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रूत और बोअज़ की अनहोनी शादी

रूत और बोअज़ की अनहोनी शादी

रूत और बोअज़ की अनहोनी शादी

वसंत की बहार है और बेतलेहेम के पास, खलियान में काम करनेवालों की खूब चहल-कदमी मची हुई है। दिन काफी लंबा रहा। अभी-अभी भुनी हुई बालों की महक से भूखे मज़दूर जान लेते हैं कि खाने का वक्‍त हो गया है। अब हरेक मज़दूर जाकर अपनी मेहनत के फल का आनंद उठाएगा।

बोअज़ एक अमीर जमींदार है। वह पेट भर खाना खाने के बाद, अनाज के एक बड़े ढेर के पास थोड़ा आराम करता है। बाद में शाम होते-होते, जब कटाई का समय खत्म होता है तो हरेक आदमी आराम करने के लिए अच्छी-सी जगह ढूँढ़ लेता है। संतुष्ट, बोअज़ भी चादर ओढ़कर सो जाता है।

चुपके से एक मुलाकात

आधी रात बीतने पर अचानक ठंड से काँपते हुए बोअज़ की नींद खुलती है। दरअसल कोई जानबूझकर उसके पैरों पर से चादर हटाकर वहीं उसके पैरों के पास लेटा हुआ है! अंधेरे में बोअज़ पहचान नहीं पाता, इसलिए पूछता है: “तू कौन है?” तभी एक स्त्री की आवाज़ सुनायी देती है: “मैं तो तेरी दासी रूत हूं; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है।”—रूत 3:1-9.

फिर दोनों अंधेरे में बातें करने लगते हैं। स्त्रियाँ, इस तरह रात गए खलियान में नहीं आया करतीं। (रूत 3:14) लेकिन बोअज़ के कहने पर रूत उसके पैरों के पास लेट जाती है। फिर दिन चढ़ने से पहले वहाँ से चली जाती है ताकि लोग उसके बारे में कुछ उल्टी-सीधी बात न कहें।

क्या यह मुलाकात, दो प्यार करनेवालों के बीच की मुलाकात है? या फिर मूर्तिपूजक देश की यह गरीब, जवान विधवा रूत, इस अमीर बुज़ुर्ग आदमी को चालाकी से अपने प्यार के जाल में फाँसने आयी है? या क्या उस रात बोअज़, रूत के हालात और अकेलेपन का फायदा उठा रहा है? जी नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है। इसके बजाय, जो कुछ हुआ वह दरअसल परमेश्‍वर के लिए प्यार और वफादारी का एक उदाहरण है। इतना ही नहीं, सच्चाई जानकर शायद इस घटना का आप पर भी गहरा असर पड़े।

लेकिन सवाल उठता है कि यह रूत है कौन? उसका इरादा क्या है? और यह अमीर आदमी, बोअज़ कौन है?

एक “भली स्त्री”

इस घटना के बरसों पहले यहूदा में अकाल पड़ा था, इसलिए एक इस्राएली परिवार मोआब की उपजाऊ भूमि में जाकर बस गया। उस परिवार में चार सदस्य थे—एलीमेलेक, उसकी पत्नी नाओमी और उनके दो बेटे, महलोन और किल्योन। वहाँ दोनों बेटे मोआबी स्त्रियों, रूत और ओर्पा से शादी कर लेते हैं। लेकिन कुछ समय बाद, इन तीनों स्त्रियों के पतियों की मौत हो जाती है। फिर उन्हें यह खबर मिलती है कि इस्राएल के हालात दोबारा अच्छे हो गए हैं। तो नाओमी अपने वतन लौटने का फैसला करती है क्योंकि अब उसका मोआब में कुछ नहीं रहा। ना तो पति, ना बच्चे और ना ही उसके पोते-पोतियाँ हैं। और इसीलिए उसका मन कड़वाहट से भरा है।—रूत 1:1-14.

इस्राएल जाते वक्‍त, रास्ते में नाओमी अपनी बड़ी बहू ओर्पा को अपने लोगों के पास लौट जाने के लिए मना लेती है। फिर वह रूत से कहती है: “देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई हैं; इसलिये तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा।” लेकिन रूत कहती है: “तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग [दो] . . . क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी, . . . तेरे लोग मेरे लोग होंगे; और तेरा परमेश्‍वर मेरा परमेश्‍वर होगा। जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी।” (रूत 1:15-17) अब ये दोनों बेसहारा विधवाएँ बेतलेहेम आकर रहने लगती हैं। यहाँ रूत अपनी सास के लिए इतना प्यार और परवाह दिखाती है कि पड़ोसी देखकर प्रभावित हो जाते हैं और कहते हैं कि वह ‘नाओमी के लिए सात बेटों से भी श्रेष्ठ’ है। इसी तरह दूसरे भी कहते हैं कि वह एक “भली स्त्री” है।—रूत 3:11; 4:15.

बेतलेहेम में जौ की फसल की कटाई शुरू होनेवाली है। इसलिए रूत, नाओमी से कहती है: “मुझे किसी खेत में जाने दे, कि जो मुझ पर अनुग्रह की दृष्टि करे, उसके पीछे पीछे मैं सिला बीनती जाऊं।”—रूत 2:2.

अब रूत, इत्तफाक से अपने ससुर एलीमेलेक के एक रिश्‍तेदार, बोअज़ के खेत में पहुँच जाती है। वह वहाँ ठहराए गए एक अधिकारी के पास जाकर बालें इकट्ठा करने की इजाज़त माँगती है। उसकी कमाल की मेहनत देखकर अधिकारी बोअज़ से उसके काम की खूब तारीफ करता है।—रूत 1:22–2:7.

एक रक्षक और परोपकारी

बोअज़, यहोवा का एक सच्चा उपासक है। हर सुबह वह अपने खेत में कटाई करनेवालों को सलाम करते हुए कहता है: “यहोवा तुम्हारे संग रहे,” और जवाब में वे उससे कहते हैं: “यहोवा तुझे आशीष दे।” (रूत 2:4) रूत को लगन से काम करते देख और नाओमी के लिए उसकी वफादारी के बारे में जानकर बोअज़, रूत के लिए एक खास इंतज़ाम करता है ताकि वह बालें इकट्ठा कर सके। संक्षिप्त में वह कहता है: ‘मेरे ही खेत में रहना; किसी दूसरे के खेत में तुम्हें जाने की ज़रूरत नहीं। मेरी ही दासियों के संग रहना; तू उनके साथ सुरक्षित रहेगी। मैंने जवानों को आज्ञा दी है कि वे तुझसे न बोलें। जब तुझे प्यास लगे तब वे तेरे लिए निर्मल जल लाएँगे।’—रूत 2:8, 9.

इस पर रूत, अपना सिर झुकाकर कहती है: “क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि करके मेरी सुधि ली है?” बोअज़ कहता है: ‘तू ने अपने पति के मरने के बाद अपनी सास के लिए जो कुछ किया है, तू ने जिस तरह से अपने माता-पिता, रिश्‍तेदारों और जन्मभूमि को छोड़कर ऐसे लोगों में आई है जिनको पहले तू न जानती थी, यह सारी बातें मुझे विस्तार में बतायी गयी हैं। यहोवा तेरी करनी का फल दे। वह तुझे पूरा बदला [“पूर्ण प्रतिफल,” नयी हिन्दी बाइबिल] दे।’—रूत 2:10-12.

बोअज़, यहाँ रूत का दिल जीतने की कोशिश नहीं कर रहा बल्कि वह सच्चे मन से रूत की तारीफ कर रहा है। और रूत भी सचमुच में बहुत नम्र है। वह हौसला बढ़ाए जाने पर बोअज़ का शुक्रिया अदा करती है। रूत को लगता है कि वह इस कृपा के लायक नहीं, इसलिए वह पहले से भी ज़्यादा मेहनत करने लगती है। जब खाने का वक्‍त होता है तो बोअज़ रूत को बुलाता है: ‘आकर रोटी खा ले और अपनी रोटी के टुकड़े को सिरके में डुबा।’ भरपेट खाने के बाद वह नाओमी के लिए भी कुछ बचाकर रख लेती है।—रूत 2:14, NHT.

शाम तक रूत इतना कुछ बटोर लेती है कि उसमें करीब 22 लीटर जौ निकलता है। वह इकट्ठा किया जौ और बचा हुआ खाना लेकर घर चली जाती है और नाओमी को देती है। (रूत 2:15-18) नाओमी यह देखकर बहुत खुश होती है और पूछती है: ‘आज तूने कहाँ बीना? धन्य वह हो जिस ने तेरी सुधि ली है।’ जब नाओमी को पता चलता है कि रूत ने बोअज़ के खेत में काम किया, तब वह कहती है: “वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उस ने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करुणा हटाई! . . . वह पुरुष तो हमारा एक कुटुम्बी है, वरन उन में से है जिनको हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है।”—रूत 2:19, 20.

“आश्रय” ढूँढ़ना

नाओमी अपनी बहू के लिए “आश्रय” ढूँढ़ रही थी यानी फिर से उसका घर बसाना चाहती थी। और वह देखती है कि परमेश्‍वर की व्यवस्था के मुताबिक अपनी भूमि को छुड़ाने की गुज़ारिश करने का यही अच्छा मौका है। (लैव्यव्यवस्था 25:25; व्यवस्थाविवरण 25:5, 6) इसलिए वह बड़े असरदार तरीके से रूत को निर्देशन देती है, यहाँ तक कि बहुत बढ़िया योजना बनाती है जिससे बोअज़ का ध्यान रूत की तरफ खींच सके। अब पूरी तैयारी और अच्छे निर्देशनों के साथ, रूत रात के अंधेरे में बोअज़ के खलियान में पहुँचती है। वह सो रहा होता है इसलिए उसके पैरों से चादर हटाकर वह उसके जागने का इंतज़ार करने लगती है।—रूत 3:1-7.

जब बोअज़ जागता है तो उसे पता चलता है कि रूत ने उसके पैरों से चादर हटायी है। लेकिन रूत की इस हरकत की गंभीरता को बोअज़ उसकी इस गुज़ारिश से समझ लेता है, जब वह कहती है कि ‘वह उसे अपनी चद्दर ओढ़ा दे’। इससे उस बुज़ुर्ग यहूदी को अपना कर्त्तव्य याद आता है कि रूत के मरे हुए पति, महलोन का रिश्‍तेदार होने के नाते उसकी भूमि को छुड़ाना उसकी ज़िम्मेदारी है।—रूत 3:9.

बोअज़ को इस बात की ज़रा भी खबर नहीं थी कि रात गए रूत उसके पास आएगी। मगर बोअज़ के जवाब से ज़ाहिर होता है कि उसे यह अंदाज़ा ज़रूर हो गया था कि रूत उसे भूमि छुड़ाने के लिए कहेगी। और वह रूत की गुज़ारिश के मुताबिक कदम उठाने को तैयार हो जाता है।

रूत की आवाज़ में जो दर्द और परेशानी थी, बोअज़ ने वह ज़रूर महसूस किया होगा इसलिए वह उसका हौसला बढ़ाते हुए कहता है: “अब, हे मेरी बेटी, मत डर, जो कुछ तू कहेगी मैं तुझ से करूंगा; क्योंकि मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है।”—रूत 3:11.

बोअज़ की नज़र में रूत ने जो किया, वह नेक काम था। यह हमें उसके इन शब्दों से मालूम होता है: “हे बेटी, यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो; क्योंकि तू ने अपनी पिछली प्रीति पहिली से अधिक दिखाई।” (रूत 3:10) रूत ने पहली बार प्रीति या सच्चा प्रेम नाओमी के लिए दिखाया था। पिछली यानी दूसरी बार उसने सच्चा प्रेम तब दिखाया जब उसने निःस्वार्थ रूप से अपने मरे हुए पति, महलोन और अपनी सास, नाओमी के नाम पर वारिस पैदा करने के लिए खुद को अपने छुड़ानेवाले, बोअज़ के सामने पेश किया जबकि वह अधेड़ उम्र का था।

एक छुड़ानेवाला मुकर जाता है

अगली सुबह बोअज़ नाओमी के एक ‘फलाने’ रिश्‍तेदार को बुलाता है। वह बोअज़ के मुकाबले नाओमी का ज़्यादा करीब का रिश्‍तेदार है। इसलिए नगर के रहवासियों और बुज़ुर्गों के सामने बोअज़ उससे कहता है: ‘मैंने सोचा कि मैं तुम्हारे अधिकार के बारे में तुझ को जता दूँ कि नाओमी से एक टुकड़ा भूमि छुड़ा ले जो उसके पति एलीमेलेक की है, क्योंकि वह उसे बेचना चाहती है।’ फिर आगे कहता है: ‘क्या तू उसे छुड़ाना चाहेगा? अगर नहीं तो मैं उसे छुड़ाऊंगा।’ तो फलाना व्यक्‍ति उसे छुड़ाने के लिए तैयार हो जाता है।—रूत 4:1-4.

लेकिन अब फलाना व्यक्‍ति कुछ ऐसी बात सुनता है, जो उसे चौंका देती है! बोअज़ सब साक्षियों के सामने कहता है: “जब तू उस भूमि को नाओमी के हाथ से मोल ले, तब उसे रूत मोआबीन के हाथ से भी जो मरे हुए की स्त्री है इस मनसा से मोल लेना पड़ेगा, कि मरे हुए का नाम उसके भाग में स्थिर कर दे।” इस डर से कि कहीं उसी की विरासत तबाह ना हो जाए, वह छुड़ानेवाले के तौर पर अपने हक से इनकार कर देता है और कहता है: “मैं उसको छुड़ा नहीं सकता।”—रूत 4:5, 6.

रिवाज़ के मुताबिक जब एक व्यक्‍ति छुड़ाने से मुकरता है, तो उसे अपनी जूती निकालकर अपने संगी भाई को देना होता था। इसलिए जब छुड़ानेवाला बोअज़ से कहता है कि “तू उसे मोल ले,” तो अपनी जूती उतारने लगता है। तब बोअज़, बुज़ुर्गों और सब लोगों से कहता है: “तुम आज इस बात के साक्षी हो कि जो कुछ एलीमेलेक का और जो कुछ किल्योन और महलोन का था, वह सब मैं नाओमी के हाथ से मोल लेता हूं। फिर महलोन की स्त्री रूत मोआबिन को भी मैं अपनी पत्नी करने के लिये इस मनसा से मोल लेता हूं, कि मरे हुए का नाम उसके निज भाग पर स्थिर करूं, . . . तुम लोग आज साक्षी ठहरे हो।”—रूत 4:7-10.

तब फाटक के पास जितने लोग थे, वे बोअज़ से कहते हैं: “यह जो स्त्री तेरे घर में आती है उसको यहोवा इस्राएल के घराने की दो उपजानेवाली राहेल और लिआः के समान करे। और तू एप्राता में वीरता करे, और बेतलेहेम में तेरा बड़ा नाम हो।”—रूत 4:11, 12.

लोगों की आशीष से बोअज़ रूत को अपनी पत्नी बना लेता है। वह उसे एक पुत्र जनती है, जिसका नाम वे ओबेद रखते हैं। इस तरह रूत और बोअज़ राजा दाऊद के और फिर यीशु मसीह के पूर्वज बनते हैं।—रूत 4:13-17; मत्ती 1:5, 6, 16.

“पूर्ण प्रतिफल”

पूरे वृत्तांत में यानी अपने मज़दूरों के साथ तहज़ीब से दुआ-सलाम करने से लेकर एलीमेलेक का वंश बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठाने तक बोअज़ साबित करता है कि वह एक बेमिसाल इंसान है। उसने कदम उठाने के लिए पहल की और अपने अधिकार का सही इस्तेमाल भी किया। साथ ही, उसमें आत्म-संयम, विश्‍वास और खराई थी। इसके अलावा, वह बहुत ही दरियादिल, कृपालु, चरित्रवान, और यहोवा की सारी आज्ञा माननेवाला इंसान था।

रूत ने यहोवा के लिए जो प्यार दिखाया, नाओमी के लिए जो सच्चा प्यार दिखाया और जिस तरह लगन और नम्रता के साथ उसने काम किया, इन सब में वह अनोखी थी। तभी तो लोग उसे “भली स्त्री” कहते थे। उसने कभी-भी “आलस की रोटी” (नयी हिन्दी बाइबिल) नहीं खायी, और उसकी कड़ी मेहनत की वजह से वह अपनी ज़रूरतमंद सास के साथ अपनी मेहनत का फल बाँट सकी। (नीतिवचन 31:27, 31) रूत ने नाओमी की ज़िम्मेदारी अपने पर लेकर वह खुशी पायी होगी जो देने से मिलती है।—प्रेरितों 20:35; 1 तीमुथियुस 5:4, 8.

रूत की किताब में हम कितनी बढ़िया मिसालें पाते हैं! यहोवा, नाओमी को नहीं भूलता। रूत को यीशु मसीह की पुरखिन बनकर “पूर्ण प्रतिफल” मिलता है। बोअज़ को पत्नी के तौर पर एक “भली स्त्री” की आशीष मिलती है। और हमें क्या मिलता है? विश्‍वास की लाजवाब मिसालें।

[पेज 26 पर बक्स]

आशा की किरण

अगर आपको लगता है कि आप किसी बुरे वक्‍त से गुज़र रहे हैं, तो रूत की कहानी से आपको आशा की किरण मिल सकती है। इसकी कहानी न्यायियों की किताब की वाकई एक बेहतरीन समाप्ति है। रूत की किताब बताती है कि यहोवा ने किस तरह एक दूसरे देश, मोआब की नम्र विधवा के ज़रिए अपने लोगों के लिए राजा उत्पन्‍न किया। न्यायियों के समय के अंधेर युग में, रूत का विश्‍वास एक ज्योति की तरह चमक उठा। रूत की कहानी पढ़ने से, आप इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि कभी-कभी हमारे हालात चाहे कितने ही दर्दनाक क्यों न हो, परमेश्‍वर हमेशा अपने लोगों की परवाह करता है और अपना मकसद ज़रूर पूरा करता है।