ़ावा मिलता है कि हम परमेश्‍वर के सारे इंतज़ामों को सहयोग दें। (प्रेषि. 16:4, 5) और आखिर में जब हम देखते हैं कि मंडली में अगुवाई लेनेवाले कैसे बाइबल के आधार पर फैसले और इंतज़ाम करते हैं तो हमारा भरोसा उन पर और बढ़ जाता है।—इब्रा. 13:7.

“उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ”

“सिय्योन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो, उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आनेवाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।” (भज. 48:12, 13) यहाँ भजनहार इसराएलियों से आग्रह कर रहा है कि वे यरूशलेम को करीब से देखें। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जो इसराएली परिवार हर साल इस पवित्र शहर में त्योहार मनाने जाते थे और यहोवा के शानदार मंदिर को देखते थे, उनके दिलों में उस शहर की कितनी सुनहरी यादें बसी होंगी? उन्होंने ज़रूर “आनेवाली पीढ़ी” से उन ‘बातों का वर्णन’ किया होगा।

ज़रा शीबा की रानी के बारे में सोचिए। उसने सुलैमान के शानदार राज और उसकी महान बुद्धि का ऐसा बखान सुना कि उसे विश्‍वास नहीं हुआ। किस बात ने उसे यकीन दिलाया कि उसने जो सुना वह बिलकुल सही था? उसने कहा: “जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की।” (2 इति. 9:6) जी हाँ, “आंखों” देखी बात का हम पर ज़्यादा असर होता है।

आप अपने बच्चों के लिए ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि वे यहोवा के संगठन के हैरतअंगेज़ कामों को “अपनी आंखों” से देख सकें? अगर आपके शहर में यहोवा के साक्षियों का शाखा दफ्तर है तो क्यों न आप उसे देखने जाएँ। उदाहरण के लिए मैंडी और बैथनी अपने देश के बेथेल से करीब 1,500 किलोमीटर दूर रहती थीं। फिर भी उनके माता-पिता उन्हें कई बार बेथेल दिखाने ले जाते थे, खासकर जब वे बड़ी हो रही थीं। वे कहती हैं: “बेथेल का दौरा करने से पहले हम सोचते थे कि वहाँ का माहौल बहुत गंभीर होगा और सिर्फ बुज़ुर्ग लोग ही रहते होंगे। लेकिन वहाँ हमने कई जवानों को खुशी-खुशी यहोवा के लिए मेहनत से काम करते देखा। हमने पाया कि यहोवा का संगठन सिर्फ हमारे छोटे-से शहर तक ही सीमित नहीं था। हर बार बेथेल का दौरा करने से हम आध्यात्मिक रूप से तरो-ताज़ा हो जाते।” परमेश्‍वर के संगठन को इतने करीब से देखने से मैंडी और बैथनी को पायनियर सेवा शुरू करने का बढ़ावा मिला और उन्हें बेथेल में कुछ समय के लिए सेवा करने का बुलावा भी मिला।

आज यहोवा का संगठन ‘देखने’ का एक और तरीका है, जो प्राचीन इसराएलियों के लिए मुमकिन नहीं था। हाल के सालों में परमेश्‍वर के लोगों को ऐसे वीडियो और डीवीडी मिली हैं, जिनमें परमेश्‍वर के संगठन के कई पहलुओं को उजागर किया गया है। वे हैं: यहोवा के साक्षी—खुशखबरी सुनाने के लिए संगठित, हमारे भाइयों की पूरी बिरादरी, पृथ्वी के दूर-दूर देशों तक और ईश्‍वरीय शिक्षा के लिए एक किए गए (अँग्रेज़ी)। इसमें शक नहीं कि जब आप और आपका परिवार यह देखेगा कि कैसे बेथेल परिवार के सदस्य, राहत-कर्मी, मिशनरी कड़ी मेहनत करते हैं और दूसरे भाई अधिवेशनों की तैयारी के लिए किस तरह अच्छे इंतज़ाम करते हैं, तो दुनिया भर में अपने भाइयों के लिए आपकी कदरदानी ज़रूर बढ़ेगी।

परमेश्‍वर के लोगों की हर मंडली खुशखबरी का प्रचार करने और अपने इलाके के मसीहियों की मदद करने में अहम भूमिका निभाती है। फिर भी आप समय निकालकर ‘सारी दुनिया में अपने भाइयों की पूरी बिरादरी’ को याद कीजिए। इससे आपको और आपके बच्चों को “विश्‍वास में मज़बूत” बने रहने में मदद मिलेगी और आपको एहसास होगा कि आपके पास खुश होने की वजह है।—1 पत. 5:9.

[पेज 18 पर बक्स/तसवीर]

यहोवा का संगठन अध्ययन के लिए फायदेमंद विषय

हमारे लिए ऐसे ढेरों इंतज़ाम किए गए हैं जिनसे हम सभी यहोवा के संगठन के इतिहास और उसके कामों के बारे में ज़्यादा जानकारी ले सकते हैं। आगे दिए सवालों से आपको अध्ययन शुरू करने में मदद मिल सकती है:

सफरी निगरान के काम की शुरूआत कैसे हुई?—यहोवा के साक्षी—परमेश्‍वर के राज की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी), पेज 222-227.

सन्‌ 1941 में यहोवा के साक्षियों के सम्मेलन में “बच्चों के लिए दिन” की क्या खासियत थी?—यहोवा के साक्षी—परमेश्‍वर के राज की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी), पेज 86, 88.

शासी निकाय कैसे फैसले करता है?—परमेश्‍वर के राज के बारे में “अच्छी तरह गवाही” देना, (अँग्रेज़ी) पेज 108-114.