इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अंतिम दिन कब शुरू होंगे और कब खत्म?

अंतिम दिन कब शुरू होंगे और कब खत्म?

अंतिम दिन कब शुरू होंगे और कब खत्म?

“अनुमान लगाया गया है कि करीब एक अरब साल के अंदर, पूरी पृथ्वी झुलस जाएगी और यह एक आग उगलता हुआ रेगिस्तान बन जाएगी। उस वक्‍त पेड़-पौधों और जानवरों का नामो-निशान मिट जाएगा।” यह बात स्काई एण्ड टेलिस्कोप नाम की पत्रिका के हाल के एक अंक में छपी थी। आखिर धरती का यह हश्र क्यों होगा? खगोल-विज्ञान (अँग्रेज़ी) पत्रिका कहती है: “वक्‍त के गुज़रते सूरज की गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि समंदर का पानी खौलने लगेगा और महाद्वीपों की ज़मीन सूखकर कड़क हो जाएगी।” यह पत्रिका आगे कहती है: “यह सच्चाई चाहे हमें कितनी भी कड़वी क्यों न लगे, लेकिन इस भयानक अंजाम से बचना नामुमकिन है।”

लेकिन बाइबल हमारी धरती के बारे में कुछ और ही बताती है। यह कहती है: “[परमेश्‍वर] ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है; ताकि वह कभी न डगमगाए।” (भजन 104:5) अगर परमेश्‍वर ने पृथ्वी की नींव डाली है, तो क्या वह इस पर जीवन कायम नहीं रख सकता? बेशक रख सकता है। दरअसल, उसने ‘पृथ्वी को बसने के लिये ही रचा है।’ (यशायाह 45:18) परमेश्‍वर का यह मकसद नहीं था कि धरती पर दुष्ट और नश्‍वर इंसान बसेरा करें। इसलिए उसने एक समय ठहराया है, जब वह दानिय्येल 2:44 में बताए राज्य के ज़रिए फिर से इस धरती पर हुकूमत करेगा।

यीशु जब धरती पर था, तो उसने परमेश्‍वर के राज्य के बारे में प्रचार किया। उसने एक ऐसे समय के बारे में बताया, जब राष्ट्रों और लोगों का न्याय किया जाएगा। उसने एक ऐसे बड़े क्लेश के बारे में भी खबरदार किया, जो आज तक न तो इस धरती पर कभी आया है और न कभी आएगा। इसके अलावा उसने एक निशानी भी दी, जो यह पहचानने में मदद देती कि इस दुष्ट संसार का अंत नज़दीक है। इस निशानी में कई पहलू शामिल हैं।—मत्ती 9:35; मरकुस 13:19; लूका 21:7-11; यूहन्‍ना 12:31.

यीशु अब तक का सबसे महान पुरुष है, इसलिए उसकी कही बातों ने बहुत-से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ये सारी घटनाएँ कब घटेंगी। कुछ लोगों ने तो यह पता लगाने के लिए कि इस दुनिया का अंत ठीक किस वक्‍त आएगा, बाइबल की भविष्यवाणियों का गहराई से अध्ययन किया। उनमें से एक थे, 17वीं सदी के गणितशास्त्री, सर आइज़क न्यूटन, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की थी।

मगर यीशु ने अपने चेलों से पहले ही यह कह दिया था: “उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।” (प्रेरितों 1:7) और जब उसने ‘अपनी मौजूदगी और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त की निशानी’ (NW) दी, तब उसने कहा: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।” (मत्ती 24:3, 36) इसके बाद, यीशु ने नूह के ज़माने में हुए दुष्ट संसार के नाश की तुलना ‘मनुष्य के पुत्र की उपस्थिति’ (NW) के दौरान होनेवाले नाश से की। फिर उसने कहा: “इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।”—मत्ती 24:39, 42.

ये सारी बातें साफ दिखाती हैं कि “दुनिया की व्यवस्था” का अंत ठीक किस वक्‍त आएगा, इसकी जानकारी हमें नहीं दी गयी है। फिर भी, यीशु ने जो “निशानी” दी थी, उससे हम यह ज़रूर पता लगा सकते हैं कि ‘अन्तिम दिन’ कब शुरू होंगे। (2 तीमुथियुस 3:1) उस दौर में हमें जागते रहने की ज़रूरत होगी, क्योंकि तभी हम ‘इन सब आनेवाली घटनाओं से बच’ सकेंगे।—लूका 21:36.

निशानी देने से पहले यीशु ने यह चेतावनी दी थी: “चौकस रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूं; और यह भी कि समय निकट आ पहुंचा है: तुम उन के पीछे न चले जाना। और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इन का पहिले होना अवश्‍य हैं; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।”—लूका 21:8, 9.

वह निशानी क्या है?

यह चेतावनी देने के बाद, यीशु ने अंतिम दिनों की निशानी के अलग-अलग पहलुओं के बारे में बताया: “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाईं करेगा। और बड़े बड़े भूईंडोल होंगे, और जगह जगह अकाल और मरियां पड़ेंगी, और आकाश से भयंकर बातें और बड़े बड़े चिन्ह प्रगट होंगे।” (लूका 21:10, 11) यीशु ने यह भी कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) यीशु ने जिन घटनाओं का ज़िक्र किया, यानी युद्ध, भूकंप, महामारियाँ और अकाल, ये पहली बार नहीं घटनेवाली थीं। ये सब तो इंसान के इतिहास में बहुत पहले से घटती आयी हैं। तो फिर, इस निशानी में क्या अनोखी बात होगी? वह यह कि ये सारी घटनाएँ एक ही दौर में एक-साथ घटेंगी।

अब ज़रा खुद से पूछिए, ‘वह कौन-सा दौर है, जिसमें यीशु की बतायी सारी घटनाएँ एक-साथ घटीं?’ सन्‌ 1914 से पूरी दुनिया में घमासान युद्ध लड़े गए हैं; बड़े पैमाने पर भूकंप आए हैं, जिनके सुनामी जैसे भयानक अंजाम हुए हैं; मलेरिया, स्पैनिश इन्फ्लुएंज़ा और एड्‌स जैसी जानलेवा बीमारियों ने अपना कहर ढाया है; और लाखों लोग भुखमरी की वजह से मर रहे हैं। यही नहीं, आतंकवाद और कई देशों में मौजूद तबाही मचानेवाले हथियारों की वजह से पूरी दुनिया में दहशत फैली हुई है। इसके अलावा, यहोवा के साक्षी दुनिया-भर में परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी का ऐलान कर रहे हैं। जी हाँ, यीशु ने जिन घटनाओं की भविष्यवाणी की थी, वे सब सन्‌ 1914 से घट रही हैं।

बाइबल के एक लेखक, पौलुस की लिखी बात पर भी गौर कीजिए। उसने लिखा: “यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्‍वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्‍वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे। वे भक्‍ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्‍ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।” (2 तीमुथियुस 3:1-5) कठिन समयों की ये तमाम निशानियाँ आज दुनिया के कोने-कोने में दिखायी दे रही हैं: अधर्म का बढ़ना, परमेश्‍वर पर से विश्‍वास उठ जाना, वहशीपन की सारी हदें पार करना और अपने मतलब के लिए दूसरे को मारने-पीटने के लिए तैयार रहना। *

लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि जगत के अंत से पहले के जिस दौर को ‘अन्तिम दिन’ कहा गया है, उसके शुरू होने में अब भी वक्‍त है? क्या इस बात के और भी सबूत हैं कि अंतिम दिन सन्‌ 1914 से शुरू हो चुके हैं?

‘अन्त का समय’ शुरू हो चुका है —इसके और भी सबूत

दानिय्येल नबी को भविष्य में होनेवाली घटनाओं की झलक देने के बाद यह बताया गया था: “उसी समय [यानी दानिय्येल 11:40 में बताया “अन्त के समय”] मीकाएल [यानी यीशु मसीह] नाम बड़ा प्रधान, जो तेरे जाति-भाइयों का पक्ष करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा।” (दानिय्येल 12:1) मीकाएल क्या करेगा?

बाइबल की एक किताब, प्रकाशितवाक्य में एक ऐसे समय के बारे में बताया गया है, जब मीकाएल राजा की हैसियत से कार्रवाई शुरू करेगा। यह किताब बताती है: “स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर और उसके दूत उस से लड़े। परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही। और वह बड़ा अजगर अर्थात्‌ वही पुराना सांप, जो इब्‌लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए। इस कारण, हे स्वर्गो, और उन में के रहनेवालो मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”—प्रकाशितवाक्य 12:7-9, 12.

बाइबल की यह भविष्यवाणी दिखाती है कि स्वर्ग में होनेवाली इस लड़ाई का धरती पर क्या असर होगा। शैतान और उसके साथियों को स्वर्ग से खदेड़कर धरती पर फेंक दिया जाएगा। तब शैतान जान जाएगा कि धरती पर हुकूमत करने के उसके दिन बस गिनती के रह गए हैं। इस वजह से वह आग बबूला हो उठेगा और पूरी धरती पर तबाही मचाएगा। और उसका गुस्सा अंतिम दिनों के शुरू होने से लेकर हरमगिदोन के युद्ध तक परवान चढ़ता जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 16:14, 16; 19:11, 15; 20:1-3.

प्रकाशितवाक्य की किताब के लेखक, यूहन्‍ना ने स्वर्ग में हुए युद्ध के नतीजे के बारे में लिखने के बाद कहा: “मैं ने स्वर्ग पर से यह बड़ा शब्द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्‍वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला, जो रात दिन हमारे परमेश्‍वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया।” (प्रकाशितवाक्य 12:10) गौर कीजिए कि इस आयत में यह ऐलान किया गया है कि परमेश्‍वर के राज्य ने, जिसका राजा यीशु है, स्वर्ग में अपनी हुकूमत शुरू कर दी है। और ऐसा सन्‌ 1914 में हुआ। * लेकिन जैसे कि भजन 110:2 में बताया गया है, यीशु आज “अपने शत्रुओं के बीच में” हुकूमत कर रहा है। और वह ऐसा तब तक करेगा, जब तक कि वह धरती पर भी अपनी हुकूमत शुरू नहीं कर देता।—मत्ती 6:10.

दिलचस्पी की बात है कि जिस स्वर्गदूत ने दानिय्येल नबी को भविष्य में होनेवाली घटनाओं के बारे में बताया था, उसने यह भी कहा था: “परन्तु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके इन वचनों को अन्त समय तक के लिए बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ़-ढांढ़ करेंगे, और उस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।” (दानिय्येल 12:4) इस आयत में एक और सबूत दिया गया है, जो दिखाता है कि हम ‘अन्त के समय’ में जी रहे हैं। दानिय्येल में दर्ज़ भविष्यवाणियों का मतलब पहले से साफ-साफ समझा दिया गया है और आज इस “ज्ञान” को दुनिया के कोने-कोने तक फैलाया जा रहा है। *

ये ‘अन्तिम दिन’ कब खत्म हगे?

अंतिम दिनों का दौर कितना लंबा होगा, इस बारे में बाइबल में कुछ नहीं बताया गया गया है। मगर हाँ, इसमें यह ज़रूर बताया गया है कि इस दौर में शैतान का समय जैसे-जैसे कम होता जाएगा, दुनिया के हालात और भी बदतर होते चले जाएँगे। पौलुस ने पहले से खबरदार कर दिया था कि “दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।” (2 तीमुथियुस 3:13) और अब भी जो घटनाएँ घटना बाकी हैं, उनके बारे में यीशु ने कहा था: “वे दिन ऐसे क्लेश के होंगे, कि सृष्टि के आरम्भ से जो परमेश्‍वर ने सृजी है अब तक न तो हुए, और न फिर कभी होंगे। और यदि प्रभु उन दिनों को न घटाता, तो कोई प्राणी भी न बचता; परन्तु उन चुने हुओं के कारण जिन को उस ने चुना है, उन दिनों को घटाया।”—मरकुस 13:19, 20.

आगे जो घटनाएँ घटनेवाली हैं, उनमें से कुछ हैं: “भारी क्लेश,” हरमगिदोन की लड़ाई, साथ ही शैतान और उसके साथियों पर कड़ी पाबंदी लगाया जाना जिससे कि वे धरती को और नुकसान न पहुँचा सकें। (मत्ती 24:21) ‘परमेश्‍वर ने, जो झूठ बोल नहीं सकता,’ हमें भरोसा दिलाया है कि ये सब बातें पूरी होकर रहेंगी। (तीतुस 1:2) जी हाँ, परमेश्‍वर खुद कार्रवाई करके हरमगिदोन की लड़ाई शुरू करेगा और इसके आखिर में शैतान को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा।

पौलुस ने ईश्‍वर-प्रेरणा से बताया कि परमेश्‍वर के नाश लाने से ठीक पहले क्या होगा। “समयों या कालों” (यानी ऐसे अलग-अलग दौर, जिनमें यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करता) के बारे में उसने कहा: “जैसे रात्रि में चोर आता है, वैसे ही प्रभु का दिन भी आएगा। जब लोग कह रहे होंगे, ‘शान्ति और सुरक्षा है,’ तब जैसे गर्भवती स्त्री पर सहसा प्रसव पीड़ा आ पड़ती है, वैसे ही उन पर भी विनाश आ पड़ेगा, और वे बच न सकेंगे।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:1-3, NHT) आखिर किस वजह से “शान्ति और सुरक्षा” का झूठा ऐलान किया जाएगा? ये तो वक्‍त ही बताएगा, क्योंकि बाइबल इस बारे में कुछ नहीं कहती। लेकिन एक बात तय है कि यह ऐलान यहोवा के न्याय के दिन को आने से रोक नहीं सकेगा। *

अगर हमें पूरा यकीन है कि ये सारी भविष्यवाणियाँ सच्ची हैं, तो हमें कदम उठाने की ज़रूरत है। कौन-से कदम? पतरस ने कहा: “तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्‍ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्‍वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए।” (2 पतरस 3:11, 12) लेकिन आप शायद सोचें, ‘ऐसा करने से मुझे क्या फायदा होगा?’ इसका जवाब अगले लेख में दिया गया है। (g 4/08)

[फुटनोट]

^ ‘अन्तिम दिनों’ की और भी निशानियों के बारे में जानने के लिए जुलाई-सितंबर 2007 की सजग होइए!, पेज 8-10; 15 सितंबर, 2006 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी), पेज 4-7; और 1 अक्टूबर, 2005, पेज 4-7 देखिए। इन पत्रिकाओं को यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ इस साल के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए, बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब के पेज 215-18 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! किताब और फरवरी 2008 की हमारी राज्य सेवकाई, पेज 3-6 देखिए। इन्हें यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ रॆवलेशन—इट्‌स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड! (2006 में छापी गयी) किताब, पेज 250-1, पैराग्राफ 13 और 14 देखिए।

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

यीशु ने कहा था कि “उस दिन और उस घड़ी” के बारे में सिर्फ परमेश्‍वर जानता है

[पेज 4 पर तसवीर]

सर आइज़क न्यूटन

[चित्र का श्रेय]

© A. H. C./age footstock

[पेज 7 पर तसवीरें]

यीशु ने जो निशानी दी, उसमें बतायी घटनाएँ सन्‌ 1914 से घटती आ रही हैं

[चित्रों का श्रेय]

© Heidi Bradner/Panos Pictures

© Paul Smith/Panos Pictures