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दुनिया में नाम कमाने से बेहतर

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चार्ल्स सिनटको की ज़ुबानी

बात सन्‌ 1957 की है। अमरीकी राज्य, नवाडा के लास वेगस शहर में, मुझे गाने के लिए 13 हफ्ते का एक कॉन्ट्रैक्ट मिला। इस कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक वे हर हफ्ते मुझे एक हज़ार डॉलर देते और अगर शो कामयाब होता, तो मुझे 50 हफ्तों का एक और कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता। इसका मतलब था, मुझे 50,000 डॉलर और मिलते। यह उस ज़माने में एक खासी मोटी रकम मानी जाती थी। आइए अब मैं आपको यह बताऊँ कि ज़िंदगी के किस मोड़ पर मेरे सामने यह लुभावनी पेशकश रखी गयी और इसे कबूल करना या ठुकराना मेरे लिए क्यों मुश्‍किल हो गया।

मेरे पिता यूक्रेनी थे और उनका जन्म 1910 में पूर्वी यूरोप में हुआ था। सन्‌ 1913 में उनकी माँ यानी मेरी दादी उन्हें अमरीका ले गयीं, जहाँ मेरे दादाजी रहते थे। पिताजी ने 1935 में शादी कर ली और एक साल बाद पॆन्सिलवेनिया के एमब्रिज कस्बे में मेरा जन्म हुआ। उसी समय के दौरान पिताजी के दो बड़े भाई यहोवा के साक्षी बने।

जब मैं और मेरे तीन छोटे भाई, सभी बच्चे थे, तब हमारा परिवार पॆन्सिलवेनिया के न्यू कॆसल शहर के करीब रह रहा था। उस वक्‍त माँ ने कुछ समय तक साक्षियों के साथ अध्ययन किया। लेकिन तब न तो माँ और ना ही पिताजी साक्षी बने। मगर हाँ, पिताजी का मानना था कि उनके भाई चाहे जिस धर्म को मानें, यह उनका हक बनता है। हालाँकि पिताजी ने हमारे अंदर बचपन से देश-प्रेम की भावना डाली थी, लेकिन वे मानते थे कि सबको अपनी इच्छा के मुताबिक उपासना करने का हक है।

संगीत की दुनिया में कदम

मेरे माता-पिता मानते थे कि मुझमें गाने की पैदाइशी खूबी है, इसलिए मुझे गायक बनाने के लिए उनसे जितना बन पड़ा, उन्होंने मेरे लिए किया। जब मैं छः या सात साल का था, तब नाइट-क्लब में पिताजी मुझे काउंटर पर खड़ा कर देते कि मैं गिटार बजाकर गाना गाऊँ। और मैं एक गीत गाता जिसका विषय था, “माँ।” इस गीत में एक प्यार करनेवाली माँ के गुणों का वर्णन किया गया है और गीत के आखिरी बोल और धुन तो बस दिल को छू जाती थी। क्लब में उस समय शराबी नशे में इस कदर धुत्त होते कि गीत के खत्म होने पर वे रो पड़ते और पिताजी की टोपी में पैसे डाल देते।

मेरा सबसे पहला रेडियो कार्यक्रम, सन्‌ 1945 में न्यू कॆसल के डब्ल्यू.के.एस.टी. रेडियो स्टेशन से प्रसारित किया गया। उसमें मैंने कई लोक गीत गाए। इसके बाद मैंने हिट परेड कार्यक्रम में गाना शुरू किया, जिसमें हर हफ्ते रेडियो पर टॉप टॆन गाने बजाए जाते थे। सन्‌ 1950 में, मैं पहली बार टेलिविज़न के छोटे परदे पर पॉल व्हाइटमन के शो में दिखायी दिया। पॉल ने जॉर्ज गर्शविन के लिखे गीत, “रॆपसडी इन ब्लू” को अपने साज़ पर बजाया जो आज भी मशहूर है। पिताजी मुझे एक बड़ा गायक बनाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने पॆन्सिलवेनिया का घर बेच दिया और पूरा परिवार कैलीफोर्निया के इलाके लॉस एन्जलस में रहने आ गया।

पिताजी की लगातार कोशिशों की बदौलत, मुझे जल्द ही पासाडीना शहर में अपना खुद का साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम शुरू करने और हॉलीवुड में हर हफ्ते, आधे घंटे के लिए टी.वी. पर शो करने का मौका मिला। मैंने कॆपटल रिकॉर्डस्‌ कंपनी के लिए टॆड डेल के सौ सदस्योंवाले ऑर्केस्ट्रा के साथ रिकॉर्डिंग की। इसके अलावा मैं सी.बी.एस. रेडियो नेटवर्क पर भी गीत गाने लगा। सन्‌ 1955 में, शो के लिए मैं अपनी संगीत मंडली को उत्तर कैलीफोर्निया के लेक ताहो ले गया। और वहीं मैंने महसूस किया कि ज़िंदगी में संगीत से ज़्यादा, कुछ और चीज़ें भी अहमियत रखती हैं।

नयी अहमियतें

उस समय के दौरान पिताजी के बड़े भाई जॉन यानी मेरे ताऊजी पॆन्सिलवेनिया से कैलीफोर्निया रहने आ गए थे और उन्होंने मुझे “लॆट गॉड भी ट्रू” किताब दी। * * यह किताब मैं अपने साथ लेक ताहो ले गया। हमारा आखिरी शो लगभग आधी रात को खत्म हुआ। सोने से पहले थोड़ी थकान उतारने के लिए मैंने वह किताब पढ़नी शुरू की। मेरे आश्‍चर्य और खुशी का ठिकाना न रहा, जब मैंने देखा कि उस किताब में मेरे उन सभी सवालों के जवाब बाइबल से दिए गए हैं, जिनके बारे में मैं अकसर सोचा करता था।

इसके बाद, काम खत्म होने पर मैं नाइट-क्लब में अपने साथियों के साथ बैठकर घंटों बातें करता और बात करते-करते ही अकसर सुबह हो जाती थी। हम ऐसे विषयों पर बात करते, जैसे मरने के बाद एक इंसान का क्या होता है, परमेश्‍वर ने दुष्टता को क्यों रहने दिया और क्या इंसान, खुद को और इस धरती को आखिरकार पूरी तरह नाश कर देगा। इसके कुछ ही महीनों बाद, लॉस एन्जलस के रिग्ली फील्ड में यहोवा के साक्षियों का एक ज़िला अधिवेशन हुआ। वहीं जुलाई 9, 1955 को मैंने बपतिस्मा लेकर यहोवा की सेवा करने के लिए अपना समर्पण ज़ाहिर किया।

मेरे बपतिस्मे के छः महीने के अंदर, क्रिसमस की सुबह को एक साक्षी हैनरी रसल ने मुझे अपने साथ जॆक मकोइ के घर चलने को कहा। जॆक मनोरंजन के क्षेत्र में काम करता था और हैनरी खुद भी एन.बी.सी. का संगीत निर्देशक था। जब हम जॆक के घर पहुँचे तो उसने अपनी बीवी और तीन बच्चों को साथ बैठकर हमारी बातें सुनने को कहा, हालाँकि उस वक्‍त वे अपने क्रिसमस के तोहफे खोल रहे थे। वह और उसका परिवार जल्द ही साक्षी बन गया।

इन्हीं दिनों के दौरान मैंने अपनी माँ के साथ अध्ययन किया और इस बार उन्होंने बाइबल सच्चाई को वाकई अच्छी तरह समझकर अपना लिया। आखिरकार वे भी यहोवा की साक्षी बनीं और उन्होंने आगे चलकर पायनियर सेवा शुरू की यानी पूरे समय की प्रचारक बनीं। फिर मेरे तीन भाइयों ने भी बपतिस्मा लिया और कुछ समय तक पायनियर सेवा की। और 20 की उम्र में यानी सितंबर 1956 से मैं भी पायनियर बन गया।

पेशे के मामले में कुछ फैसले

इस समय तक मेरे एजेंट के खास दोस्त, जॉर्ज मर्फी ने मेरे करियर को बढ़ाने में दिलचस्पी ली। मर्फी ने 1930 और 1940 के दशक की कई फिल्मों में काम किया था। उसकी बड़े-बड़े लोगों से पहचान थी जिसकी वजह से दिसंबर 1956 में, न्यू यॉर्क सिटी के सी.बी.एस. टी.वी. पर मुझे मशहूर कलाकार जॆकी ग्लीसन के शो में काम करने का मौका मिला। मेरी तरक्की में इस शो का काफी बड़ा हाथ रहा क्योंकि इसके लगभग 2,00,00,000 दर्शक थे। जब मैं न्यू यॉर्क में था तब मुझे पहली बार ब्रुकलिन में यहोवा के साक्षियों का मुख्यालय देखने का मौका मिला।

ग्लीसन शो में काम करने के बाद, मैंने एम.जी.एम. स्टूडियो के साथ सात साल का मूवी-कॉन्ट्रैक्ट साइन किया। पश्‍चिम अमरीका पर आधारित एक धारावाहिक में मुझे नियमित रूप से भाग मिलने लगे लेकिन कुछ समय बाद मेरा ज़मीर मुझे कचोटने लगा, क्योंकि कभी मुझे जुआरी का तो कभी कुशलता से पिस्तौल चलानेवाले का किरदार निभाना पड़ता था। ऐसे किरदार जो अनैतिकता और दूसरे कामों को बढ़ावा देते हैं, जिनसे मसीहियों को दूर रहना चाहिए। इसलिए मैंने वह काम छोड़ दिया। मनोरंजन की दुनिया के लोगों ने सोचा मेरा दिमाग फिर गया है।

इसी के बाद, मेरे सामने लास वेगस की वह लुभावनी पेशकश रखी गयी, जिसका ज़िक्र मैंने शुरू में किया। मुझे अपना शो उस हफ्ते में शुरू करना था, जिस हफ्ते सफरी ओवरसियर का दौरा था। अगर तब मैं उस पेशकश को ठुकरा देता, तो मैं हमेशा के लिए उससे हाथ धो बैठता। मैं एक ऐसी कश्‍मकश में पड़ गया कि क्या बताऊँ! पिताजी बरसों से उस दिन का इंतज़ार कर रहे थे, जब मैं हाथ में एक मोटी रकम लेकर आता। मुझे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने क्या कुछ नहीं किया, तो क्या यह मेरा फर्ज़ नहीं बनता कि उनके सपने को साकार करूँ?

मैं कुछ तय नहीं कर पा रहा था इसलिए मैं अपने प्रिसाइडिंग ओवरसियर, कॉर्ल पार्क के पास गया जो खुद भी एक संगीतकार थे और 1920 के दशक में न्यू यॉर्क रेडियो स्टेशन डब्ल्यू.बी.बी.आर. पर वायलिन बजाते थे। मैंने उन्हें समझाया कि अगर मैं यह कॉन्ट्रैक्ट ले लूँ, तो आगे पैसे की फिक्र किए बिना मैं सारी ज़िंदगी पायनियरिंग कर सकूँगा। उन्होंने कहा: “तुम्हें क्या फैसला करना चाहिए, यह तो मैं नहीं बता सकता। लेकिन हाँ, मैं सही नतीजे पर पहुँचने में तुम्हारी मदद ज़रूर कर सकता हूँ।” फिर उन्होंने पूछा: “अगर प्रेरित पौलुस इस हफ्ते हमारी कलीसिया का दौरा करने आते तो क्या तुम तब भी जाते?” फिर उन्होंने कहा: “तुम्हीं सोचो कि यीशु तुमसे क्या उम्मीद करता होगा?”

मैंने सोचा, बात तो उन्होंने साफ कह दी। जब मैंने पिताजी से कहा कि मैंने लास वेगस का कॉन्ट्रैक्ट न लेने का फैसला किया है, तो वे बोले कि तुम मेरी ज़िंदगी बरबाद करने पर तुले हो। उस रात वे हाथ में पिस्तौल लिए मेरा इंतज़ार कर रहे थे। वे मुझे मार डालना चाहते थे, मगर उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि सो गए। इसके बाद उन्होंने खुद को गराज में बंद करके गाड़ी के धुँए से अपनी जान लेने की कोशिश की। मैंने तुरंत बचाव दल को बुलाया जो उन्हें दोबारा होश में ला सके।

पिताजी का ऐसा गुस्सैल स्वभाव देखकर हमारी कलीसिया के कई सदस्य उनसे बहुत डरते थे लेकिन हमारे सर्किट ओवरसियर, रोइ डावल को उनसे डर नहीं लगता था। जब भाई रोइ उन्हें देखने गए, तब पिताजी ने बातों-बातों में उन्हें मेरे बारे में बताया कि जब मैं पैदा हुआ था तब मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। इसलिए पिताजी ने परमेश्‍वर से मन्‍नत मानी कि अगर मैं बच गया तो वे मुझे पूरी तरह उसकी सेवा में लगा देंगे। तब भाई ने उनसे कहा, क्या आपने कभी सोचा कि हो सकता है परमेश्‍वर अब आपसे अपनी मन्‍नत पूरी करने की उम्मीद करता हो। इससे पिताजी एकदम सोच में पड़ गए। भाई रोइ ने पूछा: “अगर पूरे समय की सेवा परमेश्‍वर के बेटे के लिए बिलकुल सही थी, तो क्या आपके बेटे के लिए सही नहीं होगी?” इसके बाद ऐसा लगा कि पिताजी ने मेरी इच्छा के आगे हार मान ली।

इस दौरान जनवरी 1957 में, कनाडा से शर्ली लार्ज अपनी पायनियर साथी के साथ अपने कुछ दोस्तों से मिलने आयी। मैं, शर्ली और उसकी साथी के साथ घर-घर प्रचार में गया। उसी समय शर्ली से मेरी अच्छी जान-पहचान हुई। इसके कुछ समय बाद शर्ली मेरे साथ हॉलीवुड बोल स्टेडियम आयी, जहाँ मैंने गायिका पर्ल बेली के साथ गाना गाया।

फैसले के मुताबिक जीना

सितंबर 1957 में मुझे आइओवा राज्य में स्पेशल पायनियर के तौर पर सेवा करने की नियुक्‍ति मिली। जब मैंने पिताजी से इसके बारे में बताया तो वे फफक-फफक कर रोने लगे। उन्हें बिलकुल समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या चीज़ मेरे लिए मायने रखती है। मैं अपनी कार से हॉलीवुड गया और अपने सारे कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए। जिनके साथ मेरे कॉन्ट्रैक्ट थे, उनमें से एक मशहूर ऑर्केस्ट्रा और गायक मंडली के लीडर फ्रेड वॆरिंग थे। उन्होंने मुझसे कहा, अगर मैं अपने समझौते से मुकर रहा हूँ तो मैं फिर कभी गायक के तौर पर काम नहीं कर सकूँगा। तब मैंने उनसे कहा कि मैं अपने इस करियर को ही पूरी तरह छोड़ रहा हूँ क्योंकि अब मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा की और ज़्यादा सेवा करना चाहता हूँ।

फिर मैंने उन्हें विस्तार से सब कुछ समझाया। मेरी बात बड़े ध्यान से सुनने के बाद उन्होंने जो मुझसे कहा, वह सुनकर तो मैं दंग रह गया। वे बोले: “बेटा, मुझे अफसोस है कि तुम इतना बढ़िया करियर छोड़ रहे हो, लेकिन मैं मानता हूँ कि ज़िंदगी में संगीत से बढ़कर भी बहुत कुछ है। मैंने अपना सारा जीवन, संगीत की दुनिया में लगाकर देख लिया है। जाओ बेटा, परमेश्‍वर तुम्हारे काम पर आशीष दे।” मुझे आज भी याद है, घर लौटते वक्‍त मेरी आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे, क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि अब से मैं यहोवा की सेवा करने के लिए पूरी तरह आज़ाद हूँ।

“आपका विश्‍वास कहाँ गया?”

मैंने और मेरे पायनियर साथी जो ट्रिफ ने, आइओवा के एक कस्बे, स्ट्रॉबॆरी पॉइंट में अपनी सेवा शुरू की, जहाँ करीब 1,200 की आबादी थी। वहाँ शर्ली मुझसे मिलने आयी और तभी हमने शादी की बात की। उस समय न तो मैंने कोई रुपया-पैसा जमा किया था और ना ही शर्ली ने। मैंने जो भी पैसा कमाया, उस पर पूरी तरह पिताजी का अधिकार था। इसलिए मैंने उसे समझाया: “मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, लेकिन हम आगे की ज़िंदगी कैसे काटेंगे? मुझे हर महीने स्पेशल पायनियर के तौर पर जेबखर्च के लिए 40 डॉलर मिलते हैं, बस इससे ज़्यादा मेरे पास कुछ नहीं है।” तब शर्ली ने अपने शांत अंदाज़ में, बिना हिचकिचाए मुझसे साफ पूछा: “लेकिन चार्ल्स, आपका विश्‍वास कहाँ गया? यीशु ने कहा था, अगर हम पहले उसके राज्य और धार्मिकता की खोज करेंगे, तो वह हमारी ज़रूरतें खुद पूरी करेगा।” (मत्ती 6:33) उसकी इस बात से हमारा फैसला हो गया। और नवंबर 16, 1957 को हमने शादी कर ली।

स्ट्रॉबॆरी पॉइंट कस्बे से बाहर, मैं एक किसान के साथ बाइबल अध्ययन करता था। जंगल में उसकी अपनी एक ज़मीन पर लकड़ी की एक छोटी-सी कुटिया थी, जिसकी लंबाई और चौड़ाई 3.6 मीटर थी। मगर वहाँ न तो बिजली थी, ना ही नल, और न ही कोई शौचालय। लेकिन अगर हम चाहते तो वहाँ मुफ्त में रह सकते थे। वह घर बिलकुल बाबा आदम के ज़माने का था लेकिन हमने सोचा, हम तो सारा दिन सेवा में लगे रहेंगे, हमें सिर्फ रात काटने के लिए जगह चाहिए।

मैं पास के झरने से पानी लाता। हम लकड़ी जलाकर अपनी कुटिया गर्म करते, लालटेन की रोशनी में पढ़ते और मिट्टी के तेल के स्टोव पर शर्ली खाना पकाती। और नहाने के लिए कपड़े धोने के एक पुराने टब का इस्तेमाल करते। रात के सन्‍नाटे में कानों में भेड़ियों की आवाज़ पड़ती, मगर हम खुश थे कि हम एक-दूसरे के करीब हैं और मिलकर एक ऐसी जगह यहोवा की सेवा कर रहे हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। बिल मॆलेफॉन्ट और उनकी पत्नी सैन्ड्रा जो अब ब्रुकलिन के मुख्यालय में सेवा कर रहे हैं, वे उस समय हमसे करीब 100 किलोमीटर दूर, डिकोरा शहर में स्पेशल पायनियर के तौर पर सेवा कर रहे थे। वे कभी-कभी आकर हमारे साथ प्रचार में पूरा दिन बिताते। आखिरकार स्ट्रॉबॆरी पॉइंट में करीब 25 लोगों की एक छोटी-सी कलीसिया बन गयी।

सफरी काम में

मई 1960 में हमें सफरी काम यानी सर्किट काम के लिए बुलाया गया। हमारा पहला सर्किट था नॉर्थ केरोलाइना, जिसमें रॉली, ग्रीन्ज़बारा और डरम जैसे शहर, साथ ही कई छोटे-छोटे कस्बे थे। इस दौरान हमारे हालात थोड़े सुधरे क्योंकि सफरी काम के दौरान हम ऐसे परिवारों के साथ रहते थे जिनके घरों में बिजली, यहाँ तक कि शौचालय भी थे। मगर जहाँ शौचालय घर से बाहर थे, वहाँ जाने के नाम से हमारी जान सूख जाती, क्योंकि हमसे रास्ते में मिलनेवाले तामड़ा और रैटल साँपों से सावधान रहने को कहा जाता था।

सन्‌ 1963 की शुरूआत में हमें फ्लॉरिडा राज्य के एक सर्किट में भेजा गया, जहाँ मुझे एक गंभीर बीमारी लग गयी। मेरे हृदय की झिल्ली (pericardium) सूज गयी और मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं रही। मैं शायद मर ही जाता अगर टेम्पा के रहनेवाले, बॉब और जीनी मॆकी से हमें मदद न मिलती। * वे मुझे अपने डॉक्टर के पास ले गए और उन्होंने मेरी दवा-दारू का पूरा खर्च भी उठाया।

मेरे बचपन की ट्रेनिंग काम आयी

न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों का एक बड़ा अधिवेशन होनेवाला था और इस सिलसिले में मुझे सन्‌ 1963 की गर्मियों में न्यू यॉर्क बुलाया गया। मैं मिल्टन हैनशल के साथ एक रेडियो कार्यक्रम के लिए गया जिसमें भाई मिल्टन यहोवा के साक्षियों की तरफ से बोलनेवाले थे। यह कार्यक्रम दरअसल लैरी किंग का टॉक शो था। मिस्टर किंग आज भी टेलिविज़न पर टॉक शो लेने के लिए मशहूर हैं। उन्होंने बड़ी तहज़ीब से बात की और शो खत्म होने के बाद भी, आधे घंटे तक हमारे काम के बारे में कई सवाल पूछे।

उसी साल की गर्मियों में एक मिशनरी हैरल्ड किंग, जिन्हें हाल ही में कम्युनिस्ट देश, चीन से रिहाई मिली थी, साक्षियों के मुख्यालय में मेहमान बनकर आए थे। एक शाम उन्होंने 700 लोगों के सामने अपने कुछ अनुभव बताए, साथ ही यह बताया कि किस तरह चार से भी ज़्यादा सालों तक काल-कोठरी में रहने से उनका विश्‍वास मज़बूत हुआ है। कैद में उन्होंने बाइबल और मसीही सेवा पर आधारित कुछ गीत लिखे थे।

वह एक यादगार शाम थी। मैंने, ऑड्री नॉर, कॉर्ल क्लाइन के अलावा बरसों पुराने साक्षी और टेनर गायक (ऊँचे स्वर में गानेवाले) फ्रेड फ्रान्ज़ के साथ मिलकर “घर घर सुनाना” गीत गाया। यह गीत बाद में यहोवा के साक्षियों की गीत-पुस्तक में शामिल किया गया। नेथन नॉर जो तब साक्षियों के काम की अगुवाई कर रहे थे, उन्होंने अगले हफ्ते यैंकी स्टेडियम में होनेवाले सम्मेलन, “सनातन सुसमाचार” में मुझे वही गीत गाने को कहा और मैंने गाया।

सफरी काम के तजुर्बे

इलिनोइज़ के शिकागो शहर में सेवा के दौरान दो वाकए ऐसे हुए जो हम हमेशा याद रखेंगे। पहला, एक सर्किट सम्मेलन में शर्ली की नज़र बहन विरा स्ट्यूवर्ट पर पड़ी, जिसने 1945 के आस-पास उसे और उसकी माँ को कनाडा में गवाही दी थी। उस समय शर्ली 11 साल की थी और बाइबल में दिए परमेश्‍वर के वादे के बारे में जानकर बड़ी रोमांचित और खुश हुई। उसने विरा से पूछा था, “क्या आपको लगता है कि मुझे उस नयी दुनिया में जीने का मौका मिलेगा?” विरा ने जवाब दिया, “क्यों नहीं, शर्ली, ज़रूर मिलेगा!” उस वक्‍त की बातचीत का एक-एक शब्द दोनों को अच्छी तरह याद था। विरा से उस पहली मुलाकात में ही शर्ली को एहसास हो गया था कि यहोवा की सेवा करना ही सबसे बढ़िया फैसला होगा।

दूसरा यह था कि एक साक्षी ने आकर मुझसे पूछा, क्या आपको याद है, सन्‌ 1958 की ठंड में एक बार आपके घर की चौखट पर 25 किलो आलूओं का एक बोरा रखा था? और उस बात को भला मैं कैसे भूल सकता था? उस शाम इतनी बर्फ गिर रही थी कि बड़ी मुश्‍किल से हम घर पहुँचे और तभी हमने वह बोरा देखा! हमें यह पता नहीं चला कि बोरा कहाँ से आया, मगर इसके लिए हमने ज़रूर यहोवा को धन्यवाद दिया। बर्फीले तूफान की वजह से पाँच दिन तक हम घर से बाहर नहीं निकल पाए, लेकिन उस दौरान हमने खूब मज़े से आलू के तरह-तरह के पकवान बनाकर खाए, कभी पॆनकेक तो कभी आलू का भरता, कभी उसे भूनकर खाया तो कभी तलकर, और कभी उसका सूप बनाकर भी पिया! इसके अलावा हमारे पास खाने को कुछ था भी नहीं। हालाँकि वह साक्षी हमें नहीं जानता था और न ही उसे मालूम था कि हम कहाँ रहते हैं, लेकिन उसने सुना था कि यहाँ कुछ पायनियर बड़ी मुश्‍किल में जी रहे हैं। उसने कहा, न जाने मेरे दिल में क्या आया मैंने पता लगाना शुरू किया कि यह जवान जोड़ा कहाँ रहता है। यहाँ के किसान अपने पड़ोसियों के बारे में सारी खबर रखते हैं इसलिए उन्होंने उस साक्षी को हमारी कुटिया बतायी और तब वह बर्फीले मौसम में किसी तरह आलू का बोरा रखकर चला गया।

अपने फैसले के लिए एहसानमंद

अपने 33 साल के सफरी काम के बाद, सन्‌ 1993 के आते-आते मेरी सेहत ने जवाब दे दिया और आखिरकार मुझे सफरी काम छोड़ना पड़ा। तब से मैं और शर्ली इंफर्म स्पेशल पायनियर के तौर पर सेवा कर रहे हैं। हालाँकि मुझे इसका दुःख है कि अब मेरे पास सफरी काम करने की शक्‍ति नहीं बची, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि जब तक मेरे पास शक्‍ति थी, मैंने इस काम में उसका भरपूर इस्तेमाल किया।

मेरे तीन भाइयों ने दूसरा रास्ता चुना। एक-के-बाद-एक सभी ने आखिरकार धन-दौलत के पीछे भागने का फैसला किया और उनमें से आज एक भी यहोवा की सेवा नहीं कर रहा। पिताजी ने 1958 में बपतिस्मा ले लिया। उन्होंने और माँ ने कई लोगों को यहोवा के बारे में जानने, उसके लिए अपनी ज़िंदगी समर्पित करने और बपतिस्मा लेने में मदद दी। सन्‌ 1999 में वे दोनों चल बसे। मैंने इस दुनिया में पैसे और शोहरत को जो ठोकर मारी, उसी से पिताजी को, साथ ही उन तमाम लोगों को जीवन की आशा मिली, जिन्हें माँ और पिताजी ने बाइबल सच्चाई सिखायी। मैं अकसर सोचता हूँ, ‘अगर मैंने कुछ और फैसले किए होते तो क्या मैं आज तक यहोवा की सेवा में बना रहता?’

सर्किट काम छोड़ने के पाँच साल बाद मेरी सेहत थोड़ी सुधरी और मैं अपनी सेवा बढ़ा सका। अब मैं कैलीफोर्निया के डॆज़र्ट हॉट स्प्रिंग्स कस्बे की कलीसिया में प्रिसाइडिंग ओवरसियर के तौर पर सेवा कर रहा हूँ। इसके अलावा, मैं सबस्टिट्यूट सर्किट ओवरसियर, खास कमिटी के सदस्य और पायनियर सेवा स्कूल में एक शिक्षक के तौर पर सेवा करता हूँ।

आज भी मेरी सबसे करीबी दोस्त है, शर्ली। मुझे उसका साथ सबसे प्यारा लगता है। हम नियमित रूप से आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते हैं, और बाइबल की सच्चाइयों पर बात करते-करते दोनों ही जोश और उमंग से भर जाते हैं। सैंतालीस साल पहले, शांत अंदाज़ से शर्ली ने मुझसे जो सवाल पूछा था कि “चार्ल्स, आपका विश्‍वास कहाँ गया?” उसके लिए मैं आज भी उसका एहसान मानता हूँ। अगर जवान मसीही जोड़े एक-दूसरे से इसी तरह के सवाल पूछें, तो उनमें से भी न जाने कितनों को वे खुशियाँ और आशीषें मिलेंगी जो पूरे समय की सेवा करने से हमने पायी हैं। (g04 8/22)

[फुटनोट]

^ जॉन सिनटको, 92 साल की उम्र तक यानी सन्‌ 1996 में अपनी मौत तक यहोवा के वफादार सेवक बने रहे।

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है, लेकिन अब इसकी छपाई बंद हो चुकी है।

^ फरवरी 22, 1975 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी), पेज 12-16 में बॉब मॆकी की आप-बीती छपी है कि उसने लकवे के दौर का कैसे संघर्ष किया।

[पेज 20 पर तसवीर]

सन्‌ 1935 में अंकल जॉन, उसी साल उनका बपतिस्मा हुआ

[पेज 22 पर तसवीर]

हमारा लकड़ी का घर

[पेज 23 पर तसवीरें]

सन्‌ 1975 में मेरे माता-पिता की तसवीर; वे अपनी मौत तक वफादार बने रहे

आज शर्ली के साथ