अच्छे मनोरंजन का मज़ा, कहाँ ढूँढ़ू भला?
नौजवान पूछते हैं
अच्छे मनोरंजन का मज़ा, कहाँ ढूँढ़ू भला?
अगर आप बाइबल सिद्धांतों पर चलते हैं, तो बेशक आप सोच-समझकर मनोरंजन चुनते होंगे। फिल्मों, किताबों और गानों के सिलसिले में आप झट-से दूसरों की पसंद को नहीं अपना लेते। क्यों? क्योंकि आजकल का ज़्यादातर मनोरंजन सेक्स, खून-खराबे और जादू-टोने से भरा होता है, ऐसी बातें जिनसे आपको दूर रहना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं कि साफ-सुथरे और अच्छे मनोरंजन की कमी है। आइए देखें कि आप अच्छा मनोरंजन कैसे चुन सकते हैं। *
फिल्में
आपको जिस तरह की फिल्में पसंद हैं, उसके आगे ✔ का निशान लगाइए।
○ हँसी-मज़ाकवाली
○ रोने-धोनेवाली
○ मार-धाड़वाली/थ्रिलर
○ साइंस फिक्शन
○ कोई और
क्या आप जानते हैं . . . ? दूसरे देशों के मुकाबले भारत में सबसे ज़्यादा फिल्में बनायी जाती हैं, हर साल एक हज़ार से भी ज़्यादा फिल्में।
किन बातों से दूर रहें। बहुत-सी पिक्चरों में ऐसे उसूलों को बढ़ावा दिया जाता है जो बाइबल में दिए स्तरों के खिलाफ हैं। जैसे कुछ फिल्मों में खुल्लम-खुल्ला सेक्स और मार-धाड़ दिखायी जाती है, तो कुछ जादुई शक्तियों के बारे में होती हैं। लेकिन बाइबल कहती है: “तुम इन सब बातों को खुद से पूरी तरह दूर करो, जैसे क्रोध, गुस्सा, बुराई, गाली-गलौज और मुँह से अश्लील बातें कहना।” (कुलुस्सियों 3:8) साथ ही, परमेश्वर की नज़र में जादू-टोने से जुड़ा हर काम घिनौना है।—व्यवस्थाविवरण 18:10-13.
सोच-समझकर कैसे चुनें। “अगर फिल्म का ट्रेलर अच्छा नहीं है, तो मैं वह फिल्म नहीं देखती।”—जेनी। *
“मैं दूसरों के कहने पर कोई फिल्म नहीं देखती, सिर्फ तभी देखती हूँ जब मुझे पूरा यकीन होता है कि उनके और मेरे उसूल एक जैसे हैं।”—इशिता।
“मैंने सोच रखा है कि अगर सिनेमा हॉल में फिल्म देखते वक्त अचानक कोई गंदा सीन आ जाए, तो मैं फौरन बाहर चली जाऊँगी।”—माही।
“मैं इंटरनेट से पता करती हूँ कि फलाँ फिल्म देखने लायक है या वह बस सेक्स, मार-धाड़ और गाली-गलौज से भरी है।”—नताशा।
सुझाव: ऐसी फिल्में ढूँढ़िए जिनमें अश्लील या गंदी बातें दिखायी जाने की गुंजाइश बहुत कम हो। मौशमी नाम की एक लड़की कहती है: “मुझे पुराने ज़माने पर बनी फिल्में देखना बहुत अच्छा लगता है।”
खुद से पूछिए:
‘मुझे जिस तरह की फिल्में पसंद हैं, क्या उन्हें देखने के बाद सेक्स, खून-खराबे और जादू-टोने के बारे में परमेश्वर की आज्ञा मानना मेरे लिए आसान होता है या मुश्किल?’
किताबें
आपको जिस तरह की किताबें पढ़ना पसंद हैं, उसके आगे ✔ का निशान लगाइए।
○ काल्पनिक
○ सच्ची कहानियाँ
○ उपन्यास
○ कोई और
क्या आप जानते हैं . . . ? सिर्फ अमरीका की बात लें, तो हर हफ्ते वहाँ एक हज़ार से ज़्यादा नयी किताबें निकाली जाती हैं।
किन बातों से दूर रहें। फिल्मों की तरह कई किताबें भी ऐसे उसूलों को बढ़ावा देती हैं जो बाइबल के स्तरों से कोसों दूर हैं। मिसाल के लिए, कुछ किताबों में सेक्स के बारे में खुलकर लिखा जाता है तो कुछ कहानियाँ जादू-टोने और भूत-प्रेतों पर आधारित होती हैं। लेकिन बाइबल कहती है: “तुम्हारे बीच व्यभिचार और किसी भी तरह की अशुद्धता या लालच का ज़िक्र तक न हो।” (इफिसियों 5:3) वह यह भी बताती है कि जादू-टोने के काम ‘यहोवा की दृष्टि में बुरे’ हैं।—2 राजा 17:17.
सोच-समझकर कैसे चुनें। “कोई भी किताब खरीदने से पहले मैं उसके पीछे दी जानकारी पढ़ती हूँ और पूरी किताब पर एक नज़र दौड़ा लेती हूँ। अगर मुझे उसमें कुछ भी उलटा-सीधा नज़र आता है, तो मैं उसे नहीं खरीदती।”—मोना।
“जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई और अपने फैसले खुद लेने लगी, मुझे एहसास हुआ कि अपने ज़मीर की सुनना कितना ज़रूरी है। अगर किताब पढ़ते वक्त मुझे लगता है कि इसमें गंदी बातें लिखी हुई हैं, तो मैं फौरन उसे पढ़ना बंद कर देती हूँ। मैं जानती हूँ कि ऐसी बातें परमेश्वर की सोच से बिलकुल मेल नहीं खातीं।”—आलिया।
सुझाव: अलग-अलग तरह की किताबें पढ़कर देखिए। सत्रह साल की लारा कहती है: “मुझे पहले के लेखकों की किताबें पढ़ने में ज़्यादा मज़ा आता है। किताब की भाषा, किरदार और उसमें दी घटनाएँ पढ़कर ऐसा लगता है जैसे मैं उसी वक्त में पहुँच गयी हूँ। लेकिन आजकल की किताबों में वह बात कहाँ!”
खुद से पूछिए:
‘मुझे जिस तरह की किताबें पढ़ने में मज़ा आता है, क्या उनमें ऐसे चालचलन को बढ़ावा दिया जाता है जिनसे परमेश्वर नफरत करता है?’
म्यूज़िक
आपको जिस तरह का म्यूज़िक पसंद है, उसके आगे ✔ का निशान लगाइए।
○ रॉक
○ पुराने गीत
○ पॉप
○ रीमिक्स
○ कोई और
क्या आप जानते हैं . . . ? हर साल दुनिया की चार सबसे बड़ी म्यूज़िक कंपनियाँ करीब 30,000 एलबम निकालती हैं।
किन बातों से दूर रहें। फिल्मों और किताबों की तरह, आजकल के ज़्यादातर गाने भी अश्लीलता से भरे पड़े हैं। उनके बोल और उन पर फिल्माए गए वीडियो इतने बेहूदा और घटिया होते हैं कि वे लोगों के अंदर लैंगिक इच्छाएँ भड़काते हैं। (1 कुरिंथियों 6:18) इक्कीस साल की नैना कहती है कि आजकल के गाने लोगों को ऐसी हरकतें करने के लिए उकसाते हैं जो बाइबल के स्तरों के खिलाफ हैं और उनकी धुनों पर वे बेहूदा नाच नाचने लगते हैं।
सोच-समझकर कैसे चुनें। “मैं खुद से पूछती हूँ, ‘अगर मंडली का कोई भाई-बहन मेरे गानों का कलेक्शन देखे, तो क्या मुझे शर्म आएगी?’ इससे मुझे यह तय करने में मदद मिलती है कि मुझे किस तरह के गाने सुनने चाहिए।”—महक।
सुझाव: अलग-अलग तरह के संगीत सुनने की कोशिश कीजिए। रोहन नाम का एक नौजवान कहता है: “मेरे पापा को माने हुए कलाकारों का संगीत सुनने का शौक है, इसलिए बचपन से मैं भी यही संगीत सुनता आया हूँ। इस तरह के संगीत के बारे में जानने से, साथ ही पियानो सीखने से मुझे लगता है मानो मैंने एक अलग और निराली दुनिया में कदम रखा हो।” (g11-E 11)
खुद से पूछिए:
‘मैं जिस तरह के गाने सुनता हूँ, उनसे अपनी लैंगिक इच्छाओं पर काबू पाना मेरे लिए आसान होता है या मुश्किल?’
इस बारे में और पढ़ें!
किताब क्वेश्चन्स यंग पीपल आस्क—आंसर्स दैट वर्क, वॉल्यूम 2 के अध्याय 31 और 32 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं
[फुटनोट]
^ सजग होइए! यह नहीं कहना चाहती कि कोई फिल्म, किताब या गाना सही है या गलत। इस लेख का मकसद है कि आप परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक अपने ज़मीर को ढाल पाएँ ताकि यह आपको मनोरंजन के मामले में सही फैसला लेने में मदद दे।—भजन 119:104; रोमियों 12:9.
^ इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
[पेज 25 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
अगर आप बाइबल से तालीम पाए अपने ज़मीर की आवाज़ दबा देते हैं और ऐसी चीज़ें देखते, पढ़ते या सुनते हैं जिनका मज़ा सब ले रहे हैं, तो इसमें फायदा सिर्फ मनोरंजन की दुनिया का होगा, आपका नहीं!
[पेज 24 पर बक्स/तसवीर]
“बहुत-सी किताबें और फिल्में बाइबल के स्तरों के हिसाब से ठीक नहीं होतीं। लेकिन अगर किसी किताब या फिल्म की कहानी बाइबल के स्तरों के खिलाफ नहीं, तो मुझे वह बड़ी दिलचस्प लगती है।” एड्रीअन
[पेज 24 पर बक्स]
क्यों ना अपने माता-पिता से पूछें?
जब आप मेरी उम्र के थे तब से लेकर अब तक, आपने मनोरंजन के तरीकों में क्या-क्या बदलाव देखे? जब आपने यह सवाल अपने मम्मी-पापा से किया था, तब उन्होंने क्या जवाब दिया था?
[पेज 25 पर बक्स/तसवीर]
“कुछ गाने ऐसे होते हैं जो हमारे अंदर उन बातों को जानने की ख्वाहिश पैदा करते हैं, जिनसे एक मसीही को दूर रहना चाहिए। किसी गाने की धुन बड़ी अच्छी है, सिर्फ यह कहकर हम कोई गंदा गाना नहीं सुनेंगे, वरना हम अपने ज़मीर का गला घोट रहे होंगे।” जेनीस