हमारे पाठकों से
हमारे पाठकों से
भेदभाव “क्या जाति-भेद कभी मिटेगा?” इन श्रंखला लेखों के लिए आपका शुक्रिया। (अक्टूबर-दिसंबर 2004) जब मैंने इन लेखों को पढ़ा तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे दिल में भी जाति-भेद की थोड़ी-बहुत भावना है। इससे मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ क्योंकि मुझे खुद उन लोगों पर गुस्सा आता है जो भेदभाव करते हैं। मैं जानती हूँ कि यह पत्रिका भेदभाव की भावना दूर करने में मेरी मदद करेगी।
एम. यू., अमरीका
भले ही मैं अपने वतन से दूर हूँ, मगर मुझे नहीं लगता कि मैं नफरत और भेदभाव की शिकार हूँ। लेकिन इन लेखों ने मेरे अंदर उन लोगों के लिए हमदर्दी जगायी है जो इसके शिकार हैं। हमें इस बात की खुशी है कि यहोवा जल्द ही इस समस्या को हमेशा के लिए मिटा देगा!
टी. जी., नॉर्वे
भेदभाव की समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने की आपकी कोशिश की मैं दाद देती हूँ। मगर पेज 8 और 9 को पढ़कर लगता है कि आप लोग भी भेदभाव करते हैं। वहाँ आपने बताया कि दो यहूदी आदमी उसी रास्ते से गुज़रे, जहाँ एक घायल आदमी पड़ा था, मगर उन्होंने उसकी मदद नहीं की। आपने यहूदियों को ही क्यों चुना? क्या इससे आप भेदभाव नहीं कर रहे हैं?
एच. एच., अमरीका (g05 6/22)
“सजग होइए!” का जवाब: गौर कीजिए कि यीशु, जिसने दयालु सामरी की कहानी सुनायी थी, वह खुद एक यहूदी था। उसके दिनों में बहुत से यहूदी, सामरियों से नफरत करते थे। इसलिए उसने यह कहानी बतायी जिसमें एक सामरी आदमी जात-पाँत न देखकर, घायल यहूदी की मदद करता है और इस तरह खुद को एक सच्चा पड़ोसी साबित करता है। इस कहानी के ज़रिए यीशु उन यहूदियों को जो उसकी बात सुन रहे थे, एक अहम सीख दे रहा था।
शादी से पहले सेक्स “युवा लोग पूछते हैं . . . शादी से पहले सेक्स में क्या खराबी है?” इस लेख के लिए आपका शुक्रिया। (अक्टूबर-दिसंबर 2004) मैं भी इस लेख में बताए जवानों की तरह ही महसूस करती थी। खासकर भजन 84:11 के शब्द मेरे दिल को छू गए, जो कहते हैं कि यहोवा खरी चाल चलनेवालों से कभी कोई अच्छी चीज़ नहीं रख छोड़ेगा।
टी. यू., जर्मनी
एक जवान होने के नाते मैंने खुद को यहोवा की नज़रों में शुद्ध बनाए रखने के लिए हमेशा जी-जान से कोशिश की है। मगर कभी-कभी ऐसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस लेख से शुद्ध बने रहने का मेरा इरादा एक बार फिर मज़बूत हुआ है और मुझे याद दिलाया गया है कि शैतान की दुनिया से आनेवाले दबावों से मुकाबला करने में मैं अकेली नहीं हूँ। यह जानकर मुझे बहुत हौसला मिला कि यहोवा हमारी दिल से परवाह करता है।
एफ. बी., बोत्सवाना (g05 5/22)
“युवा लोग पूछते हैं . . . शादी से पहले सेक्स से कैसे दूर रहूँ?” लेख के लिए आपका बहुत शुक्रिया। (अगस्त 22,2004, अँग्रेज़ी) एक टीचर और बच्चों की सलाहकार होने की वजह से मुझे यह लेख बड़ा दिलचस्प लगा। मैंने क्लास में हुई चर्चा के दौरान, इस लेख के कुछ कारगर मुद्दे अपने विद्यार्थियों को बताए और उन्हें समझाया कि कैसे वे यहोवा परमेश्वर के सामने शुद्ध बने रह सकते हैं और शादी से पहले लैंगिक संबंध रखने से उठनेवाली समस्याओं से बच सकते हैं। इससे उनका पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा रहेगा और वे अच्छे नंबर ला पाएँगे। यह सुनने के बाद, बहुत-से विद्यार्थियों ने बाइबल के बारे में ज़्यादा सीखने की दिलचस्पी दिखायी है! और कुछ टीचरों ने मुझे उनकी क्लास के बच्चों से भी बात करने के लिए कहा है। अब हर हफ्ते मैं अपनी क्लास के विद्यार्थियों के साथ युवाओं के प्रश्न किताब से अलग-अलग विषयों पर चर्चा करती हूँ।
बी. सी., मोज़म्बिक
मेरी उम्र 25 साल है और मैंने इन सालों के दौरान अपने आप को पूरी तरह बेदाग रखा है। मेरा यह इरादा अब पहले से ज़्यादा अटल हो गया है कि शादी होने तक मैं अपने आप को इसी तरह बेदाग रखूँ। इस तरह के लेख लिखकर आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे जारी रखिए।
एफ. के., युगाण्डा (g05 6/8)