भावनाएँ
बाइबल बताती है कि कुछ भावनाएँ ऐसी हैं जिन्हें अगर काबू में न रखा जाए, तो ये हमें बहुत नुकसान पहुँचा सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ भावनाएँ ऐसी भी हैं जिन्हें ज़ाहिर करने से हमें फायदा होता है।
गुस्से पर काबू रखिए
बाइबल की सलाह: “क्रोध करने में धीमा इंसान, वीर योद्धा से अच्छा है।”—नीतिवचन 16:32.
इसका क्या मतलब है? अगर हम अपनी भावनाएँ काबू में रखना सीखें तो इससे हमें फायदा होगा। हो सकता है कि हमारे पास गुस्सा होने का वाजिब कारण हो, लेकिन अगर हम उसे काबू में न रखें तो बहुत नुकसान हो सकता है। आज के कुछ खोजकर्ताओं का कहना है कि अकसर लोग गुस्से में आकर कुछ ऐसा कह देते या कर देते हैं जिसका उन्हें बाद में अफसोस होता है।
आप क्या कर सकते हैं? अपने गुस्से पर काबू रखना सीखिए, इससे पहले की आप कुछ ऐसा कर दें जो आपको नहीं करना चाहिए। कुछ लोग शायद सोचें कि गुस्सा करना ताकत की निशानी है लेकिन असल में यह एक कमज़ोरी है। बाइबल बताती है, “जो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सकता, वह उस शहर की तरह है जिसकी शहरपनाह टूटी पड़ी है।” (नीतिवचन 25:28) अपने गुस्से पर काबू रखने का एक तरीका है की कुछ कहने या करने से पहले मामले की तह तक जाना। बाइबल बताती है, “इंसान की अंदरूनी समझ उसे गुस्सा करने से रोकती है।” (नीतिवचन 19:11) अगर हम सामनेवाले की बात ध्यान से सुनें, तो हम हालात को अच्छी तरह समझ पाएँगे और अपनी भावनाओं पर काबू रख पाएँगे।
एहसानमंद होइए
बाइबल की सलाह: “दिखाओ कि तुम कितने एहसानमंद हो।”—कुलुस्सियों 3:15.
इसका क्या मतलब है? ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ एक एहसानमंद इंसान ही खुश रह सकता है। जिन लोगों का भारी नुकसान हुआ है या जिनके अज़ीज़ों की मौत हुई है वे भी इस बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि वे अपनी भावनाओं पर इसलिए काबू रख पाते हैं, क्योंकि वे इस बारे में सोचते नहीं रहते थे कि उन्होंने क्या खोया है। वे उन सभी चीज़ों के लिए एहसानमंद हैं जो उनके पास है।
आप क्या कर सकते हैं? हर दिन सोचिए कि आप किन बातों के लिए एहसानमंद हैं, फिर उनकी एक सूची बनाइए। यह ज़रूरी नहीं कि वे बड़ी-बड़ी चीज़ें हों। आप छोटी-छोटी बातों के बारे में भी सोच सकते हैं जैसे उगता सूरज और किसी करीबी के साथ हुई बातचीत या यह भी कि आपको एक और दिन देखने का मौका मिला है। अगर आप इनके बारे में सोचेंगे और इनके लिए एहसानमंद होंगे तो आप ज़्यादा खुश रह पाएँगे।
इसके अलावा, हम यह भी सोच सकते हैं कि हम अपने परिवारवालों और दोस्तों के क्यों एहसानमंद हैं। सोचिए कि आपको उनकी कौन-सी बात पसंद है और फिर उन्हें जाकर बताइए। आप यह बात उन्हें खत, ई-मेल या फोन पर मैसेज भेजकर भी बता सकते हैं। ऐसा करने से उनके साथ आपका रिश्ता और मज़बूत होगा और आप वह खुशी महसूस करेंगे जो देने से मिलती है।—प्रेषितों 20:35.
बाइबल की कुछ और सलाह
बहस करने से दूर रहिए।
“झगड़ा शुरू होना बाँध को खोलने जैसा है, इससे पहले कि झगड़ा बढ़े वहाँ से निकल जा।”—नीतिवचन 17:14.
भविष्य के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता मत कीजिए।
“अगले दिन की चिंता कभी न करना क्योंकि अगले दिन की अपनी ही चिंताएँ होंगी। आज के लिए आज की परेशानियाँ काफी हैं।”—मत्ती 6:34.
भावनाओं में बहकर कुछ करने के बजाय सोच-समझकर काम कीजिए।
“सोचने-परखने की शक्ति तुझ पर नज़र रखेगी और पैनी समझ तेरी हिफाज़त करेगी।”—नीतिवचन 2:11.