प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण दिसंबर 2017
इस अंक में 29 जनवरी–25 फरवरी, 2018 के लिए अध्ययन लेख दिए गए हैं।
“मैं जानती हूँ . . . वह ज़िंदा हो जाएगा”
हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा?
“मैं . . . परमेश्वर से यह आशा रखता हूँ”
मरे हुओं के ज़िंदा होने की शिक्षा क्यों मसीहियों के लिए एक मुख्य शिक्षा है?
क्या आपको याद है?
क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ी हैं? आप कितने सवालों के जवाब दे सकते हैं?
आपने पूछा
क्या प्राचीन इसराएल में मसीहा का पुरखा बनने के लिए पहलौठा होना ज़रूरी था?
आपने पूछा
क्या कॉपर-टी जैसे गर्भ निरोधक उपकरण (आई.यू.डी.) इस्तेमाल करना मसीहियों के लिए सही होगा?
माता-पिताओ, बच्चों की मदद कीजिए कि वे “उद्धार पाने के लिए बुद्धिमान” बनें
जब बच्चा समर्पण और बपतिस्मे का कदम उठाना चाहता है, तो कई माता-पिता चिंता करने लगते हैं। वे अपने बच्चों की किस तरह मदद कर सकते हैं ताकि बच्चे उद्धार पाएँ?
नौजवानो, “अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ”
बपतिस्मा एक गंभीर फैसला है लेकिन इसे लेने से नौजवानों को पीछे नहीं हटना चाहिए, न ही डरना चाहिए।
जीवन कहानी
मालिक के पीछे चलने के लिए मैंने सबकुछ छोड़ दिया
फेलिक्स फहार्डो ने 16 साल की उम्र में मसीही बनने का फैसला किया। उसे मालिक के पीछे चलते हुए 70 साल हो गए हैं, लेकिन उसे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं।
विषयों की सूची—प्रहरीदुर्ग 2017
इस सूची की मदद से आप 2017 की प्रहरीदुर्ग में आए अलग-अलग लेखों को ढूँढ़ पाएँगे।