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‘जो नेक हैं वे सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे’

‘जो नेक हैं वे सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे’

‘जो नेक हैं वे सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे’

“जो परमेश्‍वर की नज़र में नेक हैं, वे उस वक्‍त अपने पिता के राज में सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे।”—मत्ती 13:43.

1. यीशु ने परमेश्‍वर के राज से जुड़ी किन बातों को समझाने के लिए मिसालें दीं?

 यीशु मसीह ने परमेश्‍वर के राज से जुड़ी अलग-अलग बातें समझाने के लिए कई मिसालें या कहानियाँ बतायी थीं। वाकई, उसने “भीड़ से . . . मिसालों में [बात की।] . . . वह बगैर मिसाल के उनसे बात नहीं करता था।” (मत्ती 13:34) राज की सच्चाई का बीज बोने की मिसालों में यीशु ने दो अहम बातों पर ज़ोर दिया। एक यह कि इस संदेश को स्वीकार करने के लिए एक इंसान का दिल किस हालत में होना चाहिए, और दूसरी यह कि इंसान की आध्यात्मिक तरक्की में यहोवा का कितना बड़ा हाथ है। (मर. 4:3-9, 26-29) यीशु ने एक मिसाल देकर यह भी समझाया कि भले ही हम प्रचार में अपनी मेहनत के नतीजे फौरन न देख पाएँ, फिर भी राज का संदेश स्वीकार करनेवालों की तादाद में शानदार बढ़ोतरी होती है। (मत्ती 13:31-33) साथ ही, उसने एक मिसाल देकर इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि परमेश्‍वर के राज का संदेश सुननेवालों में से हर कोई उस राज की प्रजा बनने के योग्य नहीं होता।—मत्ती 13:47-50. *

2. गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल में बढ़िया बीज किसे दर्शाता है?

2 लेकिन यीशु ने जो मिसालें बतायीं, उनमें से एक उन लोगों के इकट्ठा किए जाने के बारे में थी जो उसके राज में उसके साथ हुकूमत करेंगे। इस मिसाल को अकसर गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल कहा जाता है और यह मत्ती के अध्याय 13 में दर्ज़ है। गौर करने लायक बात यह है कि जबकि एक और मिसाल में यीशु हमें बताता है कि जो बीज बोया जाता है वह “राज का वचन” है, मगर गेहूँ और जंगली पौधों की इस मिसाल में, बोया गया बढ़िया बीज कुछ और यानी, परमेश्‍वर के ‘राज के बेटे’ हैं। (मत्ती 13:19, 38) ये राज की प्रजा नहीं बल्कि “बेटे” यानी राज के वारिस हैं।—रोमि. 8:14-17; गलातियों 4:6, 7 पढ़िए।

गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल

3. मिसाल में बताए गए आदमी के सामने कौन-सी समस्या थी और वह इसे किस तरह हल करने का फैसला करता है, समझाइए।

3 यीशु ने जो मिसाल दी वह यह है: “स्वर्ग का राज एक ऐसे आदमी की तरह है, जिसने अपने खेत में बढ़िया बीज बोया। लेकिन जब लोग रात को सो रहे थे, तो उसका दुश्‍मन आया और गेहूँ के बीच जंगली पौधे के बीज बोकर चला गया। जब पौधे बड़े हुए और उनमें बालें आयीं, तो जंगली पौधे भी दिखायी देने लगे। इसलिए घर-मालिक के दासों ने आकर उससे कहा, ‘मालिक, क्या तू ने अपने खेत में बढ़िया बीज न बोया था? तो फिर उसमें जंगली पौधे कहाँ से उग आए?’ मालिक ने कहा, ‘यह एक दुश्‍मन का काम है।’ उन्होंने उससे कहा, ‘तो क्या तू चाहता है कि हम जाकर जंगली पौधों को उखाड़ लाएँ?’ उसने कहा, ‘नहीं; कहीं ऐसा न हो कि जंगली पौधे उखाड़ते वक्‍त तुम उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ लो। कटाई के वक्‍त तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो और कटाई के दिनों में मैं काटनेवालों से कहूँगा, पहले जंगली दाने के पौधे उखाड़ लो और उन्हें जलाने के लिए गट्ठरों में बाँध दो, उसके बाद जाकर तुम गेहूँ को मेरे गोदाम में जमा करो।”—मत्ती 13:24-30.

4. (क) मिसाल में बताया गया आदमी कौन है? (ख) यीशु ने कब और कैसे ये बीज बोने का काम शुरू किया?

4 इस मिसाल में बताया गया वह आदमी कौन है जिसने अपने खेत में बढ़िया बीज बोया? यीशु ने इस सवाल का जवाब बाद में अपने चेलों को दिया जब वह उन्हें इस मिसाल का मतलब समझा रहा था। उसने चेलों से कहा: “बढ़िया बीज बोनेवाला, इंसान का बेटा है।” (मत्ती 13:37) “इंसान के बेटे” यीशु ने धरती पर साढ़े तीन साल की सेवा के दौरान बीज बोने के लिए खेत तैयार किए। (मत्ती 8:20; 25:31; 26:64) फिर ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त त्योहार के दिन से उसने बढ़िया बीज यानी “राज के बेटे” बोने शुरू किए। सबूतों से पता चलता है कि बीज बोने का यह काम तब शुरू हुआ जब यहोवा के प्रतिनिधि के नाते यीशु अपने चेलों पर पवित्र शक्‍ति उंडेलने लगा और इस तरह उनका अभिषेक किया जिससे वे परमेश्‍वर के बेटे बने। * (प्रेषि. 2:33) ये बढ़िया बीज बढ़ते-बढ़ते गेहूँ के पके पौधे बन गए। तो बढ़िया बीज बोने का यह मकसद था कि उस गिनती के सभी लोगों को आखिरकार इकट्ठा कर लिया जाए जो यीशु के राज में उसके साथ वारिस होंगे और उसके साथ राज करेंगे।

5. मिसाल में बताया गया दुश्‍मन कौन है? और जंगली पौधे किन्हें दर्शाते हैं?

5 वह दुश्‍मन कौन है जो जंगली पौधों के बीज बो देता है? और ये जंगली पौधे क्या हैं? यीशु बताता है कि दुश्‍मन “शैतान है।” जंगली पौधों को “उस दुष्ट के बेटे” बताया गया है। (मत्ती 13:25, 38, 39) यीशु ने मिसाल में जिस जंगली पौधे का ज़िक्र किया वह शायद एक किस्म का खरपतवार है। यह ज़हरीला पौधा शुरूआत में काफी हद तक गेहूँ जैसा दिखता है, लेकिन पूरी तरह बढ़ने के बाद इन दोनों के बीच फर्क दिखायी देता है। यह मिसाल नकली मसीहियों के लिए बिलकुल सही मिसाल है। क्योंकि वे दावा तो करते हैं कि वे परमेश्‍वर के राज के बेटे हैं मगर असली फल पैदा नहीं करते! मसीह के चेले होने का दावा करनेवाले ये ढोंगी मसीही, असल में शैतान का “वंश” हैं।—उत्प. 3:15.

6. जंगली पौधे कब से दिखायी देने लगे? और लोग उस वक्‍त किस मायने में “सो रहे थे”?

6 जंगली पौधों जैसे ये नकली मसीही कब दिखायी देने लगे? यीशु ने बताया, “जब लोग रात को सो रहे थे” तब। (मत्ती 13:25) मसीही मंडली के इतिहास में ऐसा कब हुआ? इसका जवाब प्रेषित पौलुस के इन शब्दों से मिलता है जो उसने इफिसुस के प्राचीनों से कहे थे: “मैं जानता हूँ कि मेरे जाने के बाद अत्याचारी भेड़िए तुम्हारे बीच घुस आएँगे और झुंड के साथ कोमलता से पेश नहीं आएँगे, और तुम्हारे ही बीच में से ऐसे आदमी उठ खड़े होंगे जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहेंगे।” (प्रेषि. 20:29, 30) पौलुस ने उन प्राचीनों को खबरदार किया कि वे परमेश्‍वर की भेड़ों की रखवाली करने के लिए जागते रहें। यीशु के प्रेषित जब तक ज़िंदा रहे तब तक उन्होंने उन लोगों को “रोकने का काम” किया जो सच्चे मसीही धर्म के खिलाफ बगावत पर उतर आए थे। मगर जब प्रेषित एक-एक कर मौत की नींद सो गए तो बहुत-से मसीही आध्यात्मिक मायने में मानो सो गए। (2 थिस्सलुनीकियों 2:3, 6-8 पढ़िए।) यही वह वक्‍त था जब सच्चे मसीही धर्म के खिलाफ बड़े पैमाने पर धर्मत्याग या बगावत शुरू हुई।

7. क्या गेहूँ की कुछ फसल ही जंगली पौधे बन गयी? समझाइए।

7 यीशु ने यह नहीं कहा था कि गेहूँ के कुछ पौधे ही जंगली पौधे बन जाएँगे बल्कि यह बताया था कि गेहूँ के बीच जंगली पौधों के बीज बोए गए। तो इसका मतलब, यह मिसाल उन सच्चे मसीहियों के बारे में नहीं है जो बाद में सच्चाई पर चलना छोड़ देते हैं। इसके बजाय यह मिसाल, मसीही मंडली को भ्रष्ट करने की शैतान की ज़बरदस्त कोशिश पर ध्यान दिलाती है, जिसके चलते वह दुष्ट लोगों को मसीही मंडली के अंदर ले आया था। मंडली के अंदर दुष्ट लोगों को लाकर शैतान इसे भ्रष्ट करने में काफी हद तक कामयाब रहा। सबसे आखिरी प्रेषित, यूहन्‍ना के काफी बूढ़े होने के वक्‍त तक सच्चे मसीही धर्म के खिलाफ यह धर्मत्याग या बगावत बिलकुल साफ नज़र आने लगी थी।—2 पत. 2:1-3; 1 यूह. 2:18.

“कटाई के वक्‍त तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो”

8, 9. (क) मिसाल में मालिक ने अपने दासों को जो आदेश दिया, वह यीशु के सुननेवालों को क्यों सही लगा होगा? (ख) खेत जैसी दुनिया में गेहूँ और जंगली पौधों के साथ-साथ बढ़ने की मिसाल कैसे सच साबित हुई?

8 मिसाल में बताए गए मालिक के दास आकर उसे इस समस्या के बारे में बताते हैं और उससे पूछते हैं: “क्या तू चाहता है कि हम जाकर जंगली पौधों को उखाड़ लाएँ?” (मत्ती 13:27, 28) मालिक का जवाब सुनकर शायद हमें ताज्जुब हो। वह अपने दासों से कहता है कि गेहूँ और जंगली पौधों को कटाई के वक्‍त तक साथ-साथ बढ़ने दो। यीशु के चेलों को इस आदेश की वजह बिलकुल साफ समझ में आयी होगी। वे अनुभव से जानते थे कि गेहूँ और जंगली पौधे के बीच फर्क करना कितना मुश्‍किल होता है। जिन्हें खेती-बाड़ी का तजुरबा है वे भी अच्छी तरह जानते हैं कि इस किस्म के खरपतवार की जड़ें गेहूँ के पौधों की जड़ों में किस तरह गुंथी हुई होती हैं। * तो फिर बिलकुल सही वजह से मालिक उन्हें सही वक्‍त तक इंतज़ार करने के लिए कहता है!

9 जैसा इस मिसाल में बताया गया है ठीक उसी तरह, दुनिया के ईसाई धर्मों के बेहिसाब गुट, सदियों से भरपूर मात्रा में जंगली दानों की पैदावार करते आए हैं। पहले रोमन कैथोलिक चर्च और ऑर्थोडॉक्स चर्च में और फिर अनगिनत प्रोटैस्टंट पंथों में ये जंगली पौधे जैसे नकली मसीही पैदा हुए। पर साथ ही खेत जैसी इस दुनिया में, असली गेहूँ के कुछ बीज भी बोए जाते रहे हैं। मिसाल में बताया गया मालिक फसल के बढ़ने के एक लंबे वक्‍त के दौरान सब्र के साथ इंतज़ार करता है, जिसके बाद कटाई का वक्‍त आता है जो बहुत कम वक्‍त का होता है।

कटाई का वक्‍त, जिसका सदियों से इंतज़ार था

10, 11. (क) कटाई का वक्‍त कौन-सा है? (ख) गेहूँ जैसे असली मसीहियों को यहोवा के गोदाम में कैसे लाया जा रहा है?

10 यीशु हमें बताता है: “कटाई, दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त है और कटाई करनेवाले स्वर्गदूत हैं।” (मत्ती 13:39) इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था के आखिरी दिनों के दौरान लोगों को अलग करने का काम किया जाता है। राज के बेटों को, जो गेहूँ जैसे हैं, इकट्ठा किया जाना है और उन्हें जंगली पौधों जैसे नकली मसीहियों से अलग किया जाना है। इस बारे में प्रेषित पतरस हमें बताता है: “वह तय किया हुआ वक्‍त आ पहुँचा है जब न्याय हो, और इस न्याय की शुरूआत परमेश्‍वर के घर से होगी। अगर इसकी शुरूआत हम ही से होगी, तो उनका क्या हश्र होगा जो परमेश्‍वर से मिली खुशखबरी का वचन मानने से इनकार करते हैं?”—1 पत. 4:17.

11 आखिरी दिन या “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” शुरू होने के कुछ ही वक्‍त बाद उन सभी का न्याय किया जाने लगा जो असली मसीही होने का दावा करते थे। उनका फैसला किया गया कि वे असल में “राज के बेटे” हैं या “उस दुष्ट के बेटे।” कटाई के काम की शुरूआत में “पहले” महानगरी बैबिलोन गिर गयी और “उसके बाद” राज के बेटों को इकट्ठा किया गया। (मत्ती 13:30) तब से राज के इन बेटों को, जिन्हें मिसाल में गेहूँ बताया गया है, यहोवा के गोदाम में कैसे लाया जा रहा है? कटाई के बाद इन्हें मसीही मंडली में लाया जा रहा है जिसे शुद्ध कर बहाल किया गया था, जहाँ इन्हें परमेश्‍वर की मंज़ूरी और हिफाज़त मिलती है और उनमें से जो मर जाते हैं उन्हें स्वर्गीय जीवन का इनाम मिलता है।

12. कटाई का काम कितने समय तक चलता है?

12 न्याय करने का यह वक्‍त कब तक जारी रहता है? यीशु ने कटाई के “दिनों” की बात की जिसका मतलब है कि कटाई कई दिनों तक चलती है। (प्रका. 14:15, 16) अभिषिक्‍त जनों में से हर शख्स “राज का बेटा” है या नहीं, इसका फैसला करने का काम इन आखिरी दिनों के दौरान चलता रहेगा। और यह तब तक चलेगा जब तक उन पर आखिरी मुहर नहीं लगायी जाती।—प्रका. 7:1-4.

13. किस मायने में जंगली पौधों जैसे लोग दूसरों के लिए पाप करने की वजह बनते हैं और वे किस तरह दुराचार करते हैं?

13 वे कौन हैं जिन्हें परमेश्‍वर के राज से बटोरकर निकाला जाएगा और वे कैसे दूसरों के लिए पाप करने की वजह बनते हैं और किस तरह दुराचारी हैं? (मत्ती 13:41) ये ईसाईजगत के पादरी हैं। ये जंगली दानों के पौधों जैसे हैं जिन्होंने सदियों से लाखों लोगों को गुमराह किया है। ये लोगों को ऐसी शिक्षाएँ सिखाते हैं जिनसे परमेश्‍वर का अपमान होता है और जो लोगों के लिए “पाप करने” या ठोकर खाने की ‘वजह बनती हैं।’ जैसे, यह शिक्षा कि बुरे लोगों को नरक की आग में हमेशा तड़पाया जाता है और परमेश्‍वर एक त्रियेक है, एक ऐसा रहस्य जिसे कोई समझ नहीं सकता। बहुत-से धर्म-गुरुओं ने परमेश्‍वर के बजाय इस संसार के साथ दोस्ती रखकर अपने लोगों के लिए बुरी मिसाल कायम की है क्योंकि यह परमेश्‍वर की नज़रों में बदचलनी है। और कुछ ने तो सचमुच बेहद घिनौने अनैतिक काम किए हैं। (याकू. 4:4) साथ ही, ईसाईजगत अपने सदस्यों के बीच बदचलनी को दिनों-दिन और भी ज़्यादा अनदेखा कर रहा है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता। (यहूदा 4 पढ़िए।) इन सबके बावजूद, ये नकली मसीही आज तक पवित्रता और परमेश्‍वर की भक्‍ति करने का दिखावा करते हैं। परमेश्‍वर के राज के बेटे कितने खुश हैं कि उन्हें जंगली पौधों जैसे इन लोगों के बुरे असर से और उनकी भ्रष्ट करनेवाली शिक्षाओं से अलग किया गया है जो दूसरों के लिए पाप करने की वजह बनती हैं!

14. जंगली पौधों जैसे नकली मसीही किस वजह से रोते और दाँत पीसते हैं?

14 मिसाल कहती है कि ये नकली मसीही रोते और दाँत पीसते हैं। (मत्ती 13:42) इसका क्या मतलब है? ‘उस दुष्ट के बेटों’ को इस बात से बेहद पीड़ा होती है कि “राज के बेटों” ने सारी दुनिया के सामने उनकी असलियत का, उनकी ज़हरीली शिक्षाओं का परदाफाश कर दिया है। वे यह देखकर भी मातम करते हैं कि उनके चर्च के सदस्यों की गिनती दिनों-दिन कम होती जा रही है और उनका दबदबा खत्म होता जा रहा है।—यशायाह 65:13, 14 पढ़िए।

15. इसका क्या मतलब है कि जंगली पौधों को आग में जला दिया जाएगा?

15 जंगली पौधों को इकट्ठा करने और आग में जलाने का क्या मतलब है? (मत्ती 13:40) यह दिखाता है कि जंगली दानों के पौधों का आखिरकार क्या अंजाम होगा। उन्हें जलते हुए भट्ठे में डाला जाता है जो इस बात की निशानी है कि वे हमेशा के लिए नाश किए जाएँगे। (प्रका. 20:14; 21:8) आनेवाले “महा-संकट” के दौरान जंगली पौधों जैसे इन नकली मसीहियों का, इन ढोंगियों का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।—मत्ती 24:21.

वे “सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे”

16, 17. मलाकी ने परमेश्‍वर के मंदिर के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी? और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होने लगी?

16 वह कौन-सा वक्‍त होगा जब असली मसीही “सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे”? (मत्ती 13:43) परमेश्‍वर के मंदिर के शुद्ध किए जाने के बारे में मलाकी ने यह भविष्यवाणी की थी: “प्रभु, जिसे तुम ढ़ूंढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा; हां वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, सुनो, वह आता है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। परन्तु उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार सी आग और धोबी के साबुन के समान है। वह रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे।”—मला. 3:1-3.

17 सबूत दिखाते हैं कि हमारे ज़माने में यह भविष्यवाणी शायद सन्‌ 1918 में पूरी होने लगी। उस वक्‍त यहोवा अपने ‘वाचा के दूत’ यीशु मसीह के साथ आत्मिक मंदिर का मुआयना करने आया। मलाकी हमें बताता है कि जब परमेश्‍वर के लोगों को शुद्ध करने का यह काम पूरा हो जाता है तब क्या होता है: “तब तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात्‌ जो परमेश्‍वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान सकोगे।” (मला. 3:18) उस वक्‍त सच्चे मसीही नए जोश के साथ परमेश्‍वर के काम में लग गए जिससे इस काम में बड़ी तेज़ी आ गयी। यह इस बात का इशारा था कि कटाई का वक्‍त शुरू हो चुका है।

18. दानिय्येल ने हमारे दिनों के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

18 भविष्यवक्‍ता दानिय्येल ने हमारे दिनों के बारे में यह भविष्यवाणी की थी: “तब सिखानेवालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों की नाईं प्रकाशमान रहेंगे।” (दानि. 12:3) ये कौन हैं जिनकी चमक इतनी तेज़ है? ये कोई और नहीं बल्कि अभिषिक्‍त मसीही हैं, जिन्हें यीशु की मिसाल में असली गेहूँ कहा गया है! दूसरी तरफ, जंगली पौधों जैसे नकली मसीहियों को ‘उखाड़ा’ जा रहा है, यह बात आज दिनों-दिन बढ़ती एक बड़ी भीड़ साफ समझ पा रही है। ये भेड़ जैसे नम्र लोगों की भीड़ है। भविष्य में परमेश्‍वर के राज की प्रजा बनने की उम्मीद रखनेवाले ये लोग, धरती पर आत्मिक इसराएल के बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों के संग हो लेते हैं और उनका साथ निभाते हैं और उनकी तरह अंधकार से भरी इस दुनिया में अपनी रौशनी चमकाते हैं।—जक. 8:23; मत्ती 5:14-16; फिलि. 2:15.

19, 20. “राज के बेटे” किस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? अगले लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?

19 आज “राज के बेटे” उस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं जब उन्हें स्वर्ग में महिमा से भरपूर जीवन का इनाम दिया जाएगा। (रोमि. 8:18, 19; 1 कुरिं. 15:53; फिलि. 1:21-24) लेकिन उस वक्‍त के आने तक यह ज़रूरी है कि वे वफादार बने रहें, अपनी रौशनी चमकाते रहें और ‘उस दुष्ट के बेटों’ से अलग दिखायी देते रहें। (मत्ती 13:38; प्रका. 2:10) मिसाल में बताए जंगली पौधों के ‘उखाड़े’ जाने का जो नतीजा निकल रहा है उसे अपनी आँखों से देखना हम सभी के लिए कितनी खुशी की बात है। वाकई हमें यह सब देखने का क्या ही सुनहरा मौका मिला है!

20 मगर इन राज के बेटों और दिनों-दिन बढ़ती बड़ी भीड़ के लोगों के बीच क्या रिश्‍ता है, जो धरती पर राज की प्रजा के नाते जीने की उम्मीद रखते हैं? इस सवाल का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।

[फुटनोट]

^ इन मिसालों के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए 15 जुलाई, 2008 की प्रहरीदुर्ग के पेज 12-21 देखिए।

^ इस मिसाल में बीज बोने का काम प्रचार करने और चेले बनाने के काम को नहीं दर्शाता जिसके ज़रिए नए लोग सच्चाई में आते और अभिषिक्‍त मसीही बनते। खेत में बोए जानेवाले बढ़िया बीज के बारे में यीशु ने कहा: “बढ़िया बीज, राज के बेटे हैं।” उसने यह नहीं कहा कि वे राज के बेटे बनेंगे बल्कि वे राज के बेटे हैं। बोने के काम का मतलब है, धरती पर राज के इन बेटों का अभिषेक किया जाना।

^ जंगली दानों के पौधों की जड़ें गेहूँ की जड़ों के साथ इस कदर गुंथी हुई होती हैं कि अगर कटाई के वक्‍त से पहले इन जंगली पौधों को उखाड़ दिया जाए तो उनके साथ-साथ गेहूँ भी उखड़ सकता है जिससे फसल बरबाद हो सकती है।—इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स, भाग 1, पेज 1178 देखिए।

क्या आपको याद है?

गेहूँ और जंगली पौधों के बारे में यीशु की मिसाल में इनका क्या मतलब है?

• बढ़िया बीज

• बीज बोनेवाला

• बीज बोना

• दुश्‍मन

• जंगली दाने के पौधे

• कटाई का वक्‍त

• गोदाम

• रोना और दाँत पीसना

• आग का भट्ठा

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 20 पर तसवीरें]

ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त त्योहार के दिन से बढ़िया बीज बोने का काम शुरू हुआ

[पेज 23 पर तसवीर]

मिसाल में बताए गए गेहूँ को आज यहोवा के गोदाम में लाया जा रहा है

[चित्र का श्रेय]

Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.