मैं अपनी ही नज़रों में खुद की इज़्ज़त कैसे बढ़ा सकता हूँ?
नौजवान पूछते हैं
मैं अपनी ही नज़रों में खुद की इज़्ज़त कैसे बढ़ा सकता हूँ?
हाँ नहीं
जब आप आईना देखते हैं, तो क्या ❍ ❍
आपको खुद को देखकर अच्छा लगता है?
क्या आपको लगता है कि आपमें कुछ ऐसे ❍ ❍
हुनर हैं जो वाकई काबिले-तारीफ हैं?
क्या आप साथियों से आनेवाले दबाव का
डटकर सामना कर पाते हैं? ❍ ❍
जब आपकी कमियाँ बतायी जाती हैं, तो क्या आप
उन्हें मानकर सुधार करते हैं? ❍ ❍
जब दूसरे आप पर गलत इलज़ाम लगाते हैं,
तो आप कैसे पेश आते हैं? ❍ ❍
क्या आपको लगता है कि दूसरे आपसे प्यार करते हैं? ❍ ❍
क्या आप अपनी सेहत का खयाल रखते हैं? ❍ ❍
क्या दूसरों की कामयाबी पर आपको खुशी होती है? ❍ ❍
क्या आप खुद को कामयाब इंसान समझते हैं? ❍ ❍
अगर आपने ऊपर दिए ज़्यादातर सवालों के जवाब “नहीं” में दिए हैं, तो आपमें आत्म-सम्मान की कमी है और आप अपनी खूबियाँ पहचान नहीं पा रहे हैं। यह लेख आपको अपनी खूबियाँ पहचानने में मदद देगा!
ज़्यादातर नौजवान अपने रंग-रूप और अपनी काबिलीयतों को लेकर फिक्र करते हैं। साथ ही, वे अपने दोस्तों से खुद की तुलना करते हैं। आपके बारे में क्या? क्या आप भी इस तरह की चिंता करते हैं? अगर हाँ, तो यकीन रखिए ऐसा महसूस करनेवाले आप अकेले नहीं। ज़रा इन जवानों पर गौर कीजिए:
● “मैं अपनी खामियों को लेकर निराश हो जाती हूँ। मेरे अंदर सबसे ज़्यादा नुक्स निकालनेवाला कोई और नहीं, खुद मैं हूँ।”—लतिका *
● “भले ही आप दिखने में कितने ही सुंदर क्यों न हों, आपकी मुलाकात ऐसे किसी व्यक्ति से हो ही जाती है जो रंग-रूप में आपसे भी ज़्यादा खूबसूरत होता है।”—हेमा
● “दूसरों के सामने मैं खुद को लेकर कुछ ज़्यादा ही परेशान हो जाती हूँ। मैं डरती हूँ कि लोग सोचेंगे, मैं किसी काम की नहीं।”—रितु
अगर आप भी इन जवानों की तरह महसूस करते हैं, तो दिल छोटा मत कीजिए। आपके लिए मदद हाज़िर है। आगे दिए तीन सुझावों पर गौर कीजिए, जिससे आप अपनी ही नज़रों में खुद की इज़्ज़त बढ़ा पाएँगे और अपने बारे में सही नज़रिया रख पाएँगे।
1. अच्छे दोस्त बनाइए
खास आयत। “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”—नीतिवचन 17:17.
इसका क्या मतलब है। मुश्किल घड़ी में एक सच्चा दोस्त बहुत मददगार साबित होता है। (1 शमूएल 18:1; 19:2) कभी-कभी यह एहसास ही आपमें जोश भर सकता है कि कोई है जो आपकी परवाह करता है। (1 कुरिंथियों 16:17, 18) इसलिए उन दोस्तों के साथ वक्त बिताइए, जिनका आप पर अच्छा असर हो सकता है।
“जब आप मायूस होते हैं तब सच्चे दोस्त हिम्मत बढ़ाने के लिए हरदम हाज़िर रहते हैं।”—दीपक
“कभी-कभी ज़िंदगी में यह एहसास ही काफी होता है कि कोई दिल से आपकी परवाह करता है। इससे आप महसूस कर पाते हैं कि आपकी भी कुछ अहमियत है।”—हर्षा
याद रखिए: दोस्तों की मंज़ूरी पाने के लिए एक अलग इंसान होने का दिखावा मत कीजिए। आप जैसे हैं वैसे ही रहिए। (नीतिवचन 13:20; 18:24; 1 कुरिंथियों 15:33) उनकी नज़रों में छाने के लिए बिना सोचे-समझे कोई काम करने से आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है और आप अपनी ही नज़रों में गिर सकते हैं।—रोमियों 6:21.
अब आपकी बारी। नीचे अपने एक ऐसे दोस्त का नाम लिखिए, जो आपका आत्म-सम्मान बढ़ाता है।
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क्यों न आप अपने इस दोस्त के साथ कुछ वक्त बिताने का इंतज़ाम करें? ध्यान दीजिए: ज़रूरी नहीं कि आपका दोस्त आपकी ही उम्र का हो।
2. दूसरों की मदद कीजिए
खास आयत। “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”—प्रेषितों 20:35.
इसका क्या मतलब है। जब आप दूसरों की मदद करते हैं, तो आप खुद की ही मदद कर रहे होंगे। वह कैसे? बाइबल का एक नीतिवचन कहता है, “उदारता से देनेवाला मनुष्य सम्पन्न होता है; दूसरे के खेत को सींचनेवाले किसान की भूमि भी सींची जाती है।” (नीतिवचन 11:25, नयी हिन्दी बाइबल) बेशक, दूसरों की मदद करने से आप खुद के बारे में अच्छा महसूस करेंगे! *
“पहले मैं सोचती हूँ कि दूसरों की खातिर मैं क्या कर सकती हूँ। फिर अपनी मंडली (यानी उपासना की जगह) में किसी ज़रूरतमंद की मदद करती हूँ। दूसरों के साथ प्यार बाँटने और दो पल बिताने से मुझे अच्छा लगता है।”—भावना
“लोगों को परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाना बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि आप खुद के बारे में सोचने के बजाय दूसरों के बारे में सोचने लगते हैं।”—जतिन
याद रखिए: कभी-भी यह सोचकर दूसरों की मदद मत कीजिए कि आपको बदले में उनसे कुछ मिलेगा। (मत्ती 6:2-4) गलत इरादे से दी गयी मदद किसी काम की नहीं होती। अकसर लोग समझ जाते हैं कि आपके इरादे नेक नहीं!—1 थिस्सलुनीकियों 2:5, 6.
अब आपकी बारी। एक ऐसे इंसान के बारे में सोचिए जिसकी आपने कभी मदद की हो। वह कौन था? और आपने उसकी मदद कैसे की?
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मदद करने के बाद आपको कैसा लगा?
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आगे किसी ऐसे व्यक्ति का नाम लिखिए, जिसे आप मदद देना चाहते हैं। यह भी लिखिए कि आप कैसे मदद देंगे?
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3. जब आप गलती करते हैं, तो हिम्मत मत हारिए
खास आयत। “सब ने पाप किया है और वे परमेश्वर के शानदार गुण ज़ाहिर करने में नाकाम रहे हैं।”—रोमियों 3:23.
इसका क्या मतलब है। हरेक इंसान पापी और असिद्ध है। इसलिए हो सकता है, कभी-कभी आप कुछ गलत कह दें या गलती कर बैठें। (रोमियों 7:21-23; याकूब 3:2) आप गलतियाँ करने से नहीं बच सकते। पर हाँ, गलती करने पर आप किस तरह पेश आएँगे यह आपके बस में है। बाइबल कहती है: “धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है।”—नीतिवचन 24:16.
“जब हम अपनी खामियों की तुलना दूसरों की खूबियों से करते हैं, तो हम खुद को नापसंद करने लगते हैं।”—कमल
“सबमें कुछ-न-कुछ अच्छाइयाँ और कुछ बुराइयाँ होती हैं। हमें अपनी अच्छाइयों पर फख्र होना चाहिए और बुराइयों पर काबू पाना चाहिए।”—लॉरिन
याद रखिए: अपनी असिद्धता को पाप करने का बहाना मत बनाइए। (गलातियों 5:13) अगर आप जानबूझकर पाप करते रहेंगे, तो विश्व की सबसे महान हस्ती, यहोवा परमेश्वर की मंज़ूरी खो देंगे!—रोमियों 1:24, 28.
अब आपकी बारी। नीचे एक ऐसा गुण लिखिए जिसे आप बढ़ाना चाहते हैं।
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जो गुण आपने लिखा है उसके आगे आज की तारीख लिखिए। यहोवा के साक्षियों के ज़रिए प्रकाशित किए गए साहित्य में खोजबीन कीजिए कि आप इस गुण को कैसे बढ़ाएँगे और एक महीने बाद देखिए कि आपने इसे बढ़ाने में कितनी तरक्की की है।
अपनी असली कीमत पहचानिए
बाइबल कहती है, “परमेश्वर हमारे दिलों से बड़ा है।” (1 यूहन्ना 3:20) इसका मतलब है कि परमेश्वर आपकी कीमत या मोल जानता है, जो शायद आप न देख पाएँ। लेकिन क्या आपकी कमियों की वजह से परमेश्वर की नज़र में आपका मोल कम हो जाता है? मान लीजिए कि आपके पास 100 रुपए का नोट है, जो थोड़ा फटा हुआ है। क्या आप यह सोचकर उसे फेंक देंगे कि यह फटा हुआ नोट मेरे किसी काम का नहीं? बिलकुल नहीं। भले ही नोट फटा हुआ है लेकिन उसकी कीमत अभी-भी 100 रुपए ही है।
ठीक उसी तरह, परमेश्वर की नज़र में भी आप कीमती हैं। आप उसे खुश करने में जो भी मेहनत करते हैं, वह उसे देखता है और उसकी कदर करता है, फिर चाहे आपकी मेहनत आपको मामूली क्यों न लगे। बाइबल हमें दिलासा देती है कि “परमेश्वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम और उस प्यार को भूल जाए जो तुमने उसके नाम के लिए दिखाया है।”—इब्रानियों 6:10. (g10-E 05)
“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www. watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं
[फुटनोट]
^ पैरा. 15 इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
^ पैरा. 30 अगर आप यहोवा के साक्षी हैं, तो दूसरों के साथ परमेश्वर के राज की खुशखबरी बाँटने से आपको खुशी मिल सकती है।—यशायाह 52:7.
इस बारे में सोचिए
अगर आप इन वजहों से निराश हो जाते हैं, तो आप क्या करेंगे जब
● आपके दोस्त आपको नीचा दिखाते हैं?
● आपको लगता है कि दूसरे आपसे ज़्यादा अच्छे हैं?
● आपको खुद में सिर्फ कमियाँ ही नज़र आती हैं?
[पेज 11 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“एक इंसान शायद बहुत खूबसूरत हो, लेकिन फिर भी उसे लगे कि वह बदसूरत है। वहीं दूसरी तरफ, शायद एक इंसान दिखने में उतना अच्छा न हो, फिर भी वह सोचे कि दुनिया में उससे सुंदर और कोई नहीं। ज़ाहिर-सी बात है, जैसा हमारा नज़रिया होता है, वैसा ही हम सोचते हैं।”—अर्पिता
[पेज ११ पर बक्स/ तसवीरें]
आपके हमउम्र क्या कहते हैं
“एक मज़बूत इमारत नींव और खंभों के सहारे खड़ी रहती है और कभी-कभी उसे मरम्मत की भी ज़रूरत होती है। उसी तरह, जब मेरे दोस्त मुझसे प्यार-भरी बातें करते हैं, मुस्कराते हैं और मुझे गले लगाते हैं, तो मेरी हिम्मत बढ़ जाती है।”
“दूसरों के अच्छे गुण देखकर मायूस होने के बजाय हम उनके जैसे गुण पैदा कर सकते हैं, ठीक जैसे दूसरे हमारे अच्छे गुण देखकर हमसे सीखते हैं।”
[तसवीरें]
ऑबरी
लॉरिन
[पेज 12 पर तसवीर]
नोट के फटे होने से उसकी कीमत नहीं घट जाती। उसी तरह, आपकी कमियों की वजह से परमेश्वर की नज़र में आपकी कीमत कम नहीं हो जाती