बाइबल के बारे में आपकी क्या राय है?
क्या यह . . .
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विदेशियों की किताब है?
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कथा-कहानियों की किताब है?
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ईश्वर की तरफ से है?
खुद बाइबल का इस बारे में क्या कहना है?
“पूरा शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है।”
अगर ऊपर लिखी बात सच है, तो इससे आपको क्या फायदा होगा?
आपको ज़िंदगी से जुड़े ज़रूरी सवालों के जवाब मिलेंगे, जैसे हम पर तकलीफें क्यों आती हैं?
आपको ज़िंदगी के हर कदम पर बढ़िया सलाह मिलेगी।
आप जान पाएँगे कि आपका आनेवाला कल सुनहरा कैसे हो सकता है।
हम बाइबल की इस बात पर क्यों यकीन कर सकते हैं?
ज़रा इन तीन कारणों पर ध्यान दीजिए:
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बढ़िया तालमेल। बाइबल को लिखने में 1,600 से ज़्यादा साल लगे और इसे करीब 40 लोगों ने लिखा। इनमें से ज़्यादातर लोग एक-दूसरे से कभी नहीं मिले थे। फिर भी, उन सभी ने एक ही मुद्दे के बारे में लिखा।
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सच्ची बातें। दुनिया के इतिहासकार अकसर अपने देश की नाकामियों को छिपाते हैं। मगर बाइबल के लेखकों ने अपनी और अपने देश के लोगों की नाकामियों पर कभी परदा नहीं डाला।—2 इतिहास 36:15, 16; भजन 51:1-4.
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सच्ची भविष्यवाणी। करीब 2,000 साल पहले ही बाइबल में हमारे समय के बारे में बता दिया गया था कि इस धरती के हालात बिगड़ जाएँगे और लोगों का रवैया बहुत खराब हो जाएगा।—मत्ती 24:7, 8; 2 तीमुथियुस 3:1-5.
बाइबल में ऐसी और भी कई भविष्यवाणियाँ दी गयी हैं, जिनकी एक-एक बात पूरी हुई। क्या यह इस बात का सबूत नहीं कि यह किताब परमेश्वर की तरफ से है?—2 पतरस 1:21.
ज़रा सोचिए
बाइबल में दी सलाह मानने से आपकी ज़िंदगी कैसे सँवर सकती है?
इस सवाल का जवाब बाइबल की इन आयतों में दिया गया है: यशायाह 48:17, 18 और 2 तीमुथियुस 3:16, 17.