यहोवा, सच्चे प्यार से भरपूर है
यहोवा, सच्चे प्यार से भरपूर है
‘यहोवा निरंतर प्रेम-कृपा से भरपूर है।’—भजन 145:8, NW.
1. परमेश्वर के प्यार की इंतहा क्या है?
“परमेश्वर प्रेम है।” (1 यूहन्ना 4:8) दिल को छू जानेवाली यह बात दिखाती है कि यहोवा प्यार के उसूलों के मुताबिक हुकूमत करता है। यहाँ तक कि जो लोग उसकी आज्ञा नहीं मानते, उन पर भी वह सूर्य उदय करता और पानी बरसाता है! (मत्ती 5:44, 45) परमेश्वर सभी इंसानों से प्यार करता है, इसलिए वह अपने दुश्मनों तक को पश्चाताप करने, उसकी ओर फिरने, और हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका देता है। (यूहन्ना 3:16) मगर वह दिन दूर नहीं, जब यहोवा उन सारे दुष्टों को नाश कर देगा जिनके सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं ताकि परमेश्वर से प्यार करनेवाले धार्मिकता की नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठा सकें।—भजन 37:9-11, 29; 2 पतरस 3:13.
2. यहोवा अपने समर्पित लोगों के लिए किस खास तरीके से प्यार दिखाता है?
2 यहोवा अपने सच्चे उपासकों को एक खास तरीके से प्यार करता है और उसका प्यार हमेशा कायम रहता है। इस किस्म के प्यार के लिए जिस इब्रानी शब्द का इस्तेमाल हुआ है, उसका अनुवाद “निरंतर प्रेम-कृपा,” या “सच्चा प्यार” किया गया है। प्राचीन इस्राएल का राजा दाऊद, परमेश्वर की निरंतर प्रेम-कृपा की गहरी कदर करता था। खुद के तजुर्बे से, और दूसरों के साथ परमेश्वर के व्यवहार पर मनन करने से, उसने पूरे यकीन के साथ गीत में गाया: ‘यहोवा निरंतर प्रेम-कृपा [या, “सच्चे प्यार”] से भरपूर है।’—भजन 145:8, NW.
परमेश्वर के वफादार जनों को पहचानना
3, 4. (क) यहोवा के वफादार जनों को पहचानने में भजन 145 किस तरह हमारी मदद करता है? (ख) यहोवा के वफादार जन किस तरह उसे “धन्य” कहते हैं?
3 भविष्यवक्ता शमूएल की माँ, हन्ना ने यहोवा परमेश्वर के बारे में कहा: “वह अपने भक्तों [“वफादार जनों,” NW] के पांवों को सम्भाले रहेगा।” (1 शमूएल 2:9) ये ‘वफादार जन’ कौन हैं? इसका जवाब राजा दाऊद देता है। यहोवा के अद्भुत गुणों की तारीफ करने के बाद, वह कहता है: “तेरे भक्त लोग [“वफादार जन,” NW] तुझे धन्य कहा करेंगे!” (भजन 145:10) वफादार जन खासकर उसकी स्तुति करने, या दूसरों को उसकी अच्छाई के बारे में बताने के ज़रिए उसे धन्य कहते हैं।
4 यहोवा के वफादार जनों की पहचान यह है कि वे अपनी ज़बान से हमेशा यहोवा की तारीफ करते हैं। दूसरों से मिलते-जुलते वक्त और मसीही सभाओं में वे अकसर किस विषय पर बात करते हैं? बेशक, यहोवा के राज्य के बारे में! यहोवा के वफादार सेवक भी दाऊद जैसी भावना रखते हैं जिसने अपने गीत में गाया: “वे तेरे [यहोवा के] राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे।”—भजन 145:11.
5. हम कैसे जानते हैं कि जब वफादार जन यहोवा की तारीफ करते हैं, तो वह ध्यान से उनकी सुनता है?
5 जब यहोवा के वफादार जन उसकी स्तुति करते हैं, तब क्या वह उनकी तरफ ध्यान देता है? बेशक, वह उनकी ध्यान से सुनता है। हमारे समय में होनेवाली सच्ची उपासना के बारे में एक भविष्यवाणी में, मलाकी ने लिखा: “तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।” (मलाकी 3:16) जब यहोवा अपने वफादार जनों को उसकी तारीफ करते सुनता है, तो वह बहुत खुश होता है और इस वजह से वह उन्हें याद रखता है।
6. परमेश्वर के वफादार जनों को किस काम से पहचाना जा सकता है?
6 यहोवा के वफादार सेवकों की एक और पहचान यह है कि वे खुद पहल करके, बड़ी हिम्मत के साथ ऐसे लोगों से बात करते हैं जो सच्चे परमेश्वर के उपासक नहीं हैं। वाकई, परमेश्वर के वफादार जनों ने ‘आदमियों पर उसके पराक्रम के काम और उसके राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट की है।’ (भजन 145:12) क्या आप अजनबियों को यहोवा की हुकूमत के बारे में बताने के मौके तलाशते और उनका अच्छा इस्तेमाल करते हैं? इंसानी सरकारें कुछ ही समय बाद मिट जाएँगी, मगर परमेश्वर का राज्य हमेशा-हमेशा के लिए हुकूमत करेगा। (1 तीमुथियुस 1:17) लोगों को जल्द-से-जल्द उसकी हुकूमत के बारे में जानना और उसके पक्ष में होने का फैसला करना है। इसी सिलसिले में दाऊद ने अपने गीत में गाया: “तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी।”—भजन 145:13.
7, 8. सन् 1914 में क्या घटना घटी, और क्या सबूत है कि आज परमेश्वर अपने बेटे के राज्य के ज़रिए हुकूमत कर रहा है?
7 सन् 1914 में एक ऐसी घटना घटी जिससे यहोवा की हुकूमत के बारे में लोगों को बताना और भी ज़रूरी हो गया है। उस साल परमेश्वर ने स्वर्ग में मसीहाई राज्य की स्थापना की और दाऊद की संतान, यीशु मसीह को राजा बनाया। इस तरह यहोवा ने अपना यह वादा पूरा किया कि दाऊद की राजगद्दी सदा के लिए स्थिर की जाएगी।—2 शमूएल 7:12, 13; लूका 1:32, 33.
8 आज यीशु की उपस्थिति का चिन्ह पूरा हो रहा है जो इस बात का सबूत है कि यहोवा अपने बेटे, यीशु मसीह के राज्य के ज़रिए हुकूमत कर रहा है। उस चिन्ह का सबसे खास पहलू है, वह काम जिसे परमेश्वर के सभी वफादार जन कर रहे हैं। इसके बारे में यीशु ने यह भविष्यवाणी की थी: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:3-14) आज परमेश्वर के वफादार जन पूरे जोश के साथ इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहे हैं, इसलिए साठ लाख से भी ज़्यादा स्त्री-पुरुष और बच्चे, इस महान काम में हिस्सा ले रहे हैं, जो फिर कभी नहीं दोहराया जाएगा। बहुत जल्द यहोवा के राज्य के सभी विरोधियों का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 11:15, 18.
यहोवा की हुकूमत से फायदा पाना
9, 10. यहोवा और इंसानी शासकों में क्या फर्क है?
9 अगर हम समर्पित मसीही हैं, तो पूरे जहान के मालिक यहोवा के साथ हमारा रिश्ता होने की वजह से हमें बहुत-से फायदे मिलते हैं। (भजन 71:5; 116:12) मिसाल के लिए, हम परमेश्वर का भय मानते और धार्मिकता के काम करते हैं, इसलिए उसका अनुग्रह हम पर है और आध्यात्मिक तौर पर हम उसके बहुत ही करीब हैं। (प्रेरितों 10:34, 35; याकूब 4:8) लेकिन इसके उलट, अगर हम इंसानी शासकों को लें, तो उनका उठना-बैठना हमेशा बड़ी-बड़ी हस्तियों के साथ होता है, जैसे सैनिक अफसर, दौलतमंद बिज़नेसमैन, खेल और मनोरंजन के जाने-माने सितारे। अफ्रीका के अखबार, सोवेटन के मुताबिक एक बड़े सरकारी अफसर ने अपने देश के गरीब इलाकों के बारे में कहा: “मैं समझ सकता हूँ कि हममें से ज़्यादातर लोग क्यों ऐसे इलाकों का दौरा करना नहीं चाहते। इसकी वजह बस यह है कि हम भूल जाना चाहते हैं कि दुनिया में ऐसी जगहें भी हैं। ऐसे हालात देखने पर हमारा ज़मीर हमें कचोटता है और अपनी शानदार [गाड़ी] पर सवार होकर उन गरीब इलाकों में जाने में हमें शर्मिंदगी महसूस होती है।”
10 माना कि ऐसे कुछ शासक हैं जो दिल से अपनी प्रजा की भलाई चाहते हैं। लेकिन नेक-से-नेक शासक भी अपनी प्रजा के हर इंसान को करीब से नहीं जानता। दरअसल, हम खुद से पूछ सकते हैं: क्या ऐसा कोई शासक है जो अपनी प्रजा में से हरेक की इस कदर परवाह करता हो कि वह मुसीबत की घड़ी में फौरन उनकी मदद करने चला आए? बेशक है। दाऊद ने लिखा: “यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।”—भजन 145:14.
11. परमेश्वर के वफादार जनों को किन परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है, और उनके लिए क्या मदद हाज़िर है?
11 यहोवा के वफादार जनों को कई परीक्षाओं और मुसीबतों से गुज़रना पड़ता है, क्योंकि वे असिद्ध हैं और “दुष्ट” शैतान के संसार में जी रहे हैं। (1 यूहन्ना 5:19; भजन 34:19) मसीहियों को ज़ुल्म भी सहना पड़ता है। कुछ ऐसे भी हैं जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, या फिर अपने किसी अज़ीज़ की मौत पर गहरा गम मना रहे हैं। और कभी-कभार यहोवा के वफादार जनों में से जब कोई गलती करता है, तो बाकियों को इतनी ठेस पहुँचती है कि वे निराशा से ‘झुक’ जाते हैं। मगर चाहे जो भी परीक्षा आए, यहोवा हरेक को दिलासा देने और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। उसी तरह राजा यीशु मसीह अपनी वफादार प्रजा से बेहद प्यार करता और उनकी भलाई चाहता है।—भजन 72:12-14.
सही समय पर आहार देकर संतुष्ट करना
12, 13. यहोवा “प्रत्येक प्राणी” की ज़रूरतों को कितनी अच्छी तरह पूरी करता है?
12 निरंतर प्रेम-कृपा से भरपूर होने की वजह से यहोवा अपने सेवकों की सभी ज़रूरतें पूरी करता है। इसमें पौष्टिक आहार देकर उन्हें संतुष्ट करना भी शामिल है। राजा दाऊद ने लिखा: “सब की आंखें [यहोवा] तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उनको समय पर आहार देता है। तू अपनी मुट्ठी खोलता, और प्रत्येक प्राणी की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।” (भजन 145:15, 16, NHT) यहाँ तक कि संकट की घड़ी में भी, यहोवा घटनाओं का रुख इस तरह मोड़ सकता है कि उसके वफादार जनों को ‘हर दिन रोटी’ मिलती रहे।—लूका 11:3; 12:29, 30.
13 दाऊद ने कहा कि परमेश्वर “प्रत्येक प्राणी” को संतुष्ट करता है। इसमें पशु-पक्षी भी शामिल हैं। अगर ज़मीन पर बड़ी तादाद में पेड़-पौधे न होते और समुद्र में भी पौधे न होते, तो समुद्री प्राणियों, आसमान में उड़नेवाले पंछियों और ज़मीन पर रहनेवाले जानवरों को न तो साँस लेने के लिए ऑक्सीजन मिलती, ना ही खाने को भोजन मिलता। (भजन 104:14) मगर यहोवा इस बात का ध्यान रखता है कि उनकी सभी ज़रूरतें पूरी की जाएँ।
14, 15. आज आध्यात्मिक भोजन कैसे मुहैया कराया जा रहा है?
14 इंसान, जानवरों से अलग हैं क्योंकि इंसानों की आध्यात्मिक ज़रूरतें भी होती हैं। (मत्ती 5:3, NW) और यहोवा अपने वफादार जनों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को कितने बेहतरीन तरीके से पूरी करता है! यीशु ने अपनी मौत से पहले वादा किया था कि “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” उसके चेलों को ‘समय पर [आध्यात्मिक] भोजन देता रहेगा।’ (मत्ती 24:45) आज यह दास वर्ग, 1,44,000 में से बचे हुए अभिषिक्त मसीहियों से बना है। उनके ज़रिए यहोवा सचमुच भरपूर आध्यात्मिक भोजन मुहैया कराता रहा है।
15 मिसाल के लिए, आज यहोवा के ज़्यादातर लोग अपनी-अपनी भाषा में बाइबल के नए और सही अनुवाद का फायदा उठा रहे हैं। न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिपचर्स् वाकई में एक बढ़िया आशीष है! इसके अलावा, 300 से भी ज़्यादा भाषाओं में लगातार बाइबल समझानेवाली किताबें-पत्रिकाएँ छापी जाती हैं। यह सारा आध्यात्मिक भोजन, दुनिया भर के सच्चे उपासकों के लिए वाकई एक आशीष है। इन सभी उपकारों के लिए कौन महिमा पाने के काबिल है? बेशक यहोवा परमेश्वर। अपनी महान निरंतर प्रेम-कृपा की वजह से उसने दास वर्ग के ज़रिए ‘समय पर आहार’ देने का इंतज़ाम किया है। ऐसे इंतज़ामों से आध्यात्मिक फिरदौस में जीनेवाले ‘प्रत्येक प्राणी की इच्छा सन्तुष्ट की जा रही है।’ और यहोवा के सेवक इस बात से खुश हैं कि बहुत जल्द वे इस धरती को सचमुच के फिरदौस में बदला हुआ देखेंगे!—लूका 23:42, 43.
16, 17. (क) सही समय पर आध्यात्मिक भोजन मिलने की क्या मिसालें हैं? (ख) शैतान ने जो अहम मसला खड़ा किया, उस बारे में परमेश्वर के वफादार जनों की भावनाएँ भजन 145 में कैसे बयान की गयी हैं?
16 सही समय पर अध्यात्मिक भोजन मिलने की एक बढ़िया मिसाल पर गौर कीजिए। सन् 1939 में, यूरोप में दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया था। उसी साल प्रहरीदुर्ग के नवंबर 1 (अँग्रेज़ी) अंक में इस शीर्षक पर एक लेख छापा गया, “युद्ध में निष्पक्ष रहना।” लेख में इतनी साफ जानकारी दी गयी थी कि दुनिया भर के यहोवा के साक्षी समझ गए कि युद्ध करनेवाले देशों के मामले में उन्हें पूरी तरह निष्पक्ष रहना है। नतीजा यह हुआ कि जिन छः सालों तक यह युद्ध चलता रहा, उस दौरान दोनों पक्षों की सरकारों ने साक्षियों पर बहुत कहर ढाया। परमेश्वर के वफादार जनों पर पाबंदियाँ लगायी गयीं, उन पर अत्याचार किए गए, फिर भी वे राज्य का सुसमाचार सुनाते रहे। सन् 1939 से 1946 के बीच उनकी गिनती 157 प्रतिशत बढ़ गयी जो कि वाकई हैरतअंगेज़ बात थी। इतना ही नहीं, युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी खराई बनाए रखने का ऐसा लाजवाब रिकॉर्ड कायम किया कि उसकी वजह से आज भी लोगों को सच्चा धर्म पहचानने में मदद मिल रही है।—यशायाह 2:2-4.
17 यहोवा न सिर्फ सही समय पर आध्यात्मिक भोजन देता है, बल्कि ऐसा भोजन देता है जिससे हम पूरी तरह संतुष्ट हों। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब सभी देश लड़ाइयों में उलझे हुए थे, तब यहोवा के लोगों को खुद का बचाव करने के बजाय उससे भी ज़रूरी बात पर ध्यान देने में मदद दी गयी। यहोवा ने उन्हें यह समझने में मदद दी कि सबसे अहम मसला उसकी हुकूमत करने के हक के बारे में है और इस मसले में पूरा विश्व शामिल है। यह जानकर कितनी संतुष्टि मिलती है कि यहोवा के हरेक साक्षी ने अपनी वफादारी से उसकी हुकूमत को बुलंद करने और इब्लीस को झूठा साबित करने में अपना एक छोटा-सा भाग अदा किया! (नीतिवचन 27:11) शैतान, यहोवा और उसकी हुकूमत करने के तरीके पर झूठा इलज़ाम लगाता है, जबकि यहोवा के वफादार जन लगातार दुनिया के सामने यह ऐलान करते हैं: ‘यहोवा अपनी सब गति में धर्मी है।’—भजन 145:17.
18. हाल ही में हमें समय पर, संतुष्ट करनेवाला आध्यात्मिक भोजन किस रूप में दिया गया?
18 सही समय पर, संतुष्ट करनेवाले आध्यात्मिक भोजन की एक और मिसाल है, यहोवा के करीब आओ किताब। यह सन् 2002/03 के दौरान दुनिया भर में हुए सैकड़ों “राज्य के जोशीले प्रचारक” ज़िला अधिवेशनों में रिलीज़ की गयी थी। इस किताब को “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने तैयार किया है और यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है। इसमें परमेश्वर के शानदार गुणों के बारे में बताया गया है, जिनमें भजन 145 में बताए गुण भी शामिल हैं। इस बढ़िया किताब की मदद से परमेश्वर के वफादार जन ज़रूर उसके और भी करीब आएँगे।
यहोवा के करीब आने का समय
19. कौन-सी नाज़ुक घड़ी करीब आ रही है, और हम उस घड़ी का कैसे सामना कर सकते हैं?
19 वह नाज़ुक घड़ी बहुत करीब आ रही है जब यहोवा की हुकूमत को लेकर उठा मसला पूरी तरह हल कर दिया जाएगा। यहेजकेल अध्याय 38 में बतायी भविष्यवाणी के मुताबिक, शैतान बहुत जल्द ‘मागोग देश के गोग’ की हैसियत से अपना आखिरी दाँव चलाएगा। इस दौरान वह दुनिया भर में रहनेवाले यहोवा के लोगों पर हमला करेगा। वह परमेश्वर के वफादार जनों की खराई तोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाएगा। ऐसे में यहोवा के उपासकों को पहले से कहीं ज़्यादा उससे मदद माँगने की ज़रूरत होगी, यहाँ तक कि उन्हें गिड़गिड़ाकर दुहाई देनी होगी। क्या परमेश्वर के लिए उनकी श्रद्धा और भय, और उनका प्यार बेकार जाएगा? जी नहीं, क्योंकि भजन 145 कहता है: “जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात् जितने उसको सच्चाई से पुकारते हैं, उन सभों के वह निकट रहता है। वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दोहाई सुनकर उनका उद्धार करता है। यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है।”—भजन 145:18-20.
20. भजन 145:18-20 में लिखे शब्द बहुत जल्द कैसे पूरे होंगे?
20 यहोवा जब दुष्टों को नाश करेगा, तब उसके बहुत ही करीब महसूस करना और उसकी रक्षा करने की शक्ति का अनुभव करना, क्या ही रोमांचकारी समय होगा! उस नाज़ुक घड़ी में जो अब बहुत ही करीब है, यहोवा सिर्फ उन्हीं की दोहाई सुनेगा जो ‘उसको सच्चाई से पुकारेंगे।’ वह पाखंडियों की पुकार हरगिज़ नहीं सुनेगा। परमेश्वर का वचन साफ दिखाता है कि आखिरी वक्त में दुष्ट, परमेश्वर का नाम ले-लेकर चाहे कितना भी पुकारें, उससे न कभी फायदा हुआ है और न आगे होगा।—नीतिवचन 1:28, 29; मीका 3:4; लूका 13:24, 25.
21. यहोवा के वफादार जन कैसे दिखाते हैं कि उन्हें परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करने में खुशी मिलती है?
21 यहोवा का भय माननेवालों के लिए ‘उसको सच्चाई से पुकारना’ आज पहले से ज़्यादा ज़रूरी है। उसके वफादार जनों को अपनी प्रार्थनाओं में और सभाओं में जवाब देते वक्त उसका नाम इस्तेमाल करने में खुशी मिलती है। वे एक-दूसरे के साथ बातचीत में भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करते हैं। और अपने प्रचार में भी वे बड़ी हिम्मत के साथ यहोवा के नाम का ऐलान करते हैं।—रोमियों 10:10, 13-15.
22. दुनियावी रवैयों और लालसाओं को ठुकराने के लिए हमें क्यों लगातार संघर्ष करने की ज़रूरत है?
22 अगर हम यहोवा परमेश्वर के साथ अपने करीबी रिश्ते से लगातार फायदा पाना चाहते हैं, तो हमें ऐसे रवैयों से भी दूर रहना होगा जिनसे हमें आध्यात्मिक नुकसान पहुँच सकता है। जैसे, धन-दौलत का लालच, गलत किस्म का मनोरंजन, दूसरों को माफ न करना, या ज़रूरतमंदों की मदद करने के बजाय उनसे मुँह फेर लेना। (1 यूहन्ना 2:15-17; 3:15-17) इस तरह के तौर-तरीकों और रवैयों को अगर हम नहीं बदलेंगे, तो आगे चलकर हमें गंभीर पाप करने की आदत हो जाएगी और हम यहोवा का अनुग्रह खो बैठेंगे। (1 यूहन्ना 2:1, 2; 3:6) इसलिए हमेशा यह याद रखना बुद्धिमानी है कि यहोवा सिर्फ तब तक हम पर निरंतर प्रेम-कृपा या सच्चा प्यार दिखाएगा, जब तक हम उसके वफादार बने रहेंगे।—2 शमूएल 22:26.
23. परमेश्वर के वफादार जनों को क्या शानदार भविष्य मिलनेवाला है?
23 तो फिर आइए हम अपना ध्यान उस शानदार भविष्य पर लगाएँ जो यहोवा के सभी वफादार जनों को मिलनेवाला है। ऐसा करने पर हम भी उन लोगों में गिने जाने की बढ़िया आशा रख सकते हैं, जो “प्रति दिन” और “सदा सर्वदा” तक यहोवा की बड़ाई करेंगे, उसको धन्य कहेंगे और उसकी महिमा करेंगे। (भजन 145:1, 2) आइए हम ‘अनन्त जीवन के लिए अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखें।’ (यहूदा 20, 21) जब हम अपने पिता, यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा और उसके दूसरे मनभावने गुणों से लगातार फायदा पा रहे हैं, तो सदा के लिए हमारा भी वही इरादा हो जो भजन 145 में दाऊद ने ज़ाहिर किया है: “मैं यहोवा की स्तुति करूंगा, और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।”
आप क्या जवाब देंगे?
• भजन 145 कैसे परमेश्वर के वफादार जनों को पहचानने में हमारी मदद करता है?
• यहोवा कैसे ‘प्रत्येक प्राणी की इच्छा को संतुष्ट करता है’?
• हमें क्यों यहोवा के और करीब आने की ज़रूरत है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 16 पर तसवीर]
परमेश्वर के वफादार जनों को उसके पराक्रम के कामों के बारे में चर्चा करने में खुशी मिलती है
[पेज 17 पर तसवीर]
यहोवा के सेवक बड़ी हिम्मत से अजनबियों को परमेश्वर के राज्य की महिमा के बारे में सिखाते हैं
[पेज 18 पर तसवीरें]
यहोवा “प्रत्येक प्राणी” को भोजन देता है
[चित्र का श्रेय]
जानवर: Parque de la Naturaleza de Cabárceno
[पेज 19 पर तसवीर]
जब यहोवा के वफादार जन मदद के लिए उससे प्रार्थना करते हैं, तो वह उन्हें ताकत देता और सही राह दिखाता है